Devinder Singh Jass

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Devinder Singh Jass

Devinder Singh Jass (Captain) (29.09.1983 - 23.02.2010), Kirti Chakra, became The Martyrs of Militancy at Sopore village in District Baramulla of Jammu and Kashmir on 23.02.2010.

कैप्टन देविन्दर सिंह जस्स

कैप्टन देविन्दर सिंह जस्स

29-09-1983 - 23-02-2010

कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - 1 पैराशूट रेजिमेंट (RED DEVIL)

ऑपरेशन रक्षक 2010

कैप्टन देविंदर सिंह जस्स का जन्म 29 सितंबर 1983 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद नगर में सरदार श्री भूपिंदर सिंह जस्स एवं श्रीमती दलबीर कौर के परिवार में हुआ था। उन्होंने मथुरा में जी.एल.ए. विश्वविद्यालय से अपनी इंजीनियरिंग की और फिर 2007 में आईआईआईटी इलाहाबाद से एमबीए किया। उन्हें एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी मिली थी परंतु वे भारतीय सेना में जाना चाहते थे।

उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून में प्रवेश लिया। IMA देहरादून में एक वर्ष प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात वर्ष 2008 में उन्हें भारतीय सेना की कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था। कैप्टन जस्स एक कठिन परिश्रमी सैनिक थे, अतः उन्होंने विशेष बलों में जाने का निर्णय किया। कठोर चयन प्रक्रिया और कठोर प्रशिक्षण के पश्चात जनवरी 2009 मेंं उन्हें 1 पैराशूट रेजिमेंट में नियुक्त किया गया। नवंबर 2009 में उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियानों में जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया था।

22 फरवरी 2010 को, गोपनीय सूत्रों से सुरक्षा बलों को बारामूला जिले के सोपोर कस्बे के अत्यंत भीड़भाड़ वाले चिंकीपोरा क्षेत्र में कुछ कट्टर आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना प्राप्त हुई। इन आतंकवादियों को निष्क्रिय करने के लिए एक SEARCH & DESTROY ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया गया। यह TASK 1 पैराशूट बटालियन को सौंपा गया। कैप्टन देविंदर सिंह को इस ऑपरेशन में अपने कमांडो का नेतृत्व करने का आदेश दिया गया। कैप्टन देविंदर सिंह त्वरित सक्रिय हुए और 23 फरवरी 2010 की तड़के उन्होंने ऑपरेशन आरंभ किया। आतंकवादी संदिग्ध क्षेत्र में एक आवासीय भवन में छिपे हुए थे, जिसे कमांडो दस्ते ने सुनियोजित रूप से घेर लिया। आत्मसमर्पण की चुनौती दिए जाने पर आतंकवादियों ने कमांडो दस्ते पर गोलियां चलाईं।

भोर में 4.45 बजे कैप्टन देविंदर सिंह के नेतृत्व में आक्रमण करने वाले दस्ते ने संदिग्ध भवन पर धावा बोल कर भीतर जाने का निर्णय किया। आतंकवादियों को इस कार्रवाई की आशंका थी अतः वो पहले से ही भवन के भीतर सुविधाजनक स्थानों पर स्थिति लिए हुए थे। आतंकवादी भारी स्वचालित हथियारों से लैस थे और संख्या में अधिक थे। जब कैप्टन देविंदर सिंह और उनके कमांडो धावा बोल कर भवन का दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़े, तो आतंकवादियों ने उन पर विभिन्न दिशाओं से स्वचालित हथियारों और हथगोलों से आक्रमण किया। इसके पश्चात हुई भयानक गोलीबारी में भी असाधारण साहस का प्रदर्शन करते हुए कैप्टन देविंदर सिंह ने दो आतंकवादियों को मार गिराया। परंतु दोनों और से हुई गोलीबारी में कैप्टन देविंदर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।

कैप्टन देविंदर सिंह जस्स को उनके असाधारण साहस, धैर्य, दृढ़ संकल्प, अडिग भावना कुशल नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत "कीर्ति चक्र" से सम्मानित किया गया।

स्रोत


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