Dilbag Singh

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Dilbag Singh

Dilbag Singh (LNK), Shaurya Chakra, played important role in Operation Blue Star in 1984. He belongs to village Daulatabad in Gurgaon district of Haryana. Unit: 20 Rajputana Rifles.

लांस नायक दिलबाग सिंह

लांस नायक दिलबाग सिंह

शौर्य चक्र

यूनिट - 20 राजपुताना राइफल्स

ऑपरेशन ब्लू स्टार

लांस नायक दिलबाग सिंह का जन्म 2 जनवरी 1958 को पंजाब (अब हरियाणा) के गुड़गांव जिले के दौलताबाद गांव में श्री राम नारायण के घर में हुआ था। वह शारीरिक रूप से अति बलिष्ठ थे , अतः पाँचवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात वे मल्लयुद्ध के क्षेत्र में उतर गए। शीघ्र ही, वह अपने जिले में प्रतिष्ठित मल्ल योद्धा बन गए।

एक जिला स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में वे राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट के अधिकारियों के संपर्क में आए थे। इस प्रकार 6 मई 1977 को वे राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात चार वर्ष तक वह रेजिमेंटल सेंटर पर मल्लयुद्ध में सर्वश्रेष्ठ रहे। वर्ष 1981 में उन्हें फैजाबाद में नव गठित की जा रही 20 राजरिफ बटालियन में राइफलमैन के पद पर नियुक्त किया गया था।

वर्ष 1984 में पंजाब में आतंकवाद चरम पर पहुंच गया था। खालिस्तानी आतंकवादियों ने पवित्र स्वर्ण मंदिर परिसर पर अधिकार कर लिया था और वहां किलेबंदी कर उसे अपना मुख्यालय बना लिया था। अतः स्वर्ण मंदिर परिसर पर नियंत्रण स्थापित करने और परिसर को मुक्त कराने के लिए 1 जून 1984 से 8 जून 1984 के मध्य भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था। 20 राजरिफ बटालियन को भी ऑपरेशन 'ब्लूस्टार' में भाग लेने के लिए अमृतसर कूच करने का आदेश दिया गया।

'ऑपरेशन ब्लूस्टार' में, 7/8 जून, 1984 की रात्रि को, 20 राजरिफ की 'B' कंपनी के लांस नायक दिलबाग सिंह एक खोज दल के सदस्य थे, जिसे मंदिर परिसर के पूर्वी छोर से आतंकवादियों को निष्कासित करने का कार्य सौंपा गया था। जब कंपनी के अग्रणी सैन्यदल भवन समूह के निकट पहुंचे, तो आतंकवादियों ने 'B' कंपनी के समर्थन समूह पर तोप चलाई। आतंकवादियों ने भवन की छत से भी गोलीबारी आरंभ कर दी।

ऐसी स्थिति में, तत्क्षण उनके कंपनी कमांडर कैप्टन के. एस. चौधरी ने "राजा रामचंद्र की जय" (राजरिफ युद्धघोष) का घोष किया। यह युद्धघोष सभी सैनिकों को किसी भी बाधा पर ध्यान नहीं देते हुए आक्रमण करने का संकेत था। आक्रमण आरंभ होते ही लांस नायक दिलबाग सिंह BOUNDARY WALL पर स्थापित आग उगल रही तोप की ओर दौड़ पड़े। अपने चारों और चलती हुई गोलियों पर ध्यान नहीं देते हुए, उन्होंने BOUNDRY WALL पार की और वहां उन्होने अपने कंपनी कमांडर को एक कटार लिए हुए आतंकवादी के साथ गुत्थमगुत्था होते पाया।

लांस नायक दिलबाग ने त्वरित भड़के हुए सांड की भांति उस आतकंवादी पर झपट कर उसकी कृपाण छीन ली और उसके पैरों पर गोली मारकर उसे पंगु कर दिया। उनकी इस साहसिक कार्रवाई से उनके कंपनी कमांडर को तोप पर अधिकार करने में सुविधा हुई और साथ ही उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा पर आए गंभीर संकट और शारीरिक क्षति से भी उनकी सुरक्षा हुई। इस कार्रवाई में लांस नायक दिलबाग सिंह ने व्यक्तिगत सुरक्षा की पूर्णतः अवहेलना करते हुए अद्भुत आत्मबल, दृढ़ संकल्प और अनुकरणीय वीरता का परिचय दिया।

लांस नायक दिलबाग सिंह को उनके उच्च कोटि की वीरता और कर्तव्य के प्रति निस्वार्थ समर्पण के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

चित्र गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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