Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu/Sarvakhap

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Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, Agra, 2004

Author: Dr Ompal Singh Tugania

Publisher - Jaypal Agencies, Agra-282007


अध्याय 6. सर्वखाप-व्यवस्था

अध्याय-6: सारांश

विभिन्न खेपों का विवरण और उनके प्रमुखों के चयन की व्यवस्थाएं, सर्वखापों का विभिन्न मुस्लिम शासकों के विरुद्ध मोर्चा खोलना, सर्वखापों की संख्या घटती बढ़ती रही, सर्वखाप ने कई बादशाहों को सहायता दी, खापों की मल्ल व्यवस्था, सर्वखाप पंचायत की सेना, सर्वखाप पंचायत एक लोकतांत्रिक व्यवस्था, सर्वखाप व्यवस्था का रक्तरंजित इतिहास, सर्वखाप पंचायत का रिकॉर्ड, विभिन्न खापों का संक्षिप्त विवरण, सर्वखाप पंचायतों का आयोजनात्मक इतिहास.

अध्याय 6. सर्वखाप-व्यवस्था
प्रमुख खापों का संक्षिप्त विवरण

पृ.13: अहलावत, 2. काकोर, 3. करनावल

जब कोई समस्या खाप द्वारा भी नहीं सुलझ पाती तब सर्वखाप पंचायत का आयोजन किया जाता है. इस पंचायत में तो हर समस्या का समाधान हो ही जाता है क्योंकि इसके फैसले को दोषी पक्ष मानने को विवश होता है. दूसरा कारण यह भी है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है यदि वह सर्वखाप पंचायत के फैसले को ठुकरा देता है तो वह पंचायत के कठोर सामाजिक डंडों का सामना नहीं कर पाएगा. वह समाज से कटकर विभिन्न प्रतिबंधों के चलते ज्यादा दिन जीवित भी नहीं रह पाएगा.

कई बार सर्वखाप पंचायत का आयोजन तब होता है जब कोई ऐसी समस्या आ खड़ी हुई हो जिससे संपूर्ण जाति का अस्तित्व खतरे में हो अथवा राष्ट्र संकट में हो. नादिर शाह, अब्दाली, तैमूर, औरंगजेब आदि के जुल्मों का सामना करने के लिए सर्व खाप के पंचायती मल्लों का बलिदान सर्वविदित है.

सर्व-खाप पंचायत ने जहां इल्तुतमिश, रज़िया, बहादुर शाह और महाराजा सूरजमल, राजा नाहर सिंह का साथ दिया वहीं धर्मान्ध और जालिम बादशाहों से डटकर टक्कर भी ली.

सर्वखाप पंचायत में भाग लेने के लिए जाटों की विभिन्न खापों की संख्या सदैव घटती-बढ़ती रही है. कुछ खास अन्य खापों में विलीन हो गई और कुछ ने अपना नाम और सीमा क्षेत्र बदला फिर भी इनका महत्व कभी कम नहीं हुआ.

प्रमुख खापों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-

1. अहलावत खाप - हरियाणा प्रदेश के जिला रोहतक में इस खाप के 26 गांव हैं. इनमें गोच्छी, शेरिया, भम्भेवा, बरहाना, धान्दालान आदि प्रमुख गांव हैं. इस गांव का मुख्यालय गांव डीघल है. "जाट वीरों का इतिहास" के लेखक कैप्टन दलीप सिंह अहलावत इसी खाप की देन हैं.

2. ककोर खाप - उत्तर प्रदेश के जिला बागपत में ककोर खाप के करीब 24 गांव हैं जिसे चौबीसी खाप भी कहा जाता है. गांव ककोर में इस खाप का मुख्यालय है. इस खाप में राणा गोत्र के जाटों का बाहुल्य है. पूर्व कृषि मंत्री श्री सोमपाल शास्त्री इसी गांव के मूल निवासी हैं.

3. करनावल खाप - उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद में इस गांव के करीब 20 गांव हैं जिनमें सरूरपुर, घरर, पथौली और करनावल आदि प्रमुख हैं. इस खाप में विभिन्न गोत्रीय के गांव शामिल हैं.

पृ.14: 4. कालखन्दे, 5. काकराणा, 6. कालू, 7. कुण्डू, 8. खड़ेरिया, 9. खुटेला, 10. गठवाला, 11. गावर

4. कालखंदे खाप - यह खाप उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की शामली तहसील के आसपास स्थित है. बनत, खेड़ी कर्मू, लिलोन और सम्भालखा इस खाप के प्रमुख गाँव हैं. शामली के नरवाल गोत्रीय जाटों से इन कालखंदे चौहानों का भाईचार चला आ रहा है. बहुत पहले इन्होंने अपने को कालखंदे लिखना शुरू कर दिया था. वैसे कलखंदे चौहान वंशी हैं.

5. काकराणा खाप - उत्तर प्रदेश के जिले मेरठ के गांव मसूरी, वणा, राफण और पहाड़पुर तथा जिला मुजफ्फरनगर के गांव राजपुर, तिलोरा, मीरापुर, दलपत, फईमपुर और काकरोली मिलकर काकराना खाप का निर्माण करते हैं. यह छोटी खाप है.

6. कालू खाप - पंजाब प्रांत के जिला गुरदासपुर में 50 गांव की यह खाप है. इसी खाप से जुड़े 20 गांव जिला मथुरा (उत्तर प्रदेश) के गोवर्धन क्षेत्र में फैले हुए हैं. जिनमें हकीमपुर प्रमुख हैं. इनके अतिरिक्त इस खाप में जिला बुलंदशहर के 4 गांव, जिला मैरठ के 2 गांव, जिला मुजफ्फरनगर के 6 गांव, हरियाणा के रोहतक जिले के 10 गांव, हिसार में गांव सिसाय तथा मुरादाबाद में लोदीपुर गांव सम्मिलित हैं.

