File:Lakha Canon Deeg Bharatpur.jpg
Source - Jat Kshatriya Culture
लाखा तोप, डीग (भरतपुर) लाखा तोप का इतिहास l
अल्लाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान चित्तौडग़ढ़ की महारानी श्री पद्मिनी ने 25 अगस्त 1303 को दासियों के साथ जौहर किया था l
इसके बाद गुस्से में आए अल्लाउद्दीन खिलजी ने मेवाड़ के इलाक़ों में बेरहमी से मार काट व खूब लूट पाट की l इसी के साथ अल्लाउद्दीन चित्तौड़गढ़ के बेशकीमती द्वार (अष्टधातु द्वार) दिल्ली ले गया व उसे दिल्ली के किले पर लगा दिया (अल्लाउद्दीन खिलजी का किला, बाद में इन दरवाजों को लाल किले पर लगाया गया) l
जब श्री महाराजा जवाहर सिंह जी ने 1764 में दिल्ली के शासक नजीब उद दौला पर हमला किया व अपने पिता श्री ब्रजराज महाराजा सूरजमल सिहं जी की धौखे से की गई मौत का बदला लिया तथा इसी लाखा तोप से दिल्ली पर आक्रमण किया व दिल्ली पर जीत प्राप्त की, इसके साथ ही वहां से अपने साथ अष्टधातु द्वार को भरतपुर ले आए थे, लाखा तोप द्वारा गोले दिल्ली के लाल किले पर गोले दागे गए थे l इसके हमले का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि जब इसका गोला दिल्ली में फटा तब आस पास के इलाक़ों में लोगों बहरें गए थे तथा जिन महिलाओं के 6 - 6 महीने के गर्भ थे वो भी इसकी अवाज से गिर गए थे l उसके बाद इसका उपयोग नहीं किया गया।
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current | 11:19, 18 November 2020 | 960 × 960 (103 KB) | Lrburdak (talk | contribs) |
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