दिनांक 18-02-14 को गाँव रेवासा से श्री त्रिलोक सिंह जी बेनीवाल, संचालक- राजस्थान पब्लिक स्कूल,रेवासा को साथ लेकर पहाड़ी में स्थित "श्री जीणमाता की खोल" देखने गया जो लगभग 50-55 फिट तक साफ़ दिखाई दे रही थी। उसके बाद वह पहले नीचे जाती हुयी और फिर से ऊपर उठती हुयी दिखाई दे रही थी। जो पूरी पहाड़ी के लगभग मध्य भाग में काफी दुर्गम चढ़ाई पर स्थित है। उस गाँव के सबसे बुजुर्ग श्री रघुनाथ जी कुमावत के अनुसार जीणमाता यहीं से पहाड़ी में प्रविष्ट हुयी और अपने वर्तमान जगह पर चमत्कृत रूप से प्रकट हुयी बताते हैं। जैसे अभी हाल ही घाट की गुणी में करीब 1 किलोमीटर लंबी सुरंग पहाड़ी को काट कर बनी गई है उसी तरह किसी पहाड़ पर प्राकृतिक रूप से बनी यह खोल(सुरंग) मैंने अपने जीवन में पहली बार देखी है कुछ लोगों ने यह भी बताया की एसी ही एक सुरंग ठीक इसी तरह पहाड़ी के लगभग मध्य भाग में नीमेड़ा गाँव के पास भी बनी हुयी है यदि ये दोनों सुरंगें कहीं आपस में मिलती हैं तो यह सुखद आश्चर्य ही होगा और जीणमाता संबंधी और तथ्यात्मक जानकारी हासिल करने में शायद कोई मदद भी मिल जाए

अतः शीघ्र ही नीमेड़ा की सुरंग को देखने के बाद इस पर कुछ लिखा जा सकेगा वैसे एक आश्चर्यजनक स्थान उसी पहाड़ी और देखा वो है किसी "अमानक शाह"(मुस्लिम धर्मी) नामक पीर का स्थान जीण की खोल से कोई 70-80 फिट नीचे उसी पहाड़ी में स्थित होना तो प्रश्न यह उठता है कि जब औरंगजेब द्वारा हर्ष और जीण के मंदिर नष्ट किए जा रहे थे तब शायद कोई मुसल्मान वहाँ आया हो और वहीं खेत रह गया हो परंतु ऐसे में कोई उसकी मज़ार क्यों बनवाता? यह यक्ष प्रश्न है। वैसे रेवासा गाँव में चौहान मुसलमान भी हैं शायद वे परिवर्तित हिन्दू चौहान ही हों यह खोजबीन अभी की जानी है। ....Bhanwar Lal Bijarnia 25 February 2014‎