Moji Ram Chandgothi
Moji Ram Chandgothi (मौजीराम चांदगोठी) was a freedom fighter and reformer in Rajasthan. He was born in the family of a Punia Jats of village Chandgothi, tahsil Rajgarh Churu, district Churu in Rajasthan. He played an important role in Kangar Ratangarh farmers movement against Jagirdars.
कांगड़ काण्ड में भूमिका
न्याय न मिलने की उम्मीद में मेघसिंह आर्य के नेतृत्व में प्रतिनिधि मण्डल प्रजामंडल (प्रजा परिषद्) पहुंचा । प्रजामंडल ने एक जाँच दल काँगड़ गाँव भेजने का निर्णय लिया जिसमें हंसराज आर्य (भादरा), दीप चंद (राजगढ़), पं गंगाधर रंगा, प्रो केदारनाथ शर्मा, मौजीराम चांदगोठी, चौधरी रूपाराम मान, स्वामी सच्चिदानंद आदि थे । प्रतिनिधि मंडल रेवल से उतर कर पैदल ही काँगड़ के लिए रवाना हुआ । गौशाला के पास हरी राम ढाका और भजनोपदेशक शीशराम लहूलुहान पड़े कराहते हुए मिले । उन्होंने सारी कहानी प्रतिनिधि मंडल को बताई और काँगड़ जाने से मना किया । मेघ सिंह आर्य को बताया गया कि तुम्हें तो जाते ही जान से मार देंगे, कह रहे थे कि मेघला खोतला मिल गया तो जान से मारेंगे । मेघ सिंह उनके साथ नहीं गए । प्रतिनिधियों को रस्ते में लोग मिले जो डरे हुए थे, सबने आप बीती बताई । प्रतिनिधि गाँव पहुंचे तो केवल ठाकुर के गुंडे सामंती लोग तथा पुलिस वाले थे । घर सूने पड़े थे । वे वापिस स्थिति का मुआयना कर 4 मील पैदल रतनगढ़ की तरफ आ गए तो पीछे से ठाकुर के गुंडे ऊँटों पर चढ़कर आ धमके तथा घेरकर पकड़ लिए गए तथा उन्हें वापस गढ़ में ले आये, जहाँ उनकी खूब पिटाई की ।(उद्देश्य:पृ.21-22)
नंगे करके उलटे लटका कर जूतों सहित ऊपर चढ़ गए । हाथों पर अलग, पैरों पर अलग तीन-तीन, चार-चार आदमी चढ़ गए, खूब पिटाई की, बेहोश होने पर छोड़ दिया जाता और होश आने पर फिर पिटाई शुरू कर दी जाती । इस प्रकार 30 अक्टूबर 1946 से 1 नवम्बर 1946 तक पिटाई होती रही । छ: जनों की गुदा में मिर्ची के घोटे चला दिए । रूपाराम मान को कुएं पर जहाँ औरतें पानी भर रही थी, वहां नंगा करके पीटा तथा घोटे की जगह बांस गुदा में चढ़ा दिया, जिससे आंत फट गयी, बड़ी मुश्किल से चलकर रतनगढ़ आये वहां से बीकानेर आये, कोई इलाज नहीं होने दिया, ना ही रिपोर्ट पुलिस में लिखने दी । इनके पास 231 रुपये नगद थे तथा पेन्सिल, बटुआ आदि थे जो ठाकुर गोपसिंह ने खोस लिए । फिर इनका इलाज हिसार करवाया गया । ठाकुर के गुंडों ने पं. गंगाधर की जनेऊ तोड़ दी व चौटी उखाड ली तथा मूंह पर कुत्ते की बिष्ठ बाँध दी, यही हाल प्रो. केदारनाथ शर्मा का हुआ ।(उद्देश्य:पृ.22)
प्रजामंडल ने देश के अखबारों में खबर दी, जनता का दिल खोल उठा । राजा ने कोई सुनवाई नहीं की थी । जब पहले जत्थे की पिटाई हो रही थी तो जासासर के ठाकुर ने खबर दी कि पंजाब, हरयाणा व अन्य गाँवों से 10 हजार जाट हमला करने के लिए आ रहे हैं तो जागीरदारों और ठाकुर गोपसिंह में घबराहट बढ़ गयी । रतनगढ़ के कायमखानी वहां से खिसक लिए । ठाकुर के अन्य लोग भी भयभीत हो गए और भाग छूटे । गढ़ में केवल पुलिस के जवान व गिने-चुने जागीरदार बचे थे, गढ़ खाली हो गया था । ऐसी दुर्दशा किसानों और प्रतिनिधि मंडल की हुई थी । चौधरी रूपाराम मान आंत फटने का सही इलाज नहीं होने के कारण आखिर वे शहीद हो गए ।(उद्देश्य:पृ.22)
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References
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