Haryana Ke Vir Youdheya/आवरण पृष्ठ
इतिहास विषयक आवश्यक सूचना
हरयाणे के वीर यौधेय नामक ऐतिहासिक ग्रन्थ का प्रथम खण्ड पाठकों के सम्मुख उपस्थित है । इस प्रकार के चार खण्डों में यह ग्रन्थ पूरा होगा । इसके 'द्वितीय खण्ड के प्रकाशन की भी शीघ्र ही व्यवस्था कर रहे हैं । इसी प्रकार तृतीय और चतुर्थ खण्ड भी निकट भविष्य में पाठकों की सेवा में पहुँच सकेंगे ।
शिवरात्रि २०२५ वि० तक अगाऊ मूल्य देकर ग्राहक बनने वालों को चारों खण्ड १५) रुपयों में मिल सकेंगे ।
-व्यवस्थापक
इस ग्रन्थ के सब अधिकार प्रकाशक के अधीन हैं ।
समर्पणम्
- भगवान् देवः
समर्पण
जीवन के अनेक वर्षों का मूल्यवान समय और जनता का लाखों रुपया इस इतिहास के शोध तथा खोज में लगा दिया । यह सब देवपुरुष महर्षि दयानन्द की देन और महती कृपा का ही फल है । इसलिये उनकी दया से जो कुछ थोड़ा बहुत सीखा उसे जनता की सेवार्थ समर्पित करने का यत्न किया । इसमें मेरा कुछ नहीं, सब कुछ देव दयानन्द का ही है । इसलिये हरयाणे के वीर यौधेय पुस्तक उनकी स्मृति उन्हीं के चरणारविन्दों में सादर समर्पित है ।
- भगवान् देव
मुद्रक - वेदव्रत शास्त्री, आचार्य प्रिंटिंग प्रैस, दयानन्द मठ, रोहतक
Conversion of the text of original book into Unicode supported electronic format by Dayanand Deswal दयानन्द देसवाल |
Back to Index हरयाणे के वीर यौधेय or Go to next chapter दो शब्द