Chandra Singh Burdak

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Chandra Singh Burdak and Kunwar Fateh Singh of Palthana

Chandra Singh Burdak (born:1875), from village Palthana (Sikar, Rajasthan) was a leading Freedom Fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.

जीवन परिचय

सन 1925 में पुष्कर सम्मलेन के पश्चात् शेखावाटी में दूसरी पंक्ति के जो नेता उभर कर आये, उनमें आपका प्रमुख नाम हैं [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....चौधरी चंद्रारामजी - पृ.313]: जिसने अपने बाहुबल और सैनिक चातुर्य से और


[पृ.314]: मुल्क दोनों में ही नाम पैदा किया वे पलथाना के सूबेदार चौधरी चंद्रा रामजी हैं। आपका जन्म संवत 1932 (=1875 ई.) में पल थाना के चौधरी विरधाराम जी के घर हुआ था। आप बुरडक गोत्र के जाट सरदार हैं।

आप सन 1902 में फौज में सिपाही के दर्जे से भर्ती हुए और सन 1903 में ईरान और अरबी स्थान में आप मोर्चे पर भेजे गए। सन 1910 से 12 तक ईरान में रहे और बराबर ओहदों की तरक्की पाते रहे। और सन 1915 में सूबेदार हो गए। जर्मन महायुद्ध के खत्म होने पर सन 1920 में आपने पेंशन ले ली। आप के पुत्र फतेह सिंह गुजर चुके हैं। 3 पौत्र हैं- 1. देव सिंह, 2. प्रेमसुख और 3. चेतराम उनके नाम नाम हैं।

आप सीकर महायज्ञ के समय यज्ञ कमेटी के कोषाध्यक्ष थे।

सन् 1938 में दशहरा दरबार पर सीकर ठिकाने की ओर से आपको सिरोपाव मिला है जिसमें दो दुशाले, एक अचगन, एक दुपट्टा, एक पगड़ी और जवाहरात की कंठी है। इस प्रकार आप और सरकार दोनों में इज्जत प्राप्त हैं।

सीकर के सोये हुये किसानों को जगाने का श्रेय

महावीर सिंह जाखड़[3] ने लिखा है कि सीकर के सोये हुये किसान शेरों को जगाने का श्रेय ठाकुर देशराज, जघीना (भरतपुर) को जाता है। पुष्कर के जाट अधिवेशन के बाद यह जागृति ज्यादा आई। इस आंदोलन में सबसे ज्यादा जुझारूपन पलथाना के बुरड़कों ने दिखाया। सूबेदार - चन्द्र सिंह (मदू), हरी सिंह, हरदेव सिंह, जेसा राम, भाना राम, गणपत राम, व पेमा राम आदि यहाँ के प्रमुख सेनानी थे। यहाँ के बुरड़क रतनगढ़ तहसिल के सुलखनिया गांव में बसे हैं। उन्होने भी मेघसिंह के नेतृत्व में ( 6 भाई - मेघ सिंह, धाला राम, अमरा राम, मुखा राम, माना राम व लिखमा राम) सामंती उत्पीड़न के विरुद्ध हर संघर्ष मे ताल ठोक कर भाग लिया तथा फतेह हासिल की। अमरा राम आजाद हिन्द फौज के सेनानी रहे। श्री मेघ सिंह एवं धाला राम ने मरू-भूमि में शिक्षा प्रसार हेतु स्वामी नित्यानंद से खिचिवाला जोहड़े में विद्यालय शुरू करवाया।

External links

References

  1. राजेन्द्र कसवा: मेरा गाँव मेरा देश (वाया शेखावाटी), जयपुर, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, P. 100
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.313
  3. Jaton Ke Vishva Samrajya aur Unake Yug Purush Part 1/Chapter 10, p.93

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