Haryanavi Language Idioms and Phrases
Introduction
The idioms and proverbs in our local languages have proved to be a source of rich knowledge about our social customs, traditions, farming methods and day-to-day living. These sayings become popular due to their sound basis and proved the test of time. Haryanavi language is no exception to it. Many proverbs have been adopted in Hindi language with a slight derivation. This section contains some popular sayings, the meanings of some of these have been given in brackets.
अ, आ
- अकल बिना ऊंट उभाणे फिरैं
- अकल मारी जाट की, राॅघङ राख़या हाली, वो उस नै काम कह, वो उस नै दे गाली
- अपनी रहिय्याँ नै न रोती, जेठ की जायियाँ नै रोवे
- अंधा न्यौतै और दो बुलावै अर तीसरा गैला आवे
- अरै, क्यूकर ब्याह में नाई की तरियां हो रहया सै ?
- अगेती फसल और अगेती मार करणियां की होवै ना कदे बी हार
- आई तीज, बिखेर गई बीज - आई होली, भर ले गई झोली
- आगै-पाछै नीम तळै ("one and the same thing")
- आड़ की पड़छाड़ की, मेरे नाना की ससुराड़
- आया मंगसिर, जाड्डा चाल्या रंग-सिर - आया पौह, जाड्डे हा हुआ छोह - आया माह, जाड्डा चाल्या राह-ए-राह - आया फागण, जाड्डा चाल्या हागण !
- आब-आब कहते मरे सिरहाणै धरया रहया पाणी (आब मतलब पानी) means use language that all understand
- औंधै जाट नै लागी अंघाई, भैंस बेच कै धोडी बसाई
- आँकल-झोट्यां का खाया कदे बेकार ना जाया करै
- आन्धी पिस्से कुत्ते खा
- आंध्यां की माखी राम उडावै
- आंध्यां बांटै सीरणी अप अपणा नै दे - औरां की के फूट-गी, आगा बढ़-कै ले
- आंधा गुरू आंधा चेला - कूंऐं में दोनूं ढ़ेल्लम-ढ़ेल्लां
- आपना मारे छाया में गेरे
इ, ई
- इबै किमै ना बिगङया, इबै तै बेटी बाप कै सै (Situation tensed but under control)
- इतनै काणी का सिंगार होगा.... मेळा बिछड़ ज्यागा
- इतनी चीकणी हांडी होती तै कुत्ते ए ना चाट लेते !
- इसा भाज्या हांडै सै जणूं गहण में चूड़े हांड्या करैं
- इसे बावळे तै भैंसवाळ में पावैंगे जो नहा कै सान्नी काटैं
- इसे पिलूरे ना पाळियो जो जाड्डे में रजाई मांगैं
उ, ऊ
ऊत न ऊत ग°गा जी के घाट पै टकरा ए जाया करै
ए, ऐ
- एक घर तै डायण भी छोड दिया करै
- एक भैंस सोवां कै गार लावै (एक सड़ी मछली सारे तालाब को गंदा करती है)
ओ, औ
- ओछा बाणियां, गोद का छोहरा, ओछे की प्रीत, बाळू की भीत - कदे सुख नहीं दें (A cunning money lender, adopted son, cruel love and a sand-wall will never give happiness)
क, ख
- काठ की हांडी रोज न चढ़ती
- कमीना का बालक त्यौहार के दिन रूस्या करै
- कद (कब) मरी मेरी सासू -- कद आये मेरै आँसू
- करजा (debt) भला ना बाप का, बेटी भली ना एक
- करमा के लेख उघाङ-उघाङ देख
- कर जावै घूंघट आळी, नाम झुरमट आळी का (someone does the mischief, blame goes to someone else)
- कदे कदे तै गधे की बी ग्यास आया करै
- काका के हाथ में कस्सी हळवी (हल्की) लाग्या करै
- काका के हाथ में कुलहाङी पैनी लाग्या करै
- काका कहे त कोए काकडी ना दे
- काग पढ़ाया पींजरै, पढ-ग्या चारूं वेद, समझायां समझया नहीं रहया ढेढ का ढेढ (You cannot educate a crow like a parrot even if you teach him in a cage, he will not understand anything just like a foolish man will remain foolish and wont change.)
