Phalakivana
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Phalakivana (फलकीवन) refers to the name of a Tīrtha mentioned in the Mahābhārata located on the banks of Oghavati River in Kurukshetra near Shukratirtha.
Origin
Variants
- Phalakivana फलकीवन (AS, p.597)
- Falakivana फलकीवन (AS, p.597)
History
In Mahabharata
Phalakivana (फलकी वन) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.81.72)
Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 81 mentions names of Tirthas (Pilgrims). Phalakivana (फलकी वन) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.81.72).[1]....One should next proceed, O king, to the excellent tirtha called Phalakivana (फलकी वन) (III.81.72). There in that tirtha the gods, O monarch, having been present, performed their ascetic austerities extending for many thousand years. One should then proceed to the Dhrishadwati (दृषद्वती) (III.81.73).
फलकीवन
विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है .....फलकीवन (AS, p.597): कुरुक्षेत्र में ओघवती नदी के तट पर शुक्र तीर्थ के निकट एक वन है. इसका महाभारत वन पर्व में उल्लेख है--'ततॊ गच्छेत् राजेन्द्र फलकी वनम उत्तमम्, यत्र देवाः सदा राजन् फलकी वनम आश्रिताः'.
एक तीर्थस्थल है जो हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में स्थित है। थानेश्वर से सत्रह मील दूर दक्षिण पूर्व में ओघवती तट पर स्थित फरल में शुक्र तीर्थ है। इसे कुरुक्षेत्र के पावन सप्त वनों में मानते हैं। यहाँ देव बहुसहस्र वर्ष तक तप करते हैं। यहाँ दृषद्वती, पाणिखात तथा सर्वदेव तीर्थ हैं। भीष्म, युधिष्ठिर जैसे धर्म प्रतिष्ठापक यहाँ से गुजरे हैं। यही फलकीवन क्षेत्र है।[3]
External links
References
- ↑ ततॊ गच्छेत राजेन्द्र फलकी वनम उत्तमम, यत्र देवाः सदा राजन फलकी वनम आश्रिताः, तपश चरन्ति विपुलं बहुवर्षसहस्रकम (III.81.72)
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.597
- ↑ भारतकोश-फलकीवन