Haryanavi Language Grammar
- To write in Hindi see हिन्दी में कैसे लिखें
प्रस्तावना
हरयाणवी भाषा की अलग से अपनी पहचान है - ठीक उसी तरह जैसे ब्रजभाषा, अवधी, राजस्थानी, भोजपुरी आदि - हालांकि ये सभी हिन्दी की ही सहोदरी भाषायें हैं । विस्तृत हरयाणवी शब्दों के अर्थ के लिए देखिये पेज Glossary of Haryanavi Language.
अक्षर "ळ" का प्रयोग
यह अक्षर (ळ) हरयाणवी, राजस्थानी और मराठी भाषाओं में खूब प्रयोग होता है। हिन्दी भाषा, जो आम तौर पर लखनऊ और बनारस के पास बोली जाती है, उसमें इसका प्रयोग इतना नहीं है । बाकी प्रदेशों जैसे राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरयाणा, दिल्ली आदि में इस अक्षर का बोलने में खूब प्रयोग होता है । हिन्दी प्रेमियों को चाहिये कि वे इस अक्षर को हिन्दी वर्णमाला में शामिल करवाने के लिए जोर डालें । उसका उच्चारण 'ल' और 'ड़' के बीच का है । कुछ नमूने नीचे देखिये - हिन्दी रूप कोष्ठ में लिखे गए हैं ।
- फळ (फल)
- हळ (हल)
- थाळी (थाली)
- काळा (काला)
- साळा (साला)
- हड़ताळ (हड़ताल)
- भोळा (भोला)
- गळा (गला)
अक्षर "ण" का प्रयोग
हरयाणवी भाषा में अक्षर "ण" का खूब प्रयोग होता है, हालांकि हिन्दी में इसका प्रयोग कम है । कुछ उदाहरण देखिये :
- थाणा (थाना)
- काणा (काना)
- पाणी (पानी)
- स्याणा (सयाना)
- दाणा (दाना)
- घणा (घना)
- भाण (बहन)
- सुणाओ (सुनाओ)
- पिछाण (पहचान)
- बजाणा (बजाना)
"सै" का प्रयोग
हिन्दी में "है" की जगह हरयाणवी में "सै" का प्रयोग होता है । जैसे :
- के हो रहया सै ? (क्या हो रहा है?)
- सब काम मैं लाग रहे सैं (सब काम में लगे हुए हैं)
- यो राह कुण-से गाम में जावै सै ? (यह रास्ता कौन से गांव में जाता है?)
आम प्रयोग में आने वाले क्रिया शब्द (Verbs)
क्रिया शब्द (verbs) भाषा की जान होते हैं । हरयाणवी भाषा में अनेक ऐसे शब्द हैं जिनका समानार्थक हिन्दी में नहीं मिलता । इस भाग में कुछ ऐसे ही शब्दों की जानकारी दी जायेगी - ये सब “हरयाणवी भाषा शब्दावली” वाले सैक्शन में शामिल नहीं किए गए हैं ।
हरयाणवी भाषा में अनेक क्रियात्मक शब्द 'न' के स्थान पर 'ण' पर समाप्त होते हैं । जैसे :
- करण देना (करने देना)
- भरण खातिर (भरने के लिए)
- चालण द्यो (चलने दो)
- रहण दे (रहने दे)
- जाण दे (जाने दे)
- कमावण ताहीं (कमाने के लिए)
- बोझ ढ़ोवणा (बोझ ढ़ोना)
"हरयाणवी भाषा शब्दावली" सैक्शन में ज्यादातर शब्द संज्ञा (nouns) वाले हैं । नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जो कि क्रिया (verb) की श्रेणी में आते हैं । हिन्दी समानार्थक शब्द कोष्ट में लिखे हैं :
- ऊकना / ऊक जाना (चूकना या चूक जाना) (जैसे - ईब मौका ऊक-ग्या - अब अवसर चूक गया)
- दाबना (दबाना)
- घालणा (डालना)
- गेरणा (फेंकना)
- भीजणा (भीग जाना)
- खोसणा (छीन लेना)
- मंड्या रहणा (लगा रहना)
- ताहणा या ताह देना (भगा देना)
- लखाणा (देखना या नजर मारना)
- खिंढ़ाणा (बिखेर देना)
