Chhori
पढ करके कन्या गुरुकुल से जो छोरी निकलेंगी
सीता सती पदमावती ओर गौरी निकलेंगी
पढ कर के यह मेरी बहना
रक्खें कर में खंजर पैना
सेना कभी जब दुश्मन की या ठोरी निकलेंगी
इन देवियों के जरिये खून की मोरी निकलेंगी
जब वह चले जोश में
डरके दुश्मन भाग जायेंगे
लेकर के हाथ में खंजर ओर लठैरी निकलेंगी
दिल्ली का किला तोङने को किशोरी निकलेंग
महामाया ओर लक्ष्मी बाई
कर दुश्मन की खूब सफ़ाई
खाई बना के लाशों की चोरा चौरी निकलेंगी
जिनके नाम की अखबारों में थ्यौरी निकलेंगी
पृथ्वीसिंह बेधङक बताता
जब खुश होगी भारत माता
फ़िर बाजार में से चकले वाली सोहरी निकलेंगी
Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह |
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