7. कुण्डू खाप - कुण्डेराज के वंशजों पर आधारित कुंडू खाप में हरियाणा प्रदेश के जिला जींद में 10-12 गांव, जिला सोनीपत में बुटाना, ढुराणा, रोहतक में टिटोली, सुंदरपुर, झज्जर जिले में चांदपुर, पानीपत में काथ, शाहपुर, वीजावा, तथा उत्तर प्रदेश प्रांत के जिला बागपत में गांव हेवा सम्मिलित हैं, यह चौहान वंशी हैं.

8. खड़ेरिया पाल - उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ में इस खाप के करीब 60 गांव हैं. घरबरा, टप्पल, बजोता, जट्टारी और उसरह आदि इस पाल के मुख्य गांव हैं. खडेहा और मोहना हरियाणा इस खाप के बड़े गांव हैं. धतीर क्षेत्र से गए 12 गांव डागर गोत्रीय जाटों के भी इसी पाल में शामिल हैं. डागरों के नेता चौधरी स्वराज सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं.

9. खुटैला पाल - इस खाप में भरतपुर और मथुरा जनपदों के करीब 282 गांव शामिल हैं. किसी समय सिनसिनवारों और खुटैला का सिन-खुटैला नामक संयुक्त संघ बना था. इस खाप में अडींग, सोंख, सांतरूक, मगोर्रा आदि ऐसे प्रसिद्ध गांव हैं जिनमें जाटों की गढ़ियाँ थी जो सदैव मुगलों का निशाना बनी रहीं. चौधरी हटी सिंह इसी खाप के प्रसिद्ध जाट-वीर हुये हैं.

10. गठवाला खाप - इस खास में 52 गांव होने के कारण इसे बावनी खाप भी कहा जाता है. इसका मुख्यालय गांव लिसाढ़ तथा फुगाना कुरमाली, कुरमाली, बरला आदि इस खाप के प्रमुख गांव हैं. इस खाप में लल्ल गठवाला गोत्र के जाटों का बाहुल्य है.

11. गावर पाल - उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में इस खाप के करीब 100 गांव हैं. इस खाप का निर्माण मुगल काल में हुआ था. इस खाप में विभिन्न जाट शामिल हैं.

पृ.15: 12. गुलिया, 13. गोधे, 14. खोखरप, 15. इन्दौलिया, 16. चाहर, 17. चावुक तोमर, 18. चौहान, 19. चौगामा

12. गुलिया खाप - दिल्ली के आसपास इस खाप के 24 गांव हैं इसी कारण इस खाप को गुलिया चौबीसी भी कहा जाता है. राठी और दलाल गोत्रीय कई गांव भी इसी पाल में गिने जाते हैं. बादली गांव में इस खाप का मुख्यालय है.

13. गोधे पाल - यह खाप भी मुगल काल में अस्तित्व में आई. मथुरा के आसपास पाल में विभिन्न गोत्रों के करीब 100 गांव शामिल हैं.

14. खोखर खाप - यह खाप सुदूर क्षेत्रों तक फैली हुई है. मथुरा और अलीगढ़ में इस खाप के 52 गांव हैं. मुरादाबाद जनपद में 24 गांव की चौबीसी इसी खाप में में गिनी जाती है. इसके अलावा पंजाब प्रांत के जनपद बठिंडा में मानसा मंडी के आसपास बसे खोखर सिख जाटों के करीब 150 गांव भी इसी खाप में शामिल माने जाते हैं.

15. इंदौलिया पाल - आगरा जिले में इस गांव के 52 गांव तथा भरतपुर जिले में करीब 10 गांव पड़ते हैं. इस खाप का मुख्यालय इस खाप के मुख्य गांव किरावली में है.

16. चाहर पाल - इस पाल के आगरा जनपद में 242 गांव हैं. यह बड़ी खाप मानी जाती है. इस काम में अकोला, वेरी, जेंगोरा, रामनगर, ककुआ, लौरिया, वैमन, बसैरी और भांडई मुख्य गांव हैं. इस खाप में अनेक महान लोगों ने जन्म लिया है. जेंगोरा के कैप्टन भगवान सिंह (पूर्व उच्चायुक्त) अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष रहे हैं. इन्हीं के पुत्र श्री अजय सिंह केंद्रीय मंत्री रहे हैं. रामनगर के रमेश वर्मा विधायक रहे तथा भांडई के किशोरीलाल प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं. गांव लौरिया के रूप सिंह चाहर, फुलवर सिंह चाहर, बसैरी गांव के कर्नल दीवान सिंह चाहर, ककुआ के श्री रामसिंह फौजदार, राजेंद्र फौजदार आदि अनेक गणमान्य व्यक्ति इस खाप की शान हैं.

17. चाबुक तोमर पाल - जनपद अलीगढ़ में इस खाद के 12 गांव हैं जिनमें पिसावा, जलालपुर, भैयाका और डेटा बड़े प्रसिद्ध गांव हैं. इनकी पिसावा रियासत थी.

18. चौहान खाप - उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत में चौहान वंशी लाकड़ा गोत्र के जाटों के 5 गांव रमाला, किरठल, लूम्ब, तुगाना और असारा बसे हुए हैं. यहां के लोग अपने को चौहान लिखते हैं और इन 5 गांवों की यह चौहान खाप है. इस खाप का मुख्यालय रमाला गांव में है. इस खाप के गांव तुगाना की बड़ी चौपाल से भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पहली बार हथकड़ी लगी थी. इसी खाप पर गांव किरठल में उत्तरी भारत का प्रसिद्ध गुरुकुल है. यह खाप पृथ्वीराज चौहान की वंशज है. असारा गांव अब मूले जाटों की श्रेणी में आता है. राधेश्याम चौहान (जाट गरिमा पत्रिका के प्रकाशक), अपूर्व कुमार आईएएस किरठल के हैं तथा लेखक भी इसी खाप से संबंध रखते हैं.

