Shailoda

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Shailoda River (शैलोदा नदी) is mentioned in Ramayana (IV.43.37) and Mahabharata (II.48.2) flowing in Uttarakuru region between the mountains of Meru and Mandara. There used to grow the Kichaka bamboo. Sailoda is identified by V.S. Agarwal with the present Khotan River. Kichaka is a chinese word. [1]

Variants

History

It was inhabited by ancient people like Khashas, Ekasanas, Arhas, Pradaras, Dirghavenus, Paradas, Kulindas, Tanganas, and Paratanganas etc.

Sailoda is identified by V.S. Agarwal with the present Khotan River on the banks of which are mines of yashab or ashmasar which was probably known as suvarna. kichaka is a chinese word. [2]

शैलोदा नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...शैलोदा नदी (AS, p.911) का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में उत्तरकुरू के संबंध में है- 'तं तु देशमतिक्रम्य शैलोदानाम निम्नगा, उभयोस्तीरयोस्तस्याः कीचका नाम वेणवः।' (किष्किन्धाकाण्ड 43,37)

महाभारत, सभापर्व 28, दाक्षिणात्य पाठ में भी इसका वर्णन है- 'मेरुमंदरयोर्मध्ये शैलोदामभितो नदीम्, ये ते कीचकवेणूनां छायां रम्यामुपासते। खशाञ्झखाश्चनद्योतान् प्रघसान्दीर्घवेणिकान्, पशुपांश्च कुलिंदांश्च तंगणान परतंगणान्।'

शैलोदा नदी मेरु और मंदराचल पर्वतों के मध्य में स्थित कही गई है और उसके दोनों तटों पर 'कीचक' नाम के बांसों के वन बताए गये हैं। वाल्मीकि ने भी इसके तट पर कीचक वृक्षों का वर्णन किया है। 'कीचक' चीनी भाषा का शब्द कहा जाता है। इस नदी के तट पर खश, प्रघस, कुलिंद, तंगण, परतंगण आदि लोगों का निवास बताया जाता है। ये लोग युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में ‘पिपीलक सुवर्ण’ लाए थे-‘तद् वै पिपीलकं नाम उद्धृतं यत् पिपीलिकैः जातरूपं द्रोणमेयमहार्षुः पुजशो नृपाः। (महाभारत, सभापर्व 52, 4)

पिपीलक सुवर्ण के बारे में किंवदंती का उल्लेख मेगस्थनीज़ (चंद्रगुप्त मौर्य की सभा के यवन दूत) ने भी किया है। यह किंवदंती प्राचीन व्यापारिक जगत में तिब्बती सुवर्ण के बारे में प्रचलित थी। वासुदेव शरण अग्रवाल ने शैलोदा नदी का अभिज्ञान वर्तमान खोतन नदी से किया है। इस नदी के तट पर आज भी 'यशब' या 'अश्मसार' की खानें हैं, जिसे शायद प्राचीन काल में सुवर्ण कहा जाता था। खोतन नदी पश्चिमी चीन तथा रूस की सीमा के निकट बहती है।

खोतन नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...खोतन नदी (AS, p.259) मध्य एशिया की नदी है। इसके तटवर्ती क्षेत्र को 'खोतन प्रदेश' कहा गया है। खोतन नदी का महाभारत में शैलोदा नाम से वर्णन मिलता है। महाभारत, सभापर्व 52, 2 में शैलोदा तथा सभापर्व 52, 3 में इस नदी के तट पर स्थित खस, पुलिंद और तंगण आदि जातियों का उल्लेख है।

In Ramayana

Kishkindha Kanda Sarga 43 mentions this river in Uttarkuru. Sugreeva sends troops to north in search of Sita. He gives an account of the snowy regions and provinces of northern side and asks them to search in the places of Yavana, Kuru, and Daradas etc., civilisations. Sugreeva specially informs them about a divine province called Uttara Kuru and a heavenly mountain called Mt. Soma on which Brahma, Vishnu and Shiva make sojourn for its sacredness. Shailoda River is mentioned in Ramayana 4-43-37.[5]...."On crossing over that province there is a deep flowing river named Shailoda. On both of its riverbanks bamboo brakes called as Kichakas will be there. Those bamboos will be enabling the movement of siddha-s, accomplished souls, from one bank to the other. [4-43-37, 38a]

Kichaka is the term to denote that 'when air is puffed in the bamboo, whistles or fluting can be done...' and this variety of bamboos is used to make the transverse flutes in India in contrast to the present day metal flutes, where the diameter and wall-thickness of each bamboo stick is carefully selected to produce a desired tone and pitch. The travel to the other bank is by the entwined bamboo-sticks-bridges across the river, and these monkeys shall make use of those bridges because anyone/anything falling in that river will be petrified, say frozen to petrifaction.

In Mahabharata

Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 48 describes Kings who presented tributes to Yudhishthira. Shailoda (शैलॊदा) is mentioned in Mahabharata (II.48.2).[6]....They that dwell by the side of the river Sailoda (शैलॊदा) flowing between the mountains of Meru and Mandara and enjoy the delicious shade of tops of the Kichaka Venu (bamboo) viz., the Khashas, Ekasanas, the Arhas, the Pradaras, the Dirghavenus, the Paradas, the Kulindas, the Tanganas, and Partanganas, brought as tribute heaps of gold measured in dronas (jars) and raised from underneath the earth by ants and therefore called after these creatures.

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur,p.911
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur,p.911
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.911
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.259
  5. तम् तु देशम् अतिक्रम्य शैलोदा नाम निम्नगा । उभयोः तीरयोः तस्याः कीचका नाम वेणवः ॥4-43-37॥ ते नयंति परम् तीरम् सिद्धान् प्रत्यानयन्ति च । उत्तराः कुरवः तत्र कृत पुण्य प्रतिश्रियाः ॥4-43-38॥
  6. मेरुमन्दरयॊर मध्ये शैलॊदाम अभितॊ नदीम, ये ते कीचक वेणूनां छायां रम्याम उपासते (II.48.2)