- काणी के ब्याह में सौ जोखिम
- काणे, टूंडे और लंगड़े में एक ऐब फालतू-ए पाया करै
- काणे की आंख में घाला घी अर नू कह मेरी फोड दी
- काने की अर तेरी बणे नही, काणे बिना तुझे सरे नही
- काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का
- काम चुड़ैलां का, मिजाज परियां के ..
- काळे-काळे - सारे मेरे बाप के साळे
- काळे सिर आळे का कदे ना भरै (Human beings are never satisfied with their wealth)
- काया रहै निरोग जो कम खावै- उसका बिगड़ै ना काम जो गम खावै (He who eats less remains healthy. He never fails who does not get depressed)
- किमें मेरी का मन था, किमें आ-गे लणिहार
- कुत्ते कै घी हजम ना होया करै
- कुत्ते भोंके जा अर गाङी चाले जा
- कुम्हार की कुम्हारी पै तै पार बसावै ना, गधी के कान ऐंठण भाजै
- कुणबा खीर खा और देवते राजी हों (कनागत)
- के बाबा रेल में - के जेल में (Either this way, or that way)
- के जाणै भेङ बिंदौला की साह नै
- काटड़े की मां तलै 9 मण दूध, पर काटड़े का के ?
- काणे दादा पॉ लॉगू , वोहे लडाई के लच्छन
- खड़ा डरावा खेत में - ना खा, ना खाण दे
- खा तै खा घी तैं, ना तै जा जी तैं
- खाद पड़ै तै खेत, नांह तै कूड़ा रेत (Related to agriculture)
- खच्चरी मरी पड़ी सै, भाड़ा सोनीपत का ।
- खेती खसम हेती
- खांड का पानी होना अर्थ करे कराये पे पानी फिरना.
ग, घ
- गंजे रे गंजे टेरम टेर, लाठी ले के डांगर हेर
- गू खाओ तो हाथी का जो पेट भी भरे
बकरी की मिंगन का क्ये खाया जो जाड भी न भरे
- गधे की आँख में घाल्या घी - वो बोल्या मेरी तै फोड़-ए दी !
- गधे की लात अर्र बीर की जात का कोए भरोसा नही होता
- गधी मरी पड़ी, सुणपत के भाड़े करै
- गरीब की बहु गाम की भाभी
- गोदी में छोरा और गांव में ढ़िंढ़ोरा
- गोबर में डळा मारै, अर खुद छींटम-छींट
- गाम बस्या ना, मंगते फिर गये
- गादड़ बिना झाड़ी में कौन हागै ?
- गादड़–गादड़ी का ब्याह, सूसा भात न्यौतण जा । चिड़िया गीत गाती जा, लौबाँ लाकड़ी चुग ल्या ।।(this one is children's favourite)
- गादड़ की तावळ तैं बेर ना पाक्या करैं
- गादड़ी के कान ना तो छुड़ाये जां, ना पकड़े जां ! (The situation when you can neither walk on, nor walk out)
- बोळी गादड़ी के कान पकड़ना
- गादड्डी की मौत आवे जब गाम काने भाजा करे
- गावड़ी की लात खाली कोन्यां जाती
- गंडे तैं गंडीरी मीठी, गुड़ तैं मीठा राळा - भाई तैं भतीजा प्यारा, सब-तैं प्यारा साळा
- गंजी की मौत आवै जब वा कांकरां में कुल्लाबात्ती खाया करै
- गोह के जाए, सारे खुरदरे
- गुजर के सौ, जाट के नौ अर्र माली के दौ किल्ले बराबर होया करेँ
- गरीब की बहु सबकी भाभी
- घणी स्याणी दो बार पोवै - और भूखी सोवै
- घणी सराही ओड़ कुतिया मांड में डूब्या करै
- घर देख कै खावै, पड़ौसी देख कमावै (Spend according to your income and earn as your neighbor)
- घर तै जळ-ग्या पर मूस्यां कै आंख हो गई
- घर बेशक हीणा टोह दे, वर हीणा ना होना चाहिये
- घर में सूत ना पूणी, जुलाहे गैल लट्ठम-लट्ठां
- घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम
- घी होगा तै अंधेरे मैए चमक जागा
- घोड़ी नै ठुकवाई तनहाळ, तो मींडकी नै भी टांग ठाई
च, छ
- चालना राही का, चाहे फेर क्यूं ना हो । बैठना भाइयाँ का, चाहे बैर क्यूं ना हो ।।
- चोर नै फंसावै खांसी और छोरी नै फंसावै हांसी
- चोर के मन में डूम का ढांढा (चोर की दाढ़ी में तिनका)
- चोरटी बिल्ली, छीके की रुखाळी
- चाहे तै बावली सिर खुजावै ना, खुजावै तै लहू चला ले
- चुड़ा रग देख कै लठ मारया करै
- छाज तै बाजै-ए-बाजै, छालणी बी के बाजै - जिसमै 70 छेद ?
