Maujea Jat

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Maujea Jat (Chahar) was the chieftain of Chainkora village is situated in Tehsil- Kiraoli, District- Agra in Uttar Pradesh. His house was the centre of activities against Mughal Empire. Chaikora the castle of Maujea Jat, served as the base for their renewed activities.[1]

Variants of name

History

Chainkora (चैंकोरा) (Chaikora) village is situated in Tehsil- Kiraoli, District- Agra in Uttar Pradesh. It is sight of a Jat Fort. Chaikora (8 miles to the south of Sikri), was the castle of Maujea Jat, which served as the base for the renewed activities of Jat Chieftains against Mughal Empire.[2]

ठाकुर मोझीसिंह चाहर (मोजिया चाहर) भाग -3

जून 1664 का चैकोरा का युद्ध मोजिया चाहर

जगह जगह ब्रज में जाट पाल की पंचायते गाँव दर गाँव आयोजित की जा रही थी। इसी कड़ी में जून 1664 को चैकोरा में विशाल पंचायत का आयोजन किया गया जिसमें वीरवर चूड़ामणि, सौंख के हाथी सिंह, सोगर के रुस्तम सोगरवार ने भाग लिया। विशन सिंह और मुगलों की संयुक्त सेना ने जब 15 जून 1664 को चैकोरा का घेरा डाला उस समय से पूर्व ही जिसमें वीरवर चूड़ामणि, सौंख के हाथी सिंह, सोगर के रुस्तम सोगरवार और दूसरे पालों के मुखिया यहाँ से इतेरा को प्रस्थान कर चुके थे ।

महाराजा विशन सिंह जयपुर और आगरा के सूबेदार फिदल खान ने चैकोरा में घेरा डाल लिया लेकिन तभी उन पर छापेमार जाट योद्धाओं ने धावा बोल दिया। अहेरिया के चाहरों से भयानक युद्ध हुआ। मोजिया के वीर चाहरों मुगलों के सैनिक प्रमुख का सर काट लिया। इनका साथ कागारोल के चाहरों और सोलंकी जाटों ने दिया। भयंकर लड़ाई के बाद सासंडा ग्राम में मोजिया चाहर ने मुगलों से युद्ध किया। मोजिया चाहर ने सात मुग़ल अधिकारों को बंदी बनाकर अपने सैनिकों के साथ सिद्ध गिरी की पहाडियों में भेज दिया। जयपुर का सेनापति हरिसह खंगारोत ने इस जाट टोली का पीछा किया जिसके बाद चाहर जाटों की एक गढ़ी पर दोनों में युद्ध हुआ। 500 से ज्यादा जाट युद्ध में वीरता के साथ लड़े। विशाल मुगल सेना के आगे मृत्यु तक अपने हथियार नहीं डाले। बिशन सिंह जाटों को नहीं दबा पाया इसलिए जयपुर नरेश, जो मुगलों की तरफ से लड़ रहा था, उस ने आगरा में मुगलों के समर्थक राजपूत राजाओं का सैनिक सम्मलेन बुलाया जिसमे मुग़ल सूबेदार फिदलखान ने भदावर के मुग़ल समर्थक राजा कल्याण सिंह से जाट विद्रोही मोजिया के विरोध कार्यवाही करने को कहा। भदावर के राजपूत राजा कल्याण सिंह बोले कि यह कार्य मेरी शक्ति और युक्ति से बाहर है। विशन सिंह मेरी सहायता करे तो हम भी इस अभियान में पूरा साथ देंगे। इस आश्वासन के बाद दुबारा से विशन सिंह, हरी सिंह खंगारौत और कल्याण सिंह फिडल खान ने चैकोरा के गढ़ पर विशाल सेना लेकर आक्रमण किया। इस युद्ध में हरी सिंह का भाई हडूसिंह घायल हो गया। चैकोरा की गढ़ी का पतन हो गया। इसके बाद मुरकिया, मिकाडा के चाहरों ने मोजिया चाहर के साथ मिल कर विद्रोह कर दिया। एक मुग़ल टुकड़ी क़त्ल कर दी गई। पिदलखान के चाचा का सिर काट लिया। यह घटना 16 अप्रैल को घटित हुई। 21 अप्रैल को मुग़ल सेना ने यहाँ हमला कर दिया ।

External links

References


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