19. चौगामा खाप - यह जनपद बागपत में 40 गांव की खाप है. दोघट, |दाहा, इसके प्रमुख गांव हैं. इस खाप के क्षेत्र में विक्रमी संवत 1455 में जाटों की सर्व खाप

पृ.16: 20. छपरौली, 21. छौंकर, 22. जाखड, 23. जाटू, 24. जुरैल, 25. झाड़सा पालम , 26. ठकुरेला, 27. ठेनुआ

पंचायत हुई थी जिसमें तैमूर की सेना से युद्ध करने का फतवा जारी किया गया था. इस पंचायत के द्वारा बनाई गई सेना के देव पाल राणा सेनापति चुने गए थे.

20. छपरौली खाप - उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत में छपरौली कस्बे के आसपास इस खाप के 24 गांव हैं. इस खाप को चौबीसी भी कहते हैं. इस खाप में तोमर जाटों के साथ साथ अन्य कई गोत्र के गांव की आते हैं. छपरौली क्षेत्र से ही चौधरी चरण सिंह राजनीति में आए और अंततः प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे.

21. छौंकर पाल - इस खाप के मथुरा जनपद में 48 गांव, अलीगढ़ में 28 गांव, आगरा जनपद में 10 गांव, जिनमें अछनेरा, अटूस, अरदाया मुख्य हैं. अटूस के कर्नल प्रताप सिंह गणमान्य व्यक्ति हुए हैं. मथुरा में इसी खाप के प्रमुख गांव कंजौली, अकोस, मंडौरा और भिड़ावली हैं.

22. जाखड़ खाप - यह खाप हरियाणा और राजस्थान प्रदेशों में फैली हुई है. इस खाप में जाखड़ जाटों का बाहुल्य है. रोहतक में इस खाप के 38 गांव हैं. डॉ बलराम जाखड़ इस खाप के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ हैं जो लोकसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं.

23. जाटू खाप - हरियाणा के हांसी, टोहाना क्षेत्र में इस खाप के करीब 84 गांव हैं. इस खाप में कुछ गाँव गुर्जरों के भी शामिल हैं. इस खाप के महान सेनानायक जाटवान ने तैमूर और कुतुबुद्दीन ऐबक से भयानक युद्ध किए थे. जाटों के भामाशाह सेठ छाजू राम इसी खाप के सपूत थे. इसी खाप के कैप्टन रणजीत सिंह पंजाब के कैरो मंत्रिमंडल में मंत्री रहे हैं.

24. जुरैल खाप - यह बहुत छोटी खाप है. उत्तर प्रदेश के जनपद आगरा में इस खाप के केवल 8 गांव हैं.

25. झाड़सा पालम खाप - इसका दूसरा नाम सोलंकी खाप है. यह खाप दिल्ली के निकटवर्ती गांवों में फैली हुई है. गांव पालम इसका मुख्यालय है. इस गांव में 365 गांव शामिल हैं. इस खाप में दिल्ली प्रदेश के गांव महरौली, महिपालपुर, खानपुर, घिटोरनी, पालम, मुनीरका, लाडो सराय, नीम सराय और घटवारिया, गुडगांव जनपद के शेरावतों के गांव सुखराली, झाडसा, और कटारिया, अहिरों के वजीरपुर, कबूलपुर और लाड़ोली आदि प्रमुख गाँव हैं. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इस खाप के चौधरी बख्तावर सिंह गांव झाड़सा को अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था. मगर वह झुका नहीं.

26. ठकुरेला पाल - उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद में इस खाप के करीब 200 गांव हैं, जिनमें तलेसरा, कैंथल, मजूपुर, रजावल, गहलऊ, गोंडा और कासकां का आदि प्रमुख गाँव हैं. गहलऊ के ठाकुर अमानी सिंह ने अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति पाई थी. इस खाप के गांव कांसका के ठाकुर ढोल सिंह बड़े प्रसिद्ध देशभक्त हुये हैं.

27. ठेनुआ खाप - करीब 150 गांव की यह खाप मथुरा और अलीगढ़ दोनों जनपदों में फैली हुई है. इस खाप के राजा महेंद्र प्रताप विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत की पहली निर्वाचित सरकार बनाई थी. जिस नंदराम जाट

पृ.17: 28. डबास, 29. डागुर, 30. तक्षक, 31. तंवर, 32. तेवतिया पाल, 33. तेवतिया खाप, 34. दहिया, 35. देश खाप

ने औरंगजेब को नाकों चने चबाये. वह भी इसी खाप का वीर सपूत हुआ है. मुरसान और हाथरस दो राजघराने भी इसी हाथ में पड़ते हैं.

28. डबास खाप - यह दिल्ली के आसपास फैली 12 गांव की खाप है जिसका मुख्यालय गांव कंझावला में है. इनके अतिरिक्त इस खाप के 90 गाँव उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर में हैं जिनमें डबास गोत्रीय जाट रहते हैं. इनमें पीपली, सिकैड़ा, पाडली, लाम्बाखेड़ा, मंडावली, झिलमिला, नगीना, मुजफ्फरा और डबासो वाला प्रमुख गांव हैं.

29. डागुर खाप - यह खाप हरियाणा प्रदेश के जनपद फरीदाबाद के निकट फैली हुई है. इस खाप में करीब 300 गांव हैं. यह बड़ी खाप भी कहलाती है. इस खाप के 10 गांव जनपद अलीगढ़ में भी हैं.