ज, झ
- जड़ै दीखै तवा-परांत, ऊड़ै गावैं सारी रात (To look for greener pasteurs)
- जाट मरया जिब जानिये जब तेरहवीं हो जाये
- जाट्टां का बूढा बुढापे मै बिगड्ड्या करे
- जाट गंडा ना दे, भेली दे (Penny wise, Pound foolish)
- जाट कहै जाटणी नै, जै गाम में सुखी रहना | कीड़ी खा-गी हाथी नै, हां-जी हां-जी कहना ।। (Jat says to his wife, "If you want to live happily in the village, then just say yes to every lie, even when someone says an ant has eaten an elephant)
- जाम दिये बाळक गूंद के लोभ में
- जेठ के भरोसे छोरी ना जामना
- जिस घर बड्डा ना मानिये, ढोरी पड़ै ना घास । सास-बहू की हो लड़ाई, उज्जड़ हो-ज्या बास ।। (A house where elders are not respected, cows are not fed well, where mother-in-law and daughter-in-law fight, that house can never flourish)
- जिस घर बड्डा ना बूझिये, दीवा जळै ना सांझ । सो घर उज्जड़ जानिये, जिस घर तिरिया बांझ ।| (In homes where elders' opinions are not valued, where lamp is not lighted in the eveningस, where women are barren, know that such a house is almost finished)
- जिब कीड़ी अंडा दे चलै, चिड़िया न्हावै धूल - कहैं स्याणे सुणो भाई, बरसण में ना हो भूल (When ants carry eggs, sparrows play in sand - then it should be presumed that rains are very near)
- जै इतनी सूधी होती तै चाचा -ताऊ कै रहती (this is used and most suited to Muslims as they marry their daughters in close relations, hence this is used just to use utmost sarcasm for girls)
- जिसी नकटी देवी, उसे-ए ऊत पुजारी
- जिस गाम में ना जाना, उसके कोस क्यूं गिने
- जिसकै लागै, वोह-ए जाणै (only the wearer knows where the shoe pinches)
- जिसकी खाई बांकळी, उसके गाये गीत
- जिसका खावै टीकड़ा, उसका गावै गीतड़ा
- जिसनै करी सरम, उसके फूटे करम
- जिसनै चलणी बाट, उसनै किसी सुहावै खाट
- जूती तंग अर रिश्तेदार नंग - सारी जगहां सेधैं
- झोटे-झोटे लड़ैं, झाड़ियां का खो
- झूठा खाणा, मीठे के लोभ मै
- जोबन लुगाई का बीस या तीस, और बेल चले नों साल. मर्द और घोडा कदे ना हो बुढा, अगर मिले खुराक |
ट, ठ
- टांग लम्बी धड छोटा वो ही आदमी खोटा
- ठाल्ली बैठे, नूण कै मांह हाथ
- ठाल्ली डूम ठिकाणा ढूंढ़ै....ठाल्ली नान काटङे मूनडे
- ठाढे की बहू सबकी दादी, माड़े की बहू सबकी भाभी (गरीब की जोरू सबकी भाभी)
ड, ढ
- डंडा सी पूंछ, भदाणी का राह (एकदम सीधा रास्ता)
- ढ़ेढ नै ढेढ गंगा जी के घाट पै टोह ले
- ढूंढ में गधा लखावै - जिसकी छोटी आँख हो
- ठाढा मारै ... रोवण दे ना, खाट खोस ले ... सोवण दे ना (Might Is Right, or The Survival of the Fittest)
