Jatali
Jatali (जाटाली) is an area in Iran. The Jatali province is inhabited by Jats in Iran.
Ram Swarup Joon on Jatali
Ram Swarup Joon[1] writes that there is sufficient evidence to prove that these Scythians themselves were Jats and so easily amalgamated with their kith and kin. These very Scythians had named their territory in Turkistan as Jug Jats and a province in Iran as Jatali. The Khisans of Khamrian were known as Jat i-Iran. [2]
General Cunningham writes that the inhabitants of Jatali province in Iran are of Jat community of Yayati Dynasty. He also writes that people of the Shavi sub caste are the descendants, of the daughter of Daksha, and Raja Daksha was a Surya Vanshi.
इतिहास
ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है .... जाटों में आंजना जाट जयपुर राज्य में पाए जाते हैं। जो वास्तव में किसी समय अराजण (अराजक) रहे हैं। इनका भी एक समूह बहुत समय तक अजरी नदी के किनारे रहा है। जाटाली प्रांत जाटों के नाम से ईरान में काफी प्रसिद्धि पा गया था।
Dalip Singh Ahlawat on Jatali
Dalip Singh Ahlawat writes - डाक्टर ट्रिम्प साहब कहते हैं कि “सिन्ध की आदि निवासी जाति जाट हैं। इसमें संशय नहीं कि य जाट जो कि इस देश में निवासी जाति दिखलाई देते हैं, विशुद्ध आर्य-वंश में से हैं।” बैक्ट्रिया और हरकानिया तथा खुरासानिया के मध्य सारसंग नदी के किनारों पर एक बहुत उपजाऊ प्रदेश है। यहां के निवासी जिट्टी लोगों का वर्णन करते हुए प्टोलेमी और प्लिनी कहते हैं कि जाटों की यही आदि-भूमि है। यदि ये दोनों यूनानी लेखक भारत की ओर आये होते तो उन्हें डा० ट्रिम्प की राय माननी पड़ती। साथ ही सहज में वे समझ लेते कि वहां के जाट, भारतीय भारतीय जाटों के वंशज हैं जो कि यहां अपना प्रजातंत्र चलने के लिए तथा उपनिवेश स्थापना के लिए आये हैं। यह प्रदेश उनके नाम से जाटालि प्रसिद्ध हुआ[4]।
External links
References
- ↑ History of the Jats/Chapter III,p.37
- ↑ Todd's Rajasthan - Urdu edition
- ↑ Thakur Deshraj: Jat Itihas (Utpatti Aur Gaurav Khand)/Navam Parichhed,p.152
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter II (Page 120)
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