30. तक्षक खाप - इस खाप के हरियाणा प्रदेश के जनपद सोनीपत में 12 गांव हैं जिनमें राठधना, बैयापुर, हरसाना, लिवासपुर, कालूपुर मुख्य हैं. किसी खाप के 15 गांव राजस्थान के बीकानेर जनपद में, 4 गांव दिल्ली में, एक गांव भागी भिवानी जनपद की चरखी दादरी तहसील में भी है.

31. तँवर पाल - इस पाल के 82 गांव गाजियाबाद जनपद में हैं. इस खाप के कुछ गांव दिल्ली, मेरठ, मुरादाबाद, बिजनौर और अलीगढ़ में भी हैं तथा जयपुर में पाटन, दौसा और तंवरावटी इस खाप के प्रमुख गांव हैं.

32. तेवतिया पाल - इस खाप के 18 गांव अलीगढ़ जनपद में खैर तहसील के अंतर्गत आते हैं जिनमें एदलसर, खेड़ा, दरकना और नगरिया प्रमुख गांव हैं.

33. तेवतिया खाप - यह खाप तेवतिया पाल से अलग है. कुछ लोग तेवतिया पाल को छोटी और तेवतिया खाप को बड़ी खाप कहते हैं. इस खाप के अनेक गांव बुलंदशहर जनपद में फैले हुए हैं. हरियाणा प्रांत में बल्लभगढ़ तथा गाजियाबाद में बसा गांव नूरपुर भी इसी खाप में आते हैं. भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म गांव नूरपुर में ही हुआ था.

34. दहिया खाप - इस खाप को इसके 42 गाँव होने के कारण दहिया बयालिसी भी कहा जाता है. यह रोहतक और सोनीपत जनपदों में फैली हुई है. बरौना खेड़ा गांव से सभी दहिया गाँवों का निकास माना जाता है. इसके अतिरिक्त रोहतक में बिरधाण, मेरठ में बणा, झिझोंखर, भोजपुर, बिजनौर जनपद में 7 गांव यथा लक्खुवाला, नियमपुरा, तिमारपुर, सिकंदरपुर, मिर्जापुर, जसमौरा और पृथ्वीपुर, मुजफ्फरनगर जनपद में नोनांगली, सहारनपुर जनपद में नवादा, अंबाला में राजपुरा गांव इसी खाप में आते हैं. इस खाप में दहिया गोत्र के जाटों का बाहुल्य है. महात्मा निश्चल दास, परमवीर चक्र विजेता कर्नल होशियार सिंह जैसे महान सपूत इसी खाप की देन हैं. यह खाप अपना चौधरी लोकतांत्रिक विधि से चुनती है. चौधरी रामफल दहिया इस खाप के वर्तमान में चौधरी हैं.

35. देश खाप - इसमें तोमरों के 84 गांव आते हैं. इसका मुख्यालय बड़ौत में है तथा इस खास के वर्तमान चौधरी सुखवीर सिंह जी हैं. बिजरौल, बामडौली,

पृ. 18: 36. दोघट, 37. नरवार, 38. नेहरा, 39. नौहवार, 40. नैन , 41. पलावत, 42. पंवार, 43. पञ्चहरे, 44. पचास, 45. पूनिया.

कासिमपुर, किशनपुर, बावली आदि इस खाप के प्रमुख गाँव हैं. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इस खाप के गांव बिजरौल के चौधरी शाहमल को अंग्रेजों ने धोखे से फांसी दी थी.

36. दोघट खाप - यह छोटी खाट है. उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत की तहसील बड़ौत के पास खानपुर, लुहारी इस खाप के मुख्य गांव हैं.

37. नरवार पाल - यह मथुरा के पास 25 गांवों की खाप है. इसके 3 गांव कठवारी, भिलावटी और नागर जनपद आगरा में पडते हैं.

38 नेहरा खाप - इस खाप के 12 गांव हैं जो दिल्ली-मेरठ मार्ग पर बेगमाबाद के आसपास पढ़ते हैं. रोहतक में सुंदरपुर, निंदाना, और मूढ़ा आदि गांव भी इसी खाप में सम्मिलित हैं.

39. नौहवार खाप - इस खाप के करीब 100 गांव हैं जो अधिकतर मथुरा क्षेत्र में नौहझील के आसपास बसे हुए हैं जिनमें नौहझील, बाजना, एदलगढी, कटेलिया आदि प्रमुख हैं. इस खाप के आगरा जनपद में भी 8 गांव हैं. गुड़गांव जिले की नूंह तहसील में 100 गांव, बुलंदशहर जनपद में, भट्टा पारसोल बड़ागांव है भी इसी खाप में शामिल है. इस पाल में जाट, मूले जाट और राजपूत तीनों सम्मिलित हैं.

40 नैन पाल - जींद, नरवाना और पंजाब के संगरूर जनपदों में इस खाप के करीब 52 गांव हैं. चौधरी शमशेर सिंह सुरजेवाला, चौधरी टेक चंद्र और चौधरी भले राम इसी खाप की देन है.

41. पलावत खाप - इस गांव के 22 गांव जनपद अलीगढ़ की तहसील हाथरस में पड़ते हैं जिनमें कोटा, सुसावली, भगतुवा, महामौनी, पद, भाकरी, सरकोरिया मुख्य गांव हैं. इसके अलावा इस खाप में मथुरा के पास राया आदि गांव भी शामिल हैं. इसका जावरा गांव बड़ा प्रसिद्ध है.

42. पंवार खाप - इस खाप के पांचों गांव एलम, ककड़ीपुर, नाला, भारसी, और भन्हेड़ा उत्तर प्रदेश के बागपत और मुजफ्फरनगर जनपदों में बसे हुए हैं. ये गांव पंवार गोत्र के जाटों के हैं. ये पंवार जाट अपने करीब बसे चौहान वंशी लाकड़ा गोत्र के जाटों के गांव रमाला, असारा, किरठल, लूम्ब, और तुगाना के अंग भाई कहलाते हैं तथा इनमें परस्पर विवाह संबंध वर्जित हैं. इस खाप के अन्यत्र भी कई गांव हैं.

