Lilajan

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(Redirected from Nilanjan)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Lilajan River (लीलाजन) is a river that flows through the Chatra and Gaya districts in the Indian states of Jharkhand and Bihar. It is also referred to as the Nilanjan, Niranjan or Falgu River.[1]

Variants

Course

The Lilājan begins its journey north of Simaria in Chatra district on the Hazaribagh plateau, the western portion of which constitutes a broad watershed between the Damodar drainage on the south and the Lilājan and Mohana rivers on the north. It flows through a deep and rocky channel until it reaches the neighbourhood of Jori. There the hills begin to recede and the stream flows sluggishly over a wide sandy bed. From this point to the Gaya border beyond Hunterganj the river becomes sandy. It is dry in summer but disastrous during the rains. About 10 kms south of Gaya it unites with the Mohana River to form the Falgu River[2][3]

History

Buddhism

Before attaining Enlightenment, the prince Siddhārtha Gautama practiced asceticism for six years (ten or twelve years according to some accounts) on the banks of the Nairañjanā river, residing in a forest near the village of Uruvilvā. After realizing that strict asceticism would not lead to Enlightenment, he recuperated after bathing in the river and receiving a bowl of milk-rice from the milkmaid Sujātā. He sat under the nearby pippala tree, where he finally achieved Enlightenment. This tree became known as the Bodhi Tree, and the site became known as Bodh Gayā[4]

नीलांजना नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...नीलांजना (AS, p.506): नीलांजना नदी गया के निकट बहने वाली फल्गु नदी की सहायक नदी है। नीलांजना नदी गया से तीन मील की दूरी पर बहती है। नीलांजना नदी बौद्ध साहित्य की प्रसिद्ध नदी नैरंजना है। (दे. नैरंजना)

नैरंजना नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है ...नैरंजना नदी (AS, p.510) गया के पास बहने वाली फल्गु नदी की सहायता उपनदी है जिसे अब नीलांजना नदी कहते है। नैरंजना नदी गया से दक्षिण में 3 मील पर महाना अथवा फल्गु में मिलती है। (गया के पूर्व में नगकूट पहाड़ी है, इसके दक्षिण में जाकर फल्गु का नाम महाना हो जाता है।) नैरंजना नदी बौद्ध साहित्य की प्रसिद्ध नदी है। नैरंजना नदी के तट पर भगवान बुद्ध को बुद्धत्व प्राप्ति हुई थी। अश्वघोष-रचित बुद्धचरित्र में नैरंजना का उल्लेख इस प्रकार है:- 'ततो हित्वाश्रमं तस्य श्रेयोऽर्थी कृतनिश्च्य: भेजे गयस्य राजर्षे- र्नगरीं संज्ञामाश्रमम। अय नैरंजनातीरे शुचौ शुचिपराक्रम: चकार वासमेकांत-विहाराभिरतिर्मुनि। बुद्धचरित. 12,89-90 अर्थात् तब श्रेय पाने की इच्छा से गौतम ने उद्रक मुनि का आश्रम छोड़कर राजर्षिगय की नगरी से आश्रम का सेवन किया और पवित्र पराक्रमवान एकांतविहार में आनंद प्राप्त करने वाले उस मुनि ने, नैरंजना नदी के पवित्र तीर पर निवास किया। इस उद्धरण से नैरंजना का वर्तमान नैलंजना से अभिज्ञान स्पष्ट हो जाता है।

निश्चिरा नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ...निश्चिरा नदी (AS, p.502): फल्गु (बिहार) की सहायक नदी लीलाजन जो महाना से मिलकर फल्गु की संयुक्त धारा बनाती है. अग्निपुराण 116; मार्कण्डेयपुराण 57 में निश्चिरा का उल्लेख है. यह बौद्ध साहित्य की नीरांजना है.

External links

References

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