Dharsul

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Dharsul (धारसूल) is a village in Tohana Tehsil of Fatehabad district in Haryana. Dharsul has got two twin names: Dharsul Kalan and Dharsul Khurd

Origin

Location

Village - Dharsul Khurd ( धारसूल खुर्द). Tehsil - Tohana District - Fatehabad Haryana Village is 12 Km away from Tohana and 32 Km from Fatehabad. Pincode - 125106, Post - Dharsul Kalan . आसपास के गांव - धारसूल कलां, दीवाना, सलेमपुरी, गुलरवाला, कानाखेड़ा, ननाहेरी, रूपांवली, कुल्लन

Jat Gotras

History

भटिण्डा के इलाकों को अपने राज्य में मिला लेने के बाद सरदार आलासिंह ने 'भोलाड़ा' और 'बूहा' के नव मुस्लिम राजपूतों की तरफ मुंह फेरा। थोड़ी सी लड़ाई के बाद ये उन पर विजयी हुए और उनके इलाके में से भोलेड़ा भाई गुरुबख्शसिंह को देकर बाकी पर अपना कब्जा किया। 1707 ई० तक उन्होंने अपने पुत्र कुंवर लालसिंह और अपने भुजाओं के बल पर मूनक, टोहाना, जमालपुर, धारसूल और सिकरपुरा को अपने कब्जे में कर लिया जो कि नौमुस्लिम भट्टी राजपूतों के अधिकार में थे। मालेर कोटला के पठानों से भी मुठभेड़ हुई और उनके इलाके में से 'शेरपुरा' और 'पहोड़' को छीनकर अपने कब्जे में कर लिया। आपके पोते कुंवर हिम्मतसिंह ने मालेर कोटला के नवाब जमालखां के बेटे भीखम से इसी लड़ाई में एक बहुत बढ़िया विलायती तलवार छीनी थी, जो पटियाला में सुरक्षित रखी गई।

Ala Singh again attacks the Bhattis

Lepel H. Griffin[1] writes that Sirdar Lal Singh and his father then overran the district of Sohana, Jamalpur, Dharsul and Shikarpur, belonging to Muhammad Amin Khan and Muhammad Hassan Khan, Bhattis. These Chiefs invited the Imperial Governor of Hissar to help them, and he sent a detachment ; but, in the engagement which followed, at Khodal near Akalgarh, the Bhattis were defeated ; nor was their second venture more fortunate, for, after three days skirmishing, Ala Singh made a night attack on the Bhatti camp which was completely successful and Muhammad Amin escaped with difficulty and fled to Hissar. He then, to ensure cordial assistance from Nawab Nasir Khan, the Governor, gave him his daughter in marriage and set to work to raise as large a force as possible, hoping to retrieve his past defeats. The Sikhs and


[p.24]: the Bhattis, supported by the Imperial troops, met at Dharsul, but neither party cared to risk a general engagement. For seven or eight days the hostile forces lay opposite each other, skimishing and fighting in a desultory manner; and it was more the chance of the death of Nasir Khan, the Governor, which gave the victory to the Sikhs, for the Imperial troops disheartened by the loss of their leader left the field, and the Bhattis were then at once attacked by Ala Singh with all his troops and put to flight with great loss. This engagement, which did much to consolidate Ala Singh's power and increase his reputation, was fought in 1757.

मदेरणा गोत्र की वंशावली

पंडित अमीचन्द्र शर्मा[2] ने लिखा है - पटियाला रियासत में धारसूल ग्राम मदेरणा गोत्र के जाटों का एक बड़ा गाँव है। मदेरणा गोत्र का एक बड़ा गाँव सांगा रियासत जींद में भी है। सांगा गाँव के मदेरना गोत्र के जाटों की वंशावली निम्नानुसार है:

1 चाहू, 2 बूड़ा, 3 माणक, 4 जाला, 5 पूना, 6 सेखा, 7 अतमल, 8 दादू, 9 नारायनदास, 10 छज्जू, 11 रामकौर, 12 चेतू, 13 फूलू, 14 बाला, 15 हरसूख, 16 जीराम, 17 ऊदा, 18 सोहन, 19 जयगोपाल

सांगा के मदेरना गोत्र के जाटों का पहला निकास धारसूल है। दूसरा निकास बैहलंभा गाँव जिला रोहतक है, तीसरा निकास बौंद ग्राम जो रियासत जींद में है। सांगा के मदेरना जाटों का कोई बड़ा बौन्द से चलकर सांगा ग्राम में आकर बस गया। यह रियासत जींद में है। यह विवरण सांगा के चौधरी रामबकस ने लिखाया।

Jat Monuments

Temples

Notable persons

  • जसबीर सिंह मदेरणा

Population

जनसंख्या - जनगणना 2011के अनुसार गांव धारसूल खुर्द की जनसंख्या 1961 है जिसमें 1037 पुरुष व 924 महिला तथा 358 रिहायशी मकान हैं ।

External Links

References


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