Chuntisara

From Jatland Wiki
(Redirected from Chutisara)

Chuntisara (चुंटिसरा) (Chutisara) is a large village in Nagaur tehsil and district in Rajasthan.

Location

Origin

The Founders

History

ठाकुर देशराज[1] लिखते हैं कि मारवाड़ में चुंटीसरा नामक गाँव है । उसमें एक बड़े प्रसिद्द जाट-भक्त हुए हैं । वे सदारामजी महाराज के नाम से पुकारे जाते हैं । रेवाड़ गोत्र के जाट परिवार में उनका जन्म हुआ था । उनके 24 शिष्य थे, जिन्होंने राजस्थान के विभिन्न भागों पर मंदिर स्थापित किये । सभी जातियों के लोग उनकी प्रशंसा करते हैं और श्रद्धा के साथ उनका स्मरण करते हैं । उनके मंदिर निम्न स्थानों में हैं -

1. Chuntisara (चुंटीसरा), 2. Balaya (बलाया), 3. Barangaon (बरणगांव), 4. Phirod (फिड़ोद), 5. Kharnal (खरनाल), 6. Nagaur (नागौर), 7. Phalaudi (फलौदी), 8. Marwar Mundwa (मारवाड़ मुंडवा), 9. Sujangarh (सुजानगढ़) (Bikaner), 10. Utalad (उटालड़) (D.Churu), 11. Desh (देश), 12. Teu (टेऊ), 13. Dulchasar (दुलचासर), 14. Nathasar (नाथासर), 15. Bikaner (बीकानेर), 16. Raghunathsar (रघुनाथसर), 17. Mastramji Acharyon Ke Chok Men (मस्तरामजी आचार्यों के चोक में), 18. Vinaniya Ke Chok Men (विनानिया के चोक में), 19. Ganvren (गांवरेन), 20. Gachhipura (ग़च्छीपुरा), 21. Jodhpur (जोधपुर), 22. Udaipur (उदयपुर), 23. Jaipur (जयपुर), 24. Nagaur (नागौर) ।

इनके शिष्यों में जोधपुर में जाटों के बास में मूरदास जी के नाम से मशहूर संत हुए हैं ।

Jat Gotras

Population

According to Census-2011 information:

With total 480 families residing, Chuntisara village has the population of 2996 (of which 1556 are males while 1440 are females).[2]

Notable Persons

  • चूअरजी जाट - चोटी सराय में चूअरजी नाम के जाट शहीद हुए हैं । उनकी पूजा की जाती है । वहां पर उनकी मूर्ति भी बनी हुई है, किन्तु कोई शिलालेख नहीं है । बहुत सम्भव है कि अधिक खोज करने पर शिलालेख भी मिल जाए । वहां उन्हें चूअरजी जाट जूझा के नाम से पुकारते हैं । जूझा के अर्थ शहीद होते हैं । धर्म, देश और जाति की रक्षा के लिए जो युद्ध-क्षेत्र में मारे जाते हैं, उन्हें जूझा कहते हैं और जो विधर्मी तथा विजातीय लोगों पर विजय पाते हैं, उन्हें बली अथवा महावीर कहने की प्रथा प्राचीन लोगों में थी । पीछे महावीरबली की जगह भूमिया शब्द का प्रयोग होने लग गया था । भूमिया लोंगों की पूजा भी होने लग गई है।[3]

External Links

References


Back to Jat Villages