43. पंचहरे पाल - यह मथुरा जिले के आसपास बसे 360 गांव की एक बड़ी खाप है जिसमें ऊधर, आयरा खेड़ा, धुलेटियां, खेरिया और बहावीन प्रमुख गांव हैं.

44. पचास खाप - यह 50 गांव की खाप है जो जनपद मुजफ्फरनगर में आती है. घटायन गांव इस खाप का मुख्यालय है.

45. पूनिया खाप - इस खाप के करीब 360 गांव राजस्थान प्रांत के बाड़मेर, चूरु और श्रीगंगानगर जनपदों में बसे हुए हैं. इस खाप में पूनिया गोत्र के जाटों का बाहुल्य है. इसके अतिरिक्त इस खाप में 100 गांव राजगढ़ के पास, 150 गांव भिवानी में, 94 गांव अलीगढ़ में, 10 गांव मेरठ में, 2 गांव मुरादाबाद में, 9 गांव जालंधर में शामिल हैं. वर्तमान में अखिल भारतवर्षीय युवा जाट सभा के महासचिव श्री विजय पूनिया इसी खाप के हैं.

पृ.19: 46. फौगाट, 47. बत्तीसा खाप, 48. बावल चौरासी खाप, 49. बाराबस्ती खाप, 50. बालियान, 51. बेनीवाल, 52. बेरी पाल, 53. भरंगर, 54. भराईच

46. फौगाट खाप - यह फोगाट गोत्र के जाटों की खाप है. हरियाणा प्रांत के चरखी दादरी तहसील में इस खाप के 14 गांव हैं. इसका मुख्यालय दादरी में है. हिसार जनपद में हरिता, भालौठ, रिठाल, समचाना और नया गाँव, सोनीपत में किराड़ी, खिलाना, बुलंदशहर जनपद में धमैडा, जसनावली और कुदैना गांव इसी खाप में आते हैं.

47. बत्तीसा खाप - इस गांव में 32 गांव थे अतः इसे बत्तीसा कहा जाता है परंतु अब इसमें गांव की संख्या बढ़ गई है. एक अनुमान के अनुसार इनकी संख्या 45 हो गई है. यह सोनीपत जनपद में गठवाला गोत्र के जाटों की खाप है. यह अपने को मलिक लिखते हैं. जो इन की उपाधि है तथा भैंसवाल इनकी चौधराहट है. श्री माडूसिंह मलिक, धर्मपाल सिंह मलिक, किताब सिंह मलिक और प्रसिद्ध समाजसेवी धर्मवीर सिंह मलिक इसी गांव के गणमान्य व्यक्ति हैं.

48. बावल चौरासी खाप - इस गांव के 84 गांव राजस्थान के अलवर जिले से लगते हुये हरियाणा प्रदेश के रिवाडी और महेंद्रगढ़ जनपदों में फैले हुए हैं. बावल इनका मुख्यालय है.

49. बाराबस्ती खाप - उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में 12 छोटी-छोटी जाट बस्तियों को मिलाकर यह खाप बनी है. अब इसमें करीब 20 गांव हैं. जिनमें हबीबपुर सीकरी प्रमुख गांव हैं.

50. बालियान खाप - इस खाप में 100 से भी ज्यादा गांव हैं. इस खाप का मुख्यालय सिसौली (मु.नगर) है. सौरम, हरसौली और बरवाला गांव इस खाप के प्रमुख गांव हैं. प्रसिद्ध किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत इसी खाप के सिसौली गांव के हैं. इसी खाप के गांव सौरम के चौधरी कबूल सिंह सर्वखाप पंचायत के महामंत्री हुए हैं. महान बप्पा रावल इन्हीं के पूर्वज थे. यह बालियान गोत्र के जाटों की खाप है. कर्नल टॉड ने इन्हें बलवंशी लिखा है. इस खाप का गौरवमय इतिहास है.

51. बेनीवाल खाप - यह 360 गांव वाली खाप है जो चूरू, जयपुर और मथुरा क्षेत्र में फैली हुई है. ये अपने को जाटू भाषा में भैनवार भी बताते हैं तथा इस खाप को भैनवारी खाप कहते हैं. उनके 12 गांव कोसीकला के पास हैं. इसी खाप के चौधरी दिलीप सिंह बेनीवाल, चौधरी भले राम बेनीवाल दुपैड़ी आदि हैं.

52 बेरी पाल - 36 गांव वाली इस खाप में कादियान और अहलावत गोत्र के जाट सम्मिलित हैं. प्रोफेसर शेर सिंह, ब्रिगेडियर रण सिंह मान तथा प्रसिद्ध सुरेश पहलवान इसी खाप की देन हैं.

53. भरंगर पाल - इस खाप के 40 गांव मथुरा जनपद में हैं. इनके अतिरिक्त खाप में पंजाब के जालंधर जिले के 20 गांव तथा [[भरतपुर (राजस्थान) के कई गांव शामिल हैं.

54. भराइच खाप - इसका दूसरा नाम भारशिव खाप भी है. गुजरात प्रदेश के पहाड़ और दामन तथा इठार क्षेत्रों में चिनाव नदी के दाहिने किनारे पर फैले हुए गांवों की इस खाप में करीब 360 छोटे-छोटे गांव आते हैं.

पृ.20: 55. भगौर, 56. भबीसा, 57.भोखरहेड़ी , 58. भैन्सवाल, 59. मद्र , 60. मालिक , 61. महम - चौबीस, 62. मनमाड़ , 63. राणा

55. भगौर पाल - यह 15 गांव की जो मथुरा जिले में पड़ती है. इसके कटरा, मलपुरा, रिठौरा, सामरा प्रमुख गांव हैं. इस खाप की चौधराहट गांव इटोरा में है.