त, थ
- तडके का मीह अर्र साँझ का बटेऊ टल्ल्या नही करते
- तन का उजला मन का काळा, बुगले जिसा भेस - इसां तैं तै भाई काग भला बाहर भीतर एक
- तीन पाव की 3 पोई, सवा सेर का एक । तन्नै पूत्ते 3 खाई, मन्नै चिन्दिया एक ।। (This one told by ladies)
- तीतर पांखी बादळी, दोफाहरे के पणिहार - खातिण चाल्ली इंधण नै, तीनूं नहीं भलार
- तेरे चीचड़ ना टूटैं म्हारे तैं (Means – “we are unable to serve you”)
- तेरे जामे होड़ तै इसै पाहया चालैंगे (means- Good for nothing)
- थोथा चना बाजे घना
द, ध
- दानी काल परखियो, गाय नै फागण-माह - बहू नै जिब परखियो जिब धाँस पल्लै ना (He who helps in need is great. A cow which gives an offsping in winter month, is best because it would lactate even in summer months. A woman is judged when you have no money)
- दांतले खसम का ना रोये का बेरा पाटै, ना हांसते का !
- दूसरे की थाळी में लाडू बड्डे ए दीख्या करैं
- दूसरे की सौड़ में सोवै, वो फद्दू कहावै
- दो पैसे की हांडी गई, कुत्ते की जात पिछाणी गई
- दुबली नै दो षाढ़--Sunitahooda 00:29, 3 February 2009 (EST)
- दो िदन की मुसलमानी अळलाह-अळलाह पुकाऱै
- दही के भुळामै कपास खा ज्ञाणा - To take some action without judging the underlying risk and danger.
- दूध आली की तो लात भी उट जाया करे
- दो सामण, दो भादवे, दो कात्तिक, दो माह । सोना चांदी बेच कै नाज बिसावण जा ॥
न
- नहर तले का अर्र सहर तले का मानस खतरनाक हो सै
- नई-नई मुसलमाननी अल्लाह-अल्लाह पुकारै
- न्यूं बावळा सा हांडै सै जणूं बिगड़े ब्याह में नाई
- नानी फंड करै, धेवता डंड भरै (someone does the mischief and punishment goes to someone else)
- नाइयों की बारात में सारे ठाकर हुक्का कौन भरै ?
- नाई-के-रै-नाई-के मेरे बाल कोड़ोड़ - जजमान, तेरै आगै-ए ना आ-ज्यांगे
- नीम पै तै निम्बोळी ए लागैंगी
प, फ
- पग पग पै बाजरा, मींडक कूदणी जवार - न्यूं बोवै जब कोए, घर का भरै भंडार (Related to agriculture)
- पत्थर का बाट - जितने बै तोलो, घाट-ए-घाट
- पकड़ण का ढ़ंग नहीं अर मारण की साई ले रहा !
- पानी में पादै, और बुलबुले ना ऊठैं !
- पाटडा चडतेहे रांड होगी
- पैंट की क्रीज खराब ना होण देता - और घर में मूस्से कुल्लाबात्ती करैं
- पुलिस के पीटे का आर चमस्सेय के रेह्पटे का के बुरा मानना
- पूत के पांव पालणे में ऐं दीख ज्याया करैं
- फूहड़ चालै सारा घऱ हालै
- पैसा नहीं पास मेला लगे उदास........
- फूहड़ के तीन काम हगे, समेटे अर गेरन जा..........
- फूफा कहे त कोए फुकनी ना दे ' अर काका कहे ते कोई काकडी ना दे.....
