Jeevan Godara

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Late Jeevan Godara

Late Jeevan Godara (born:12 March 1966 - death:27 June 2006) from village Ajawa near Bhamasi in tahsil Didwana of Nagaur district in Rajasthan, was a promising Jat, whose life story was cut short in the prime of life.

पारिवारिक परिचय

जन्म - 12 मार्च 1966 (नागौर की डीडवाना तहसिल का आजवा-भामासी गांव)

पिताजी- श्री जयरामा राम गोदारा

माताजी- श्रीमति लोजी देवी

भाई- श्री सोहनलाल गोदारा

बहनें - तीन

संतान- पुत्र राजेश (बीए 2nd), पुत्री चंद्रकांता (12वी), पुत्र तेजपाल (9वी कक्षा )

आपके पिताजी ex-serviceman थे। माताजी का देहांत जब आप 10वीं कक्षा में तभी हो गया था। आपके बङे भाई वर्तमान में गुजरात में एक सफल व्यवसायी है।

परिचय

प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षा गांव में पूर्ण की तत्पश्चात डीडवाना की हायर सेकेन्ड्री स्कूल में आ गये। जहां उस समय आप प्रेसीडेंट रहे। आप किसान छात्रावास में रहकर अध्ययन करते थे। जीवण जी उस समय कसरती शरीर के मालिक थे। डीडवाना व आस-पास के गाँवों में नामी पहलवान के रूप में विख्यात थे।

शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात सन् 1988 में आपने मेडिकल स्टोर शुरू किया। जिसका उदघाटन तत्कालीन जाने माने युवा जाट नेता श्री विजय जी पूनिया ने किया था।

जाट समाज की दमदार शख्सियत होने के कारण आपको किसान छात्रावास का अध्यक्ष बनाया गया। गाँवों से आने वाले जाट किसानों के बेटो के लिए आप हर समय तैयार रहते थे।

तत्पश्चात आपने बजरंग दल की सदस्यता ग्रहण की तथा अध्यक्ष पद पर आसीन हुए।

जब तक जीवण गोदारा जिंदा रहे डीडवाना में किसी गुंडे को सिर उठाने नहीं दिया। या तो वे सुधर गये या नागौर छौडकर भाग गये।


राजस्थान का चर्चित व विभत्स हत्याकांड जिसने अपराध जगत और राजनीति को झकझोर के रख दिया वह था- नागौर की डीडवाना तहसिल का "जीवण गौदारा हत्याकांड" हाथों में हथियार होते हुए भी दर्जन भर गिदङों को एक शेर का शिकार करने में पसीना आ गया। क्योंकि अगर वो शेर जिंदा बच जाता तो इनकी सात पीढियों तक कोई नाम लेवा नहीं जन्मता।

मदनसिंह राठोड मर्डर कैस

उस समय लाडनूं में खीराद हत्याकांड हुआ। जिसके एकमात्र गवाह एक सरकारी अध्यापक था। जिसे गोदारा जी ने संरक्षण दिया था। इसी कारण आनंद दरोगा व उसके साथी उसे मारना चाहते थे। मदनसिंह राठौर को गोदाराजी की सुपारी दिया गई मगर वह खुद ही मारा गया। जिसके चलते जीवण गोदारा ने 8 साल की फरारी व 3 साल की जैल काटी।


हत्याकांड की घटना

मदनसिंह के मर्डर के बाद से ही आनंदपाल दरोगा की गैंग गोदारा को मारने की फिराक में थी। 2-3 बार अप्रत्यक्ष रूप से हमले किये मगर हर बार मुंह की खानी पडी। क्योंकि जब तक गोदारा डीडवाना में था, इन लोगों का कामकाज ठप सा कर रखा था।

27 जून 2006 को सुबह जीवण गोदारा अपने साथियों हरफूल जाट,प्रमोद जाट, गोपाल जाट, व पप्पू मेघवाल के साथ अपने घर के नीचे स्थित दुकान में बैठे थे। और उस समय सब के सब निहत्थे थे। उसी समय आनंदपाल, दातारसिंह, बलवीर बानूडा सहित आधा दर्जन गुंडे गाडीयों मे हथियारों के साथ आये और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। प्रमोद, पप्पू व गोपाल के 3.3-4.4 गोलियाँ लगी। ये तीनों बच गये। गोदारा के शरीर में 13 गोलियाँ दागी गई। क्योंकि उन्हें पता था कि अगर ये बच गया तो हम नहीं बचेंगे। गोदारा के साथ साथ हरफूल जाट भी शहीद हो गया। जब यह खबर शहर और गांवों में फैली तो चारों ओर मातम पसर गया। जाट समाज ने जगह जगह जाम लगाकर डीडवाना को जिले से कट कर दिया। उस समय पूरा नागौर जिला छावनी में तब्दील हो गया था। यह पहला मौका था जब सम्पूर्ण डीडवाना शहर व आस पास के जाट बाहुल्य गाँवों के बाजार 4 दिन तक स्वत: ही बंद रहे थे।


राजनीतिक शह के चलते दरोगा गैंग पकड़ में नहीं आ सकी। जहां विधानसभा में रूपाराम डूडी ने उनकी गिरफ्तारी की पुरजोर मांग की वहीं बाहर से राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम जी मील ने संघर्ष किया। आनंदपाल गेंग ने मील साहब को भी मारने की धमकी दी मगर वो पिछे नहीं हटे। 2009 के पश्चात किसान नेता हनुमान बेनिवाल व रूपाराम जी डूडी ने मिलकर विधानसभा को गुंजायमान रखा। अंतत: आरोपी पकडे गये।


जीवण गोदारा व हरफूल जाट को शहीद का दर्जा दिया गया। तथा परिवार को पूरी सहायता दी गई। प्रमोद जाट व पप्पू मेघवाल जो कि इस हत्याकांड के मुख्य गवाह है, को 2-2 पुलिस गार्ड की सुरक्षा मुहैया करवायी गई है।


आज इस हत्याकांड को 8 वर्ष बीत गये है मगर अब भी लोगों को गोदारा का वो रोबीला चेहरा याद है। अगर उनकी हत्या नहीं हुई होती तो विधानसभा में हनुमान बेनिवाल के जैसा एक और शेर गरजता। मगर होनी को कोई नहीं टाल सकता। हमें गोदारा जी की शहादत पर सदैव गर्व रहेगा।

|| शत शत नमन ||


लेखक

Balveer Ghintala Tejabhakt

References


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