56. भबीसा खाप - यह 12 गांव का संगठन है जिसमें डांगरोल, कनियान, हुरमुजपुर, शाहपुर, नन्हेड़ा आदि प्रमुख गांव उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर में बसे हुए हैं. गांव भबीसा इस खास का मुख्यालय है.वर्तमान में चौधरी सत्यवीर सिंह बुडियान खाप के चौधरी है.

57. भोखरहेड़ी खाप - यह खाप 52 गांव की है जो मुजफ्फरनगर जिले में गंगा नदी के किनारे बसे हुए हैं. इस खाप में कई गोत्रों के गांव शामिल हैं. भोकरहेड़ी गांव में इस खाप की चौधराहट है.

58. भैंसवाल खाप - यह 32 गांव की खाप है जिसे बत्तीसा भी कहा जाता है. जनपद मुजफ्फरनगर में स्थित इस गांव का मुख्यालय भैंसवाल गांव में है.

59. मद्र खाप - यह मद्र गोत्र के जाटों की खाप है. इस खाप के 24 गांव सहारनपुर की नकुड तहसील में हैं. जनपद मुरादाबाद में मद्र रामपुर, धनपुर, माख्याल, आलमपुर, मुबारकपुर, झलचीपुर आदि इस खाप के प्रमुख गांव हैं.

60. मलिक खाप - यह खाप जिला मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में स्थित है. लिसाड़ गांव इसका मुख्यालय है तथा इसी गांव के आसपास इस खाप के अन्य गांव बसे हुए हैं.

61. महम चौबीसी खाप - यह खाप अपनी जुझारूपन के लिए प्रसिद्ध है. इसमें मलिक, दलाल, राठी, भूरा गोत्र के जाटों के गांव सम्मिलित हैं. यह वही खाप है जिसने कलानौर के जालिम नवाब को समूल ऊखाड़ फैंका था और आज भी राजनेताओं का समय-समय पर मार्गदर्शन करती रहती है. महम चौबीसी का चबूतरा विश्व प्रसिद्ध स्थल है. यहां के दौलत राम जाट को अंग्रेजों ने फांसी दी थी. मदीना, [Meham|महम]], मोखरा आदि इसके प्रमुख गांव हैं. यह खाप हरियाणा प्रदेश के रोहतक जिले में है. आनंद सिंह दांगी के अतिरिक्त अनेक राजनेताओं ने इस खाप के चबूतरे पर माथा टेक कर अपनी राजनैतिक यात्रा शुरू की है.

62. मनमाड़ खाप - महाराष्ट्र राज्य की हरदोई तहसील में बसे जाटों की इस 40 गांव वाली खाप को को मनमाड़ खाप के नाम से भी जाना जाता है. पानीपत की लड़ाई में मराठों की पराजय के बाद भरतपुर के जाट, मराठों की स्त्रियों, बच्चों को छोड़ने पुणे गए थे जो वहीं बस गए थे. यह भरतपुर के महाराजा सूरजमल द्वारा महाराष्ट्र भेजे गए जाटों के वंशजों की खाप है. मनमाड़ खाप इसका मुख्यालय है.

63. राणा खाप - राणा गोत्र के जाटों की एक खाप उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत में स्थित है. इसे चौगामा खाप भी कहते हैं. निरपुड़ा गांव इस खाप का मुख्यालय है जिसके जंगलों में सर्व खाप की समय-समय पर आततायियों के विरुद्ध लड़ने के लिए पंचायत हुआ करती थी. यह छोटी खाप जरूर है परंतु इसका गौरवमई इतिहास है.

पृ.21: 64. रावत, 65. लाटियान, 66. लौर, 67. वरिक, 68. वधौतिया , 69. वडानू, 70. वोहरा, 71. श्योराण, 72. स्योकंद, 73. सिहाग

64. रावत पाल - इस खाप के 8 गांव अलीगढ़ जनपद में, 6 गांव आगरा जनपद में और 22 गांव महावन, सादाबाद और कोसीकलां के आसपास बसे हैं. कान्हा रावत का बलिदान कौन नहीं जानता, वह सूरमा इसी खाप की देन था. गुड़गांव और फरीदाबाद जनपदों में भी इस खाप से जुड़े अनेक गांव हैं जिनमें रावत लोग रहते हैं.

65. लाटियान खाप - इस गांव के करीब 12 गांव हैं जो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में बसे हुए हैं जिनमें अलीपुर खेड़ी, बुढ़िना आदि मुख्य गांव हैं. इस खाप में लाटियान गोत्र के जाटों का बाहुल्य है. गांव बुढ़िना इस खाप का मुख्यालय है. चौधरी भुल्लण सिंह इस खाप के चौधरी थे जो अपनी ईमानदारी, सादगी और न्यायकारी फैसलों के लिए जाने जाते थे. अब उनके जेष्ठ पुत्र चौधरी रामपाल सिंह (दीवान जी) इस खाप के चौधरी हैं.

66. लौर खाप - इस खाप के 10 गांव अलीगढ़ जनपद में हैं जिनमें पर परसेरा, नागरिया आदि प्रमुख हैं. यह लौर गोत्र के जाटों की एक छोटी खाप है.

67. वरिक खाप - इस खाद के जनपद बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) में करीब 20 गांव हैं जिनमें सैदपुर, सेहरा, सीही, पाली, भामरौली, पसौली आदि प्रमुख गांव हैं. इसी खाप के जनपद हिसार (हरियाणा) में गुराना और भदौड़ गांव हैं. पंजाब में कपूरथला, मनौली, झुनगा, भरतगढ़, धनौरी और कंडोला नामक जागीरें भी इसी ।वरिक खाप के लोगों से संबंधित थीं.

