Pulindanagara

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(Redirected from Pulinda Nagara)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Pulindanagara (पुलिन्दनगर) was an ancient capital of Pulinda republic mentioned in Mahabharata subjugated by Bhimasena.[1] The Pulindas are mentioned in Rock Edict XIII of Ashoka as a vassal tribe along with the Andhras, and Bhojas.[2][3]

Origin

Variants

History

Pulindanagara (पुलिन्दनगर) was an ancient capital of Pulinda: an ancient kingdom situated in Dakkhiṇāpatha (Deccan) or “southern district” of ancient India, as recorded in the Pāli Buddhist texts (detailing the geography of ancient India as it was known in to Early Buddhism). The Pulindas are mentioned in Rock Edict XIII of Asoka as a vassal tribe along with the Andhras, and Bhojas. Pulindanagara, the capital of the Pulindas, was situated near Bhilsa in the Jabalpur district of the Central Provinces. The Pulinda kingdom must have certainly included Rupnath, the findspot of one version of Asoka’s Minor Rock Edicts.[4][5]

In Mahabharata

Pulindanagara (पुलिन्दनगर) is mentioned in Mahabharata (II.26.10)

Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 26 mentions the countries Bhimasena subjugated that lay to the East. Pulindanagara (पुलिन्दनगर) is mentioned in Mahabharata (II.26.10).[6]....Then that prince of the Kuru race, endued with great prowess going into the country of Pulinda in the south, brought Sukumara and the king Sumitra under his sway.

पुलिंदनगर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है .....पुलिंद नगर (AS, p.568) का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है-- 'ततो दक्षिणमागम्य पुलिंदनगरं महत्‌, सुकुमारं वशे चक्रे सुमित्रं चा नराधिपम्‌। महाभारत, सभापर्व 29,10. जहाँ बताया गया है कि पाण्डव भीमसेन ने अपनी दिग्विजय यात्रा के समय पुलिंद नगर पर अधिकार कर किया था। उपर्युक्त प्रसंग से पुलिंद नगर की स्थिति विंध्यप्रदेश की उपत्यकाओं में जान पड़ती है। हेमचन्द्र रायचौधरी के अनुसार यह प्रदेश 'रूपनाथ' के निकट स्थित रहा होगा, जहाँ अशोक का अभिलेख प्राप्त हुआ है। (दे. पुलिंद)

पुलिंद

विजयेन्द्र कुमार माथुर[8] ने लेख किया है .....पुलिंद (AS, p.567): महाभारत, वनपर्व के अंतर्गत पुलिंदों के देश का वर्णन पांडवों की गंधमादन पर्वत की यात्रा के प्रसंग में है। जान पड़ता है कि यह देश कैलाश पर्वत या तिब्बत के ऊँचे पहाड़ों की उपत्यकाओं में बसा था। इस प्रसंग में तंगणों और किरातों का भी उल्लेख है। पुलिंद देश के बर्फीले पहाड़ों का वर्णन भी इस प्रसंग में है.

मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेख 13 में पारिंदों का उल्लेख है, जो कुछ विद्वानों के मत में पुलिंदों का ही नाम है। किंतु डॉक्टर भंडारकर के मत में पारिंद वरेंद्र (बंगाल) के निवासी थे। पुराणों में पुलिंदों का विंध्याचल में निवास करने वाली अन्य जातियों के साथ वर्णन है- 'पुलिंदा विंध्यपुषिका वैदर्भा दंडकै: सह'। मत्स्य पुराण 114, 48. 'पुलिंदा विंध्यमूलीका वैदर्भा दंडकै: सह'। वायुपुराण 55, 126

[p.568]: महाराज हस्तिन के नवग्राम से प्राप्त 517 ई. के दानपत्र अभिलेख में पुलिंद राष्ट्र का उल्लेख है, जिसकी स्थिति डभाल, मध्य प्रदेश का उत्तरी भाग, में बतायी गयी है। अशोक के समय में पुलिंद नगर, जो पुलिंद देश की राजधानी थी, रूपनाथ के निकट स्थित होगा, जहाँ अशोक का एक लघु अभिलेख प्राप्त हुआ है। (रायचौधरी- पोलिटिकल हिस्ट्री ऑफ इंडिया, पृष्ठ 258) उपर्युक्त विवेचन से जान पड़ता है कि 'पुलिंद' नामक जाति मूलत: उत्तर तिब्बत की रहने वाली थी और कालांतर में भारत में आकर विंध्य की घाटियों में बस गयी थी। यह भी संभव है कि प्राचीन काल में भारतीयों ने दो भिन्न जातियों को उनके सामान्य गुणों के कारण पुलिंद नाम से अभिहित किया हो। (दे. पुलिंद नगर)

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.568
  2. Source: Ancient Buddhist Texts: Geography of Early Buddhism
  3. https://www.wisdomlib.org/definition/pulindanagara
  4. Source: Ancient Buddhist Texts: Geography of Early Buddhism
  5. https://www.wisdomlib.org/definition/pulindanagara
  6. ततॊ दक्षिणम आगम्य पुलिन्द नगरं महत्, सुकुमारं वशे चक्रे सुमित्रं च नराधिपम् (II.26.10)
  7. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.568
  8. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.567