- सापड़णा (समाप्त/ खत्म हो जाना)
- घुरड़ना (लुढ़कना)
- लिकड़णा (निकल जाना)
- नावड़ना (समा जाना)
- बाहवड़ना (उल्टा/ वापिस आना)
- बसकना (बैल का जमीन पर बैठ जाना)
- बांचना - कागज पर लिखे हुए को पढ़ना (जैसे - चिट्ठी बांचना)
- जहकना (ऊंट का जमीन पर बैठ जाना)
- फळाना (फैलाना - जैसे कि करंसी नोटों को मेज पर 'फळाना')
- सिंगवाना (समेटना)
- पिछोड़ना (छाज में अनाज को साफ करना)
- झूमळना : (एक जगह पर जमघट बना लेना)
- बळना : जलना (आग बळै सै - आग जल रही है)
- बाड़ना : घुसाना या अन्दर करना
- बाळना : जलाना (आग बाळ दो - आग जला दो)
- खुरकाना (धमकाना)
- घोथळना (तरल पदार्थ को अच्छी तरह मिलाना)
- बूसना (मुरझाना - जैसे फूल बूस-ग्या)
- फेटना (मिलना)
- रीफळना (रीझना)
- चुचकारना - भेंट या प्रसाद आदि को लेकर माथे पर लगाना (सगाई का रुपय्या मिल्या सै - इसनै चुचकार ले)
- सरणा - पूरा पड़ना या काम चलना (जैसे - काम करे बिना ना सरै (काम किये बगैर पूरा नहीं पड़ेगा)
- सांभरणा - झाड़ू लगाना / समेटना
- बिचळना (रास्ता भूल जाना या कोई समाधान न सूझना). कई बार 'माचना' या 'बौर में आना' भी इसी अर्थ में आता है ।
- 'रिफ' होना (किसी के 'सिर होना' या कब्जा जमाना । जैसे कोई चीज किसी की न हो और वो अपनी कहे तो यूं कहा जाता है "या चीज उसकी कोनी, यो तै खामखा रिफ हो रहया सै")
- तैना या 'तै जाना" (पिघलना)
- ऊझळना [पानी या किसी तरल पदार्थ का बहना (overflow) - जैसे "बाल्टी म्हाँ तैं पाणी उझलण लाग रहया सै"]
- ऊपड़ना [चमड़ी का फूल जाना (मच्छर आदि के काटने पर)]
- घिचोळना : पानी में मिलाना या फेंटना । जैसे : "लत्ते पाणी में घिचोळ ले" ।
हरयाणवी में बहुत से शब्द हैं जो हिन्दी का ही रूप हैं पर उनका उच्चारण थोड़ा-सा बदले रूप में होता है । जैसे गया, गई, गये आदि को कई बार इस तरह बोला जाता है:
- काम हो-ग्या (काम हो गया)
- रात हो-गी (रात हो गई)
- बाळक सो-गे (बच्चे सो गये)
बहुत से क्रिया शब्दों में अनायास ही 'आ' के साथ 'य' की ध्वनि आ जाती है, जो कि बोली का एक प्राकृतिक रूप है - जैसे कि 'चला' को हरयाणवी में 'चल्या' उच्चारित किया जाता है । कुछ वाक्यों का प्रयोग नीचे दिया जाता है ।
- वो दूसरे गाम मैं चल्या गया (वह दूसरे गांव में चला गया)
- काम फैल्या पड़्या सै (काम फैला पड़ा है )
- वो कितणा पढ़्या सै ? (वह कितना पढ़ा है)
- यो तन्नैं के करया ? (यह तूने क्या किया)
- बासण मैं पाणी भरया सै (मटके में पानी भरा है)
- खेत मैं पाणी खड़्या हो-ग्या (खेत में पानी खड़ा हो गया)
- घोड़ा भाज्या जा सै (घोड़ा भागा जा रहा है)
- लत्ते भीज्ये पड़े सैं (कपड़े भीगे पड़े हैं)
- पढ़्ये-ओड़ तैं कढ़्या-ओड़ स्याणा हो सै (पढ़े-लिखे आदमी से दुनियां में घूमा हुआ आदमी चतुर होता है )
नित्य प्रयोग में आने वाले हरयाणवी शब्द
- आळा
- वाला (जैसे 'करने वाला' को 'करण आळा' कहेंगे)
- ओड
- इतना बड़ा (तेरा छोरा ओड हो-ग्या?)