68. वधौतिया पाल - यह 12 गांव की छोटी पाल है इस पाल के गांव उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में बसे हुए हैं. यह पाल वधौतिया गोत्र के जाटों की है.

69. वडानू खाप - इस खाप में में 22 विभिन्न गांव शामिल हैं तथा गांव [लिब्बर हेड़ी में इस गांव का मुख्यालय है.

70. वोहरा खाप - इस खाप के जनपद अलीगढ़ में 16 गांव हैं जिनमें रामगढ़ी, फिरोजपुर, नौरंगा, शाहपुर, रकराना प्रसिद्ध गांव हैं.

71. श्यौराण खाप - हरियाणा प्रदेश के जनपद भिवानी में लोहारू के आसपास श्योराण गोत्र के जाट बसते हैं. इसी क्षेत्र में इस खाप के 52 गांव हैं. इसी खाप के 25 गांव हिसार में, 25 गांव दादरी क्षेत्र में पड़ते हैं जिनमें पंचगामा, दुधवा आदि प्रमुख हैं.

72. स्योकंद खाप - जींद जनपद की नरवाना तहसील में इस खाप के करीब 30 गांव हैं. इनके अलावा बिजनौर में खरक गांव, दिल्ली प्रदेश में 12 गांव और पटियाला में 25 गांव भी इसी खाप में शामिल हैं. उचाना कला इस खाप का मुख्यालय है.

73. सिहाग पाल - इस खाप के 25 गांव बीकानेर में, 7 गांव मेरठ में तीन यहां मुजफ्फरनगर में हैं. जनपद गुड़गांव में बुखारा, झज्जर और मातनहेल एवं बिसहान, हिसार में रतिया, सिसाय और ददायरा, सिरसा में चौटाला गाँव इसी खाप में आते हैं. इस खाप में सिहाग गोत्र के जाटों का बाहुल्य है. भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल इसी खाप की देन हैं.

पृ.22: 74. सिकरवार, 75. सांगवान, 76. सरपा, 77. सिनसिनवार, 78. सोगरिया, 79. सोलंकी, 80. सर्वपाल खाप

74. सिकरवार पाल - इस पाल के मथुरा में 12 गांव हैं जिनमें गांव आंगई प्रसिद्ध है. इनके अलीगढ़ में 12 गांव और फिरोजाबाद जनपद में 8 गांव हैं. कुंवर हुकम सिंह रईस प्रधान सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा एवं जाट महासभा इसी पाल में जन्मे थे. कुंवर नेत्रपाल प्रसिद्ध ज्वेलर्स भी इसी खाप से हैं.

75. सांगवान पाल - इस खाप के हरियाणा प्रांत में चरखी दादरी के आसपास 84 गांव हैं जिनमें तालु, बालन्द, सुरहती, बिरही कलां आदि मुख्य हैं. इस खाप में सांगू के वंशज और सांगवान गोत्र के जाट बसते हैं. चौधरी हुक्म सिंह पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा इसी खाप के हैं. इस खाप ने कई राजनेता, सांसद, फौजी अफसर पैदा किए हैं.

76. सरपा खाप - यह खाप शाहजहां के शासन के दौरान बनी. अब इसमें विभिन्न गोत्रों के करीब 80 गांव हैं जिसमें उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत में बसे खेकड़ा, बसी, ढिकौली, टटीरी आदि गांव प्रमुख हैं. ढिकौली गांव उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा गांव है जिसमें ढाका गोत्र के जाट रहते हैं.

77. सिनसिनवार खाप - किसी जमाने में इस खाप के 365 गांव ब्रज मंडल में गिने जाते थे परंतु आज यह उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान तीनों प्रांतों में फैले हुए हैं. गांव सिनसिनी के कारण सिनसिनवार नामक जाटों के गोत्र का जन्म हुआ. महाराजा भरतपुर इसी गोत्र से हैं. कुम्हेर और डीग के प्रसिद्ध किले इसी खाप की शान हैं. सिनसिनी इस खाप का मुख्यालय है जिसके लिए जाटों ने रक्त के दरिया बताए और मुगलों को छठी का दूध याद दिलाया. इस खाप के अभाव में जाटों का इतिहास लिख पाना संभव नहीं. अखिल भारतीय जाट महासभा के पूर्व अध्यक्ष महाराजा विश्वेंद्र सिंह इसी खाप से रहे हैं.

78. सोगरिया पाल - इस पाल के गांव भरतपुर और आगरा जनपदों में फैले हुए हैं. सोगर और तुहिया इनके प्रसिद्ध गांव हैं जहां जाटों की गढ़ियाँ थीं. इसी खाप के राम चेहरा ने सिनसिनवार गोत्र के राजा राम के साथ मिलकर सिन-सोग संघ बनाया था. इसी खाप के लोगों ने औरंगजेब को कभी चैन से नहीं बैठने दिया तथा सिकंदरा की कब्र से अकबर की हड्डियों को निकाल कर जला डाला था. इस पाल का अपना रक्तरंजित इतिहास है.

79. सोलंकी खाप - यह खाप जनपद आगरा में है जिसमें बड़ौदा, मिढाकुर, कागारौल आदि गांव प्रमुख हैं. इस खाप में 28 गांव हैं. इसी खाप के चौधरी फूल सिंह ने अंग्रेजी सरकार को ललकारा था. इन्हीं की बहन चंपावती फतेहपुर सीकरी की विधायक रही हैं.

80. सर्वपाल खाप - सर्व पाल खाप में 22 गाँव हैं. यह फरीदाबाद, बल्लभगढ़ से लेकर मथुरा जिले के छाता, कोसी तक फैला एक विशाल संगठन है. इसमें करीब 1000 गाँव हैं. इस खाप में कोसी की डींडे पाल, बठैन की गठौना पाल, कामर की बेनीवाल पाल, होडल की सौरोत पाल, धत्तीर अल्लिका की मुंडेर पाल, जनौली की तेवतिया पाल, पैगांव की रावत पाल आदि सम्मिलित हैं. यह पाल दहेज़ निवारण में सबसे आगे है.