ब, भ
- बकरी दूध तै दे.. पर मींगण कर-कै
- बकरा अपनी जान तैं गया, खाण आळे नै स्वाद भी ना आया
- बटेऊ खांड-मांडे खा, कुतिया की जीभ जळै
- बढिया मिल गया तो म्हारी के भाग ना तो मरियो नाई बाह्मन (पुराने टेम मे नाई और ब्राह्मन ही रिश्ते करवते थे)
- बहू तै सुथरी सै, पर काणी सै ..औ
- बहुआं हाथ चोर मरावै, चोर बहू का भाई
- ब्याहली आंवते ही सासू मत बणिये !
- बोहड़िया का भाई, गाम का साळा
- बहू आई रीमो-झीमो, बहू आई स्याणी भोत - आवतीं-हें न्यारी हो-गी, पाथणे ना आवैं चौथ !
- ब्याह में गाये गीत सारे साची ना होते
- बाप नै ना मारी मींडकी, बेटा तीरंदाज
- बेर खावै गादड़ी, ड़ंडे खावै रीझ
- बांदरां के बीच में गुड़ की भेल्ली
- बावळा चालै तो चाल्या-ए जा
- बावला या तो गाम जावे ना, जावे तो फेर आवे ना
- बावळी गादड़ी के पकड़े कान - ना छोडे जां, ना पकड़े राखे जां
- बारह बरस में तो कुरड़ी के भी भाग बाहवड़ आया करैं
- बिटोड़े में तै गोस्से ए लिकड़ैंगे
- बिन फेरयां का खसम ....
- बुलध ना ब्यावै तै के बूढ़ा-ए ना हो ?
- बूढ़ा मरो चाहे जवान, हत्या-सेती काम
- लखमीचंद ने कहा – बुलहद सींग का, मरद लंगोट का - बाऊ नाई का जवाब – बुलहद काँध का, मरद जुबान का !
- बेईमान की रुखाळ और आँख में बाळ - दोनूं करड़े काम सैं
- बोवो गेहूं काट कपास, ना हो डळा ना हो घास (Related to agriculture)
- बिली ढूध की रुखाली
- भांग मांगै भूगड़ा, सुल्फा मांगै घी - दारू मांगै खोंसड़ा (जूता), थारी खुशी पड़ै तै पी
- भीड़ मै डळा फद्दू कै-ए लाग्या करै
- “भुस में आग ला कै दमालो दूर खड़ी”
- भूखे की बाहवड़ जाया करै पर झूठे की ना बाहवड़्या करती
- भूआ जाऊं-जाऊं करै थी, फूफा लेण आ-ग्या !
- भोई-रै भोई, तन्नै रही-सही भी खोई
- भोळा बूझै भोळी नै – के रांधैगी होळी नै - मोठ बाजरा सब दिन रन्धैं सक्कर चावळ होळी नै (On the occasion of Holi festival)
- भैंस आपणे रंग नै ना देखै, छतरी नै देख कै बिधकै
- भादवे का घाम अर साझे का काम देहि तोडा करे (bhadva i.e desi calender month)
- भीत में आला अर, घर में साला ठीक ना होते
म
- मर-गी रांड खटाई बिना ! (To demand exceptional items)
- मंगळ करै दंगळ, बुध बिछोह हो, जुमे रात( वीरवार) की खीर खा कै, जुमे(शुकरवार) को जाणा हो
- मारते माणस का हाथ पकड़ ले...बोलते की जुबान ना पकड़ी जा
- मार कै भाग ज्या, अर खा कै सो ज्या - कोई ना पकड़ सकै
- मार पाछै किसी पुकार
- मरोड़ मैं तै करोड़ लागैंगे
- मति मारी जाट की, रांघड़ राख्या हाळी - वो उसनै काम कहै, वो दे उसनै गाळी The Jat has acted foolishly by keeping a ranghar (notorious member of society) as his farm worker, each time he tells him to work, the ranghar retorts by abuses.
