Bairam Garhi

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Bairam Garhi or Bahramgarhi (Hindi: बहरामगढ़ी / वहरामगढ़ी) is a medium-size village in Iglas tahsil of Aligarh district in Uttar Pradesh.

Jat Gotras

Population

According to Census 2011, the population of Bairam Garhi was 614 persons.[1]

History

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है - नन्दरामजी ने 40 वर्ष तक राज किया। इन्हीं 40 वर्षों में उनकी तलवार की चमक, हृदय की गंभीरता, भुजाओं की दृढ़ता काफी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी थी। ऐसे योद्धा का सन् 1695 ई. में स्वर्गवास हो गया।

नंदरामजी के चौदह पुत्र थे, जिनमें जलकरनसिंहजी सबसे बड़े थे। दूसरे जयसिंहजी थे। सातवें योग्य पुत्र का नाम भोजसिंह था। आठवें चूरामन, नवें जसवन्तसिंह, दसवें अधिकरन, ग्यारहवें विजयसिंहजी थें। शेष पुत्रों के नाम हमें मालूम नहीं हो सके। चूरामन तोछीगढ़ के मालिक रहे। जसवन्तसिंह बहरामगढ़ी के अधिपति हुए। श्रीनगर और हरमपुर क्रमशः अधिकरन और विजयसिंहजी को मिले।

जलकरनसिंह अपने बाप के आगे ही स्वर्गवासी हो चुके थे। उनके सुयोग्य पुत्र खुशालसिंह अपने राज्य के मालिक हए। उनके चाचा भोजसिंहजी ने सादतउल्लाखां से दयालपुर, मुरसान, गोपी, पुतैनी, अहरी और बारामई का ताल्लुका भी प्राप्त कर लिया था। यह बड़े ही मिलनसार और समझदार रईस थे। मुरसान के प्रसिद्ध गढ़ का निर्माण इन्होंने बड़े हर्ष के साथ कराया था। इस समय इनके पास तोप और अच्छे-अच्छे घोढ़े अच्छी संख्या में थे। राज्य-विस्तार शनैःशनैः बढ़ रहा था। मथुरा, हाथरस और अलीगढ़ के बीच के प्रदेश पर इनका अधिकार प्रायः सर्वांश में हो चुका था।


Dalip Singh Ahlawat writes -

....शाहजहां के बाद जिस समय उसके लालची पुत्रों में राज्य-प्राप्ति के लिए गृह-युद्ध छिड़ा हुआ था, माखनसिंह के प्रपौत्र श्री नन्दराम जी ने जाटों की शक्ति को फिर संगठित किया और दरियापुर के पोरत्त राजा की भी शक्ति अपने साथ मिला ली। नन्दराम ने अपनी रियासत को बहुत बढ़ा लिया। औरंगजेब ने गद्दी पर बैठते ही नन्दराम की बढ़ती हुई शक्ति को देखा किन्तु वह उस समय जाटों से भिड़ना बुद्धिमानी नहीं समझता था। इसलिए उसने नन्दराम को फौजदार की उपाधि दे दी और तोछीगढ़ की तहसील उसको सौंप दी। वास्तव में नन्दराम इस प्रान्त का स्वतन्त्र राजा हो चुका था। नन्दराम जी ने 40 वर्षों तक राज किया। इन 40 वर्षों में उनकी तलवार की चमक, हृदय की गम्भीरता, भुजाओं की दृढ़ता काफी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी थी। ऐसे योद्धा का सन् 1695 ई० में स्वर्गवास हो गया। मुरसान रियासत के संस्थापक नन्दराम थे। नन्दराम जी के 14 पुत्र थे जिनमें जलकरनसिंह सबसे बड़े थे। इसके अतिरिक्त जयसिंह, भोजसिंह, चूरामन, जसवन्तसिंह, अधिकरन, विजयसिंह आदि थे।

चूरामन तोछीगढ़ के मालिक रहे। जसवन्तसिंह वहरामगढ़ी के अधिपति हुए। अधिकरन श्रीनगर के और विजयसिंह हरमपुर के मालिक रहे।[3]

Notable persons

External Links

References


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