पृ.23: 81. सर्वगोत्रीय जाट खाप, 82. हंगा खाप, 83. हुड्डा खाप, 84. सर्वखाप

81. सर्वगोत्रीय जाट खाप - इस खाप का मुख्यालय आगरा जनपद का बिचपुरी गांव है. सर्व गोत्रीय जाट खाप का मुख्यालय आगरा जनपद के बिचपुरी गाँव में है. इस खाप में जाटों के अनेक गोत्रीय गाँव सामिल हैं. गंधार गोत्र के बिचपुरी , जउपुरा, लड़ामदा , नौहवार गोत्र के सुनारी, पनवारी, सिरौली, नगला बसुआ , सोलंकी गोत्र के अंगूठी, मिढाकुर, सहाई, सकतपुरा, बडौदा, सहारा, आदि 8 गाँव, ढिल्लों गोत्र के दहतोरा, नरवार गोत्र के पथौली, भिलावती, कठमारी, छोंकर गोत्र के अटूस, मौहमदपुर, लखनपुर, घेंआर गोत्र के पथौली आदि चाहर गोत्र के अलबतिया, गोधे गोत्र के लोह करेरा आदि, अनेक गाँव इसी खाप के अर्न्तगत आते हैं. मुख्यतः यह जाटों की खाप है.

82. हंगा खाप - इस खाप को अग्रपाल भी कहा जाता है. इसके 150 गांव मथुरा जनपद की सादाबाद तहसील में है जिनमें बिसावर, नौगांव आदि मुख्य हैं. चौधरी देवकरन ने अंग्रेजों से लोहा दिया था. वह इसी खाप के थे.

83. हुड्डा खाप - यह 36 गांव की खाप है. इसके गांव ज्यादातर रोहतक जनपद में हैं. इसका मुख्यालय गांव खिड़वाली है. इस खाप के अमृतसर में बुढाला, कोटली, संगोदाद, मेहंदीपुर तथा जालंधर में बुटाला और जड़िया गांव भी हैं. हरियाणा कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष एवं सांसद भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसी खाप के हैं.

84. सर्वखाप में वे सभी खाप आती हैं जो अस्तित्व में हैं. समाज, देश और जाति पर महान संकट आने पर विभिन्न खापों के बुद्धिजीवी लोग सर्वखाप पंचायत का आव्हान करते हैं. निःसन्देश पाल और खाप में अंतर करना काफी कठिन है. साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि पाल छोटा संगठन है जबकि खाप में कई छोटी पालें सम्मिलित हो सकती हैं. खाप और पाल पर्याय वाची माने जाएँ तो अधिक तर्कसंगत होगा. एक ही गोत्र का संगठन पाल हो सकता है जबकि खाप में कई गोत्रीय संगठन और कई जातियां शामिल होती हैं. ऐसा भी देखने में आया है कि कुछ गोत्र और गाँव कई खाप में शामिल होते हैं. जाट संगठन पूर्णतः स्वतंत्र अस्तित्व वाले होते हैं तथा लोगों की इच्छानुरूप इनका आकर घटता-बढ़ता है. चूँकि ये संगठन न्याय प्राप्त करने और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए लोगों को एकजुट करते हैं अतः जहाँ जिस गोत्र , गाँव, पाल को अधिक विश्वास होता है वे वहीँ सम्मिलित हो सकते हैं. सदस्यता ग्रहण करने पर कोई रोक-टोक नहीं है.

उक्त खापों, पालों के अतिरिक्त जाटों के अनेक संगठन और भी हैं जो कम प्रचारित हैं. राजस्थान में डागर, गोदारा, सारण, खुटैल, और पूनिया जाटों के छोटे-बड़े कई संगठन हैं. नागौर तो जाटों का रोम कहलाता है. मध्य प्रदेश में ग्वालियर से लेकर मंदसौर और रतलाम तक जाटों के अनेक संगठन विभिन्न नामों से अस्तित्व में हैं. कहीं कहीं संगठनों के खाप और पाल जैसे नाम न होकर गावों के मिले-जुले संगठन बने हुए हैं जैसे बड़वासनी बारहा, जिसमें लाकड़ा, छिकारा आदि १२ जाट गोत्रीय गाँव शामिल हैं. सोनीपत जिले में बड़वासनी, जाहरी, चिताना आदि इस बारहा के प्रमुख गाँव हैं. कराला सतरहा भी लाकड़ा सेहरावतों का संगठन है. इसमें मुंडका ,


[p.24]: बक्करवारा प्रमुख हैं. दिल्ली के पूर्व मुख्य मंत्री साहिब सिंह वर्मा मुंडका के मूल निवासी थे. इसी प्रकार मीतरोल पाल में भी अनेक गाँव हैं जिनमें मीतरोल, औरंगाबाद और छज्जुनगर इसके प्रमुख गाँव हैं. जिनमें लाकड़ा गोत्रीय चौहान वंशी जाट रहते हैं. जाटों के प्रसिद्द उद्योगपति चेती लाल वर्मा इसी पाल के गाँव छज्जुनगर की देन हैं. उड़ीसा के गोल कुंडा एरिया में बसे जाटों के अपने संगठन हैं. जहाँ जाटों की पाल या खाप नहीं हैं वहां जाट सभाएँ खड़ी कर रखी हैं. अतः जाटों की सही पाल अथवा खाप या संगठन संख्या बता पाना संभव नहीं है क्योंकि अब जाट पूरे देश में फैल चुके हैं.


अध्याय-6. सर्वखाप-व्यवस्था, समाप्त

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