Madhusrava

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(Redirected from Madhushrava)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Madhusrava (मधुस्रव) refers to the name of a Tīrtha (pilgrim’s destination) mentioned in the Mahābhārata (III.81.130)

Variants

History

Madhuśrava (मधुश्रव).— A sacred place in Kurukṣetra, situated near another holy place called Pṛthūdaka. If one bathes in a pond there one will have to his credit the benefit of making a thousand Godānas. (Śloka 15, Chapter 83, Vana Parva). [1][2]

Madhusrava (मधुस्रव) refers to the name of a Tīrtha (pilgrim’s destination) mentioned in the Mahābhārata (cf. III.81.130).[3]

In Mahabharata

Madhusrava (मधुस्रव) (Tirtha) in Mahabharata (III.81.130)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 81 mentions names of Tirthas (Pilgrims). Madhushrava (मधुस्रव) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.81.130).[4]....O best of the Bharatas, there in that tirtha is another called Madhushrava (मधुस्रव) (III.81.130). Bathing there, O king, one obtaineth the merit of giving away a thousand kine. One should then proceed, O king, to that celebrated and sacred tirtha where the Saraswati uniteth with the Aruna River.

मधूश्रवा नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...1. मधूश्रवा (AS, p.708) = वामन-पुराण (39, 6-8) के अनुसार मधूश्रवा कुरुक्षेत्र की सात नदियों में से है-- 'सरस्वती नदी पुण्य तथा वैतरणी नदी, आपगा च महापुण्या गंगा मंदाकिनी नदी. मधुश्रुवा अम्लुनदी कौशिकी पापनाशिनी, दृश्द्वती महापुण्या तथा हिरण्यवती नदी'. (दे. आपगा-2)

2. मधूश्रवा (AS, p.708) = बिहार में गया के निकट बहनेवली फल्गु की सहायक नदी.

आपगा

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ... 2. आपगा (AS, p.64). वामन-पुराण में (39, 6-8) आपगा नदी का उल्लेख है जो कुरुक्षेत्र की सात नदियों में से है-- 'सरस्वती नदी पुण्य तथा वैतरणी नदी, आपगा च महापुण्या गंगा मंदाकिनी नदी. मधुश्रुवा अम्लुनदी कौशिकी पापनाशिनी, दृश्द्वती महापुण्या तथा हिरण्यवती नदी'. कहा जाता है यह नदी जो अब अधिकांश में विलुप्त हो गई है कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसर से एक मील दूर आपगा सरोवर के रूप में आज भी दृश्य-मान है.

संभव है, महाभारत और वामनपुराण की नदियां एक ही हों, यदि ऐसा है तो नदी के गुणों में जो दोनों ग्रंथों में वैषम्य वर्णित है वह आश्चर्यजनक है. नदियां भिन्न भी हो सकती हैं.

External links

References

  1. Source: archive.org: Puranic Encyclopedia
  2. https://www.wisdomlib.org/definition/madhusrava
  3. https://www.wisdomlib.org/definition/madhusrava
  4. मधुस्रवं च तत्रैव तीर्थं भरतसत्तम, तत्र सनात्वा नरॊ राजन गॊसहस्रफलं लभेत (III.81.130)
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.708
  6. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.64