Vegavati

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Vegavati (वेगवती नदी) is name of a river in Tamil Nadu. Another Vegavati river originates from Girnar mountains in Junagarh, Gujarat.

Origin

Variants

History

Vegavati River takes its origin in the Pachipenta hills in Eastern Ghats. It is a tributary to Suvarnamukhi, which in turn is a tributary to River Nagavali. Salur town and Paradhi are located on the banks of this river. There are two road bridges at these places.

In Mahabharata

Vega (वेग) (Naga) in Mahabharata (I.52.5)

Adi Parva, Mahabharata/Book I Chapter 52 mentions the names of Nagas who fell into the fire of the snake-sacrifice. Vega (वेग) (Naga) is mentioned in Mahabharata (I.52.5).[1]....Kotisa, Manasa, Purna, Saha, Pola, Halisaka, Pichchhila, Konapa, Chakra, Kona, Vega, Prakalana, Hiranyavahu, Sharana, Kakshaka, Kaladantaka-- these Nagas born of Vasuki, fell into the fire.

वेगवती नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है .....वेगवती नदी (1) (AS, p.872) = वेगा

वेगवती नदी (2) (AS, p.872) = रैवतक या गिरनार पर्वत से निस्सृत नदी

वेगा नदी

वेगा नदी (AS, p.872): मदुरा (चेन्नई) के समीप बहने वाली नदी है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला से निस्मृत होकर मदुरा के दक्षिण-पूर्व में 'रामेश्वरम' के द्वीप के पास समुद्र में मिलती है। यह नदी स्थान-स्थान पर लुप्त हो जाती है। [3]

कृतमाला

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ... कृतमाला (AS, p.220) नदी का उल्लेख श्रीमद्भागवत (11, 5, 39–40) में हुआ है। ‘ताम्रपर्णी नदी यत्र कृतमाला पयस्विनी, कावेरी च महापुण्या प्रतीची च महानदी’ विष्णु पुराण (2,3,12) में कृतमाला नदी को 'मलय पर्वत' से उद्भूत माना गया है-- ‘कृतमाला ताम्रपर्णी प्रमुखा मलयोद् भवा:’

कुछ विद्धानों के मत में कृतमाला वर्तमान 'वेगा' या 'वेगवती' है, जो दक्षिण भारत के प्रसिद्ध नगर 'मदुरा' के निकट बहती है। प्राचीन समय में कृतमाला और ताम्रपर्णी नदियों से सिंचित प्रदेश का नाम 'मालकूट' था।

External links

References

  1. कॊटिकॊ मानसः पूर्णः सहः पौलॊ हलीसकः, पिच्छिलः कॊणपश चक्रः कॊण वेगः प्रकालनः (I.52.5)
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.872
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.872
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.47