- मींह में मूसळ का के भीजै सै
- मूसे नै पा-गी हल्दी की गांठ - पंसारी ए बण बैठ्या
- मूसे नै पा-गी खाकी कात्तर, वो-ए थाणेदार बण बैठ्या
- मूसे नै पा-ग्या सूआ, डाक्टर-ए बण बैठ्या
- मूंगफली ऊपर पानी पी ल्यो, खांसी हो ज्यागी - काणे गैल्यां ब्याह कर ल्यो, हांसी हो ज्यागी
- मां तै तरसै चौथी-चौथी नै, बेटी बिटौड़े के बिटौड़े बक्शै
- मान ले तो आपकी भी, ना मानै तो बाप की भी
- मां पै पूत पिता पै घोड़ा, घणा नहीं तै थोड़ा-थोड़ा
- मुल्ला की दौड़ मसिजद ताही
- मीठे के लोभ में जम के गेर दिए
- महकार कुन्धरे जितनी भी कोना नाम धरवालिया गुलाबो.महकार (Fragrance),कुन्धरे(kind of veg.)
- माँ री मामा आया, बोला भाई तो मेरा ए ना है
- मिन्द्की क जुखाम होना
य
- या जुबान तो कह के भीतर बड जा फेर यु चाम बाहर पिटू जा
- यौवन लुगाई का बीस या तीस और बैल चलै नौ साल - मरद और घौड़ा कदे हो ना बूढ़ा, जै मिलता रहवै माल (खुराक) (Youth of a woman is 20 or 30, the ox remain active till 9 years, but man and horse, if given good diet, never get old)
र
- रांड तै रंडापा काट ले, रंडवे काटण दें जिब ना
- रांड तै वा हो सै जिसके मर-ज्यां भाई - खसम तै और-ऐ ना कर ले !
- रोता-सा जा, मरयां की खबर ल्यावै
- राम उसका भला करै, जो अपणा काम आप करै
- रै नाई-के, मेरे बाल कितने बड्डे सैं? - यजमान, ईब तेरै आगै-ए आ ज्यांगे !
- रूप रोवै, करम खावै
ल
- लीपण का ना पोतण का, गू कुत्त्यां का !
- लोभ लाग़या बाणिया,चूंडे लागी गाण
- लीख (ढेरे) तैं ले कै किमैं सीख - इसकी टांट नै गंजी कर दे !
- लङै बरोबर रोवे बाध
व
श, ष, स
- शान्ति-हे शान्ति ! गधे चरांती - एक गधा लंगड़ा, वो-ए तेरा बंदड़ा !
- शेरां के हाथ-मुंह किसनै धोए ..
- शेर का भाई बघेरा - वो कूदै नौ, और वो कूदै तेराह !
- शिकार के वक्त कुतिया हगाई फिरै (आग लगने पर कुंआ खोदना)
- शराबी के दो ठिकाने - ठेके पै जावै या थाने
- साझे का मारै काम और भादवे का मारै घाम
- साझे की होळी नै कोए बी जळा ज्या
- सूखा कसार खा-कै तै इसे-ए सपूत जामे जांगे
- सूधी छिपकली घणे माछर खावै
- सू-सू ना कहै, सुसरी कह दे ("Please be straightforward")
- सौ दिन चोर के, एक दिन शाह का
- सयाना कौआ गू खाया करे
- साची कहना सुखी रहना, झूठ बोले खीचा खीचा फिरे
ह
- हाळी का पेट सुहाळी खा-कै ना भरै
- हारे ओड़ कै दो लठ फालतू लाग्या करैं
- हांडी का छो बरोली पै
- हाँसी में हो-ज्या खाँसी
- हँसी-हँसी में हसनगढ़ बस-ग्या
- हाथ ना पल्ले, मियॉ मटकताऐ चाले
- हाग्या जा ना पेट पीटे
- हाथी-घोड़े बह-गे अर गधी बूझै पाणी कितना ?
- हेजली के बाळक ना खिलाने चाहियें अर च्यातर का काम ना करना चाहिये
- हडकाई गादडी के कान पकडे गए
जाटों पर कहावतें - एक वीडियो
Dndeswal 13:02, 30 June 2007 (EDT) Sunitahooda 08:49, 3 February 2009 (EST)Sunita Hooda
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