Jat ke Bacche
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हजारों मिलते है प्रमाण
जाट के बच्चे सदा वतन पे होते आये बलिदान
भीष्म जी ने इसीलिये जाटों के टील लिखे
जाटों के मील लिखे जाटों के झील लिखे
जाटो के अश्व लिखे जाटों के फ़ील लिखे
जाटों के हनुमान लिखे जाटों के नील लिखे
जाटों का सर्व जहान
हैदराबाद आर्यों का रोज जत्था जाता रहा
शेरनी का लाल वहाँ जाके डण्डे खाता रहा
पृथ्वीसिंह वहाँ जाकर चक्की चलाता रहा
लेकिन भीष्म घर में चाट पकौङी खाता रहा
मैं भी जेल जाऊँगा लोगों को बहकाता रहा
रह गई झूठी शान
Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह |
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