Bhagwana Ram Manda
Lt Bhagwana Ram Manda from Gorau, Jayal , Nagaur was a social worker in Rajasthan.
जन्म व पारिवारिक परिचय
भगवाना राम जी का जन्म नागौर जिले की लाडनूं तहसिल के गौराऊ गांव में चौधरी मोतीराम जी मंडा के घर सन 1897 में हुआ। आपकी माता जी का श्रीमति रुक्मणि देवी था आपका बाल्यकाल एक साधारण किसान परिवार में बिता ओर राजकीय सेवा में सेना की उच्चतर पोस्टिंग पाकर आपने अपना व गांव परिवार का नाम रोशन किया।
शिक्षा व राजकीय सेवा
शिक्षा का प्रभाव उस समय ना के बराबर भी होने के बावजूद भी आपने प्रारम्भिक शिक्षा अर्जित की ओर अंग्रेजी हुकूमत के वक्त आपकी नोकरी जोधपुर रेंज की सरदार इन्फेंट्री में 7 जनवरी 1922 को हुई।
राजकीय सेवा में योगदान
आपकी तीक्ष्ण बुद्धि,मजबूत कद काठी ओर शारीरिक क्षमता के बलबूते आपने बहुत ही कम समय मे अपनी बटालियन में अच्छी पकड़ ओर रुतबा बना लिया और सूबेदार बन गए। आपने बिना किसी अड़चन के Q1 test पास किया और आपको लेफ्टिनेंट की शानदार पोस्ट से नवाजा गया। जिसकी प्रसंसा उस वक्त के हुक्मरानों ने भी की ओर जॉर्ज पंचम ओर भारत के विलायती वायसराय आपकी काबिलियत से इतने प्रभावित थे कि अपनी प्लाटून का हर फैसला आपकी मर्जी से होता था,बिना किसी हस्तक्षेप के। आपको belt ओर बेज no मिला LDER 6060। ये नाम और नंबर आज भी जोधपुर के इस बटालियन के लिये सम्मान का प्रतीक है। जो आपकी कार्यकुशलता का ही परिणाम है। आपके जानकर बताते है कि
आपकी प्लाटून के लिये एक विषय रियायत थी कि कभी भी खाने पीने की किसी भी सामग्री की कमी नही रहती थी और अक्सर अपने प्लाटून के मित्रो के साथ बैठकर आप खाना खाते थे और बताया जाता है कि आप खुद भी पाक कला में निपुर्ण थे। ओर हमेशा अच्छे भोजन के पक्षधर रहे थे।
अन्य रूचियां
सामाजिक कार्यों, राजकीय सेवा के साथ साथ मल्ल युध्द, कुश्ती, तीरंदाजी, कबड्डी, ऊंट ओर घुड़सवारी आपकी विशेष रुचियों में शामिल थी। भवन निर्माण का आपको अदभुत शौक था इसी के चलते आपने अपने गांव गोराऊ में एक आलीशान भवन का निर्माण करवाया जो आज भी लपटेण दादो जी हेली के नाम से आसपास के सभी गांवों में सुप्रसिद्ध है। लगभग 1925 में अपने इस हवेली का निर्माण चालू किया जिसके लिये जोधपुर के विषय कारीगर बुलाये गए थे। ओर सुनने में आता है कि सेना के इतने बड़े अधिकारी होने के बावजूद आप खुद एक दिहाड़ी मजदूर की तरह दिन भर काम करते और रात को घट से चुना बनाते थे। ये आपकी लगनशीलता ओर मेहनती होने का प्रमाण है। आप जब भी छुट्टी पर गांव आते तब भी खेती का काम बड़ी लग्न से करते रहे।
सामाजिक जीवन
आपकी जनहितैसी प्रवर्ति थी और अपने उस वक्त लोगो की सहायता की जब किसी के पास पैसा नही होता था। जब तक आप गांव में रहते थे आपके घर एक जनदरबार लगता था। आप गांव परिवार की ही नही बल्कि आसपास के गांव के फौजदारी ओर न्यायिक मामलो में जनता का सहयोग करते और उचित परामर्श भी देते थे। उन्होंने हमेशा गरीब को गणेश मानकर सेवा की थी। उनके घर से कभी कोई खाली हाथ नहीं गया। राजकीय सेवा में रहते हुए आपने सामाजिक बुराईयों को खत्म करने, जुल्म और अत्याचार के विरूद्ध डटकर खड़े होने तथा शिक्षा के प्रचार प्रसार में अपना अमूल्य योगदान दिया। उनकी जनहितेषी भावना के बलदेव राम मिर्धा भी सदैव कायल रहे। जाट समाज की दयनीय स्थिति को मिटाने में बलदेव राम मिर्धा, मूलचंद जी सिहाग, भींवाराम जी, बाबू गुल्लाराम बेंदा जैसे महान शख्सियतों की फेरहिस्त में आपका नाम भी सुनहरे अक्षरों में दर्ज है।
सेवानिवर्ती
देश की आजादी के कुछ दिन पहले ही आप सेवानीवर्त हुवे। उस वक्त सरकारी सेवा में 25 वर्ष का प्रावधान था। 6जनवरी1947 में आप को बड़ी धूमधाम से नगाड़ो पर नाचते हुवे साथियों ने माहौल को भवभिन बना दिया था। कहा जाता है कि तत्कालीन नगर पुलिस अधीक्षक बलदेवराम जी मिर्धा सेना में आपके इस अपनत्व को देखकर इतने प्रभावित हुवे कि जोधपुर से विदाई टीम के साथ दुलाराम जी और बलदेव राम जी अपने अनेको अफसरों के साथ गांव तक पधारे ओर गांव में भी एक आयोजन किया।
लेखक
- रामस्वरूप मंडा गौराऊ Mob:9360333868
References
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