- इंघे/ इत/ आड़ै/ हाड़ै
- यहाँ/ इधर
- इंघानै / उरे-नै
- इस तरफ
- ईब/ ईबै
- अब/ अभी
- उंघे/ उत/ परै / ऊड़ै/ हूड़ै
- वहाँ, उधर
- उरै/ उरे-नै
- इधर
- उरला
- इधर वाला (उरे का)
- ओढ़ाणै
- अब/ इस समय (ओढ़ाणै आया सै, इतणी वार क्यूकर हो-गी ? - इस समय आया है, इतनी देर कैसे हो गई)
- कोढ़ाणै
- कब/ किस समय (छोरा स्कूल तैं कोढ़ाणै आया करै ? - लड़का स्कूल से किस समय आता है ?
- कित/ कड़ै
- कहाँ
- किंघानै
- किधर, किस तरफ
- किंघां-कै
- किस तरफ से
- केभरा
- शायद
- कद
- कब
- कदे
- कभी
- कदे-कदे
- कभी-कभी
- कद्दे-तैं
- कभी से/ हमेशा से
- कूण
- कौन
- कुण-सा/ कुण-सी / कौथा / कौथी
- कौन सा/ कौन सी
- कित्तैं/ कड़े-तैं
- कहां से
- कींहका/ कींहकी
- किसका/ किसकी
- किस तरियाँ
- किस तरह
- किसा/ किसी
- कैसा/ कैसी
- किम्मै
- कुछ भी
- कित्तै-हो / कित्तै-बी
- कहीं भी
- कोड / कोडेक
- कितना बड़ा (उम्र का) (तेरे मामा का छोरा कोडेक सै? or छोरा कोड सै?)
- कोडोड़
- कितना लम्बा (खेत में गेहूं कोडोड़ हो रहे सैं ?
- क्यूकर-ए बी
- किसी तरह भी
- टुकेक
- जरा सा, थोड़ा सा (टुकेक परे-नै सरक ले)
- तन्नै
- तुझे, तुम्हें, तेरे को
- मन्नै
- मुझे, मेरे को, मैंने
- म्हारा / म्हारो
- हमारा
- थारा / थारो
- तुम्हारा
- ज्याहें तैं
- इसीलिए तो
- जिब / जिब्बै
- तब
- जित/ जड़ै
- जहाँ
- जित-बी/ जड़ै-बी
- जहाँ भी
- ऊँ/ ऊँ-तै
- वैसे/ वैसे तो
- जणूं/ जणूं-तै
- जैसे/ जैसे कि
- न्यूंन/ न्यूंनै
- उस तरफ
- न्यूं-ऐं
- यूं ही/ ऐसे ही
- लग
- तक (मन्नै रोहतक लग जाणा सै - मुझे रोहतक तक जाना है)
- परला
- उधर वाला (परे का)
- परै/ परे-नै
- उधर/एक तरफ
- रै/ आंह-रै
- अरे
- री/ आंह-री
- अरी
- हम्बै
- हाँ
Contributed by: Dndeswal 04:52, 4 February 2007 (EST)
References
Back to Haryanavi Language