Champa Lal Geel

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Champa Lal Geel

Champa Lal Geel (Gdr) (02.02.1975 - 05.02.1998)- From Sanjoo village, Nagaur district, Rajasthan, 2688719, The Grenadiers Regiment, Martyr Op Rakshak (J&K). He became martyr on 5.2.1998 in Jammu and Kashmir fighting with the militants. A school is renamed after him, ‘Shaheed Champalal Gil Government Primary School, Gilon Ki Dhani' as per decision dated 8.3.2018 by Education Minister of Rajasthan Govind Singh Dotasara‎‎.[1]

पारिवारिक परिचय

शहीद चंपालाल गील का जन्म नागौर जिले के गाँव सांजू में 2 फरवरी 1975 को पिता श्री मुकनाराम जी के घर माता श्रीमति मोहनीदेवी की कोख से हुआ । आप 5 भाईयों में सबसे बड़े थे। इसलिए पारिवारिक जिम्मेदारियों का अहसास बहुत जल्दी हो गया। आपका विवाह कसणाऊ निवासी श्री चत्तराराम जी की पुत्री इंद्रा देवी के साथ सम्पन्न हुआ । आपके पुत्र का नाम महिपाल (18 वर्ष) है ।

शिक्षा

शहीद चंपालाल गील ने 12 वीं तक राजकीय विधालय, सांजू से शिक्षा ग्रहण की थी । आपमें विधार्थी जीवन से ही देशभक्ति की भावना प्रज्ज्वलित हो चुकी थी।

सेना में चयन

अध्यापन काल के दौरान ही आपने सेना में जाकर भारत माँ की सेवा करने को अपना लक्ष्य बना लिया । 12 वीं तक शिक्षा करने के पश्चात आप सेना मेँ चयन हेतु जी-तोड़ मेहनत करने लगे और इस तरह वर्ष 1995 में आपका चयन भारतीय सेना की "3 ग्रेनेडीयर्स रेजिमेंट" में सिपाही के रूप मेँ हुआ । 28 अगस्त 1995 को आपने अपना नियुक्ती पत्र ग्रहण किया ।

देशसेवा में बलिदान

वर्ष 1998 में आप श्रीनगर के मंगत सैक्टर में तैनात किये गये । उस रात इन्हें सूचना मिली की कुछ आतंकी भारतीस सीमा में प्रवेश कर रहे हैं । उस समय चलाये गये 'ऑपरेशन रक्षक-3' में आपने साहस व शौर्य का अप्रतीम परिचय दिया। दुश्मन की गोली लगने के कारण हमारे जाबांज सिपाही चंपालाल जी गील भारत माता के आँचल में चिरनिद्रा में सौ गये । 12 राष्ट्रीय रायफल के सिपाही शहीद चंपालाल गील (2688719W GDR) 5 फरवरी 1998 को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए ।

"किसी का चिह्न वोटोँ पे,
किसी का चित्र नोटोँ पे,
शहीदोँ तुम ह्रदय मेँ हो,
तुम्हारा नाम होठोँ पे"

सेना मेडल

सेना मेडल

शहीद चंपालाल गील को मरणोपरांत उनके अदम्य साहस व वीरता के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया।

शहीद का अंतिम संस्कार

शहीद स्मारक

दिनांक 9 फरवरी 1998 को प्रात: 10:00 बजे शहीद चंपालाल का शव उनके पैतृक गांव सांजू लाया गया । समस्त ग्रामवासीयोँ की आँखे इस बेटे का मुख देखकर छलछला उठी । शहीद के अंतिम संस्कार मेँ हजारोँ की तादाद मेँ लोग इक्कठे हुए । नागौर जिले के पदाधिकारी, राजनितिक शख्सियतोँ ने अंतिम यात्रा मेँ सम्मिलित हो शहीद को अंतिम विदाई दी ।

मूर्ति अनावरण

शहीद के भाई गोपालराम गील ने ग्राम सांजू मेँ शहीद चंपालाल की मूर्ति लगाने का निश्चय किया। दिनांक 5 जून 2013 को भव्य व विशाल मूर्ति का अनावरण किया गया । हजारों की संख्या में लोगों ने पहुंचकर उस पल को ऐतीहासिक बना दिया।


समस्त देशवासियोँ को शहीद चंपालाल जी जैसे वीर सैनिको पर नाज है, जो अपने प्राणोँ की आहूति दे कर करोड़ोँ जानोँ की हिफाजत करते हैँ । शहीद चंपालाल की शहादत को देश युगोँ युगोँ तक याद रखेगा । ॥ जय हिँद ॥

लेखक: बलवीर घिंटाला तेजाभक्त

ग्रेनेडियर चंपा लाल गील का संक्षिप्त जीवन परिचय

ग्रेनेडियर चंपा लाल गील

2688719

02-02-1975 - 05-02-1998

सेना मेडल (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती इंद्रा देवी

यूनिट - 12 राष्ट्रीय राइफल्स/3 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट

आतंकवाद विरोधी अभियान

ग्रेनेडियर चंपा लाल का जन्म 2 फरवरी 1975 को राजस्थान के नागौर जिले के सांजू गांव में श्री मुकनाराम गील एवं श्रीमती मोहिनी देवी के परिवार में हुआ था। राजकीय विद्यालय, सांजू से 12 वीं तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात 28 अगस्त 1995 को वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 3 ग्रेनेडियर्स बटालियन में ग्रेनेडियर के पद पर नियुक्त किया गया था।

कुछ वर्ष अपनी मूल बटालियन में सेवाएं देने के पश्चात उन्हें जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में 12 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ प्रतिनियुक्त किया गया। इस बटालियन के ऑपरेशन का क्षेत्र अत्यंत ही संवेदनशील था और वहां सदैव सीमापार से आतंकवादियों के प्रवेश की आशंका रहती थी। अतः सैनिकों को सदैव सतर्क रहना होता था।

5 फरवरी 1998 को गोपनीय सूत्रों से बटालियन के परिचालन क्षेत्र में कुछ आतंकवादियों की उपस्थिति से संबंधित विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई। सूचना के आधार पर बटालियन द्वारा मंगत सेक्टर में SEARCH & DESTROY ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया गया।

योजना के अनुसार ग्रेनेडियर चंपा लाल और उनके साथियों ने संदिग्ध क्षेत्र में पहुंचकर ऑपरेशन आरंभ किया। सैनिकों को देखते ही, छिपे हुए आतंकवादियों ने गोलियां चलाई और अनेक घंटों तक वहां तीव्र गोलीवर्षा हुई। ग्रेनेडियर चंपा लाल और उनके साथियों ने कुछ आतंकवादियों को मार गिराया और अन्य को घेरते रहे। किंतु इस भीषण मुठभेड़ में ग्रेनेडियर चंपा लाल को गोलियां लग गई। वह गंभीर रूप से घायल हो गए और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।

ग्रेनेडियर चंपा लाल को उनके सराहनीय साहस, सौहार्द की भावना, कर्तव्य के प्रति समर्पण और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत "सेना मेडल" सम्मान दिया गया।

लेखक - रमेश शर्मा

References


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