Alaka Nagari
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Alaka Nagari (अलका नगरी) was an ancient city on the bank of Alakananda River located near Kailas Mountain. It is assumed to be the capital of Yaksha king Kubera.
Origin
Variants
- Alaka (अलका) (AS, p.41)
- Alakanagari (अलका नगरी) (AS, p.41)
- Alaka Puri/Alakapuri (अलकापुरी)
- Alakavati/Alakawati/Alkavati/Alkawati (अलकावती) = Alaka (अलका) (p.42)
- Hattakeshvarapuri (हट्टकेश्वरपुरी) Mentioned L 16 of Raipur Museum Stone Inscription Of Prithvideva II.[1]
Jat Gotras Namesake
- Alakh (अलख) (Jat clan) → Alaka Nagari (अलका नगरी) - In Kâlidasa's Meghadûta, Râmagiri is mentioned as the place where the Yaksha, exiled from Alakā, lived for a year. (p.35)[2]
History
अलका
विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...अलका (AS, p.41) कालिदास ने मेघदूत में जिस 'अलकापुरी' का वर्णन किया है। वह कैलास पर्वत के निकट अलकनंदा के तट पर ही बसी होगी जैसा कि नाम - साम्य से प्रकट भी होता है। कालिदास ने मेघदूत में इस नगरी को यक्षों के राजा कुबेर की राजधानी माना है-- 'गंतव्या ते वसतिरलका नाम यक्षेश्वराणाम्' - (मेघदूत, पूर्वमेघ, 7). कवि के अनुसार अलकापुरी की स्थिति कैलास पर्वत पर थी और गंगा इसके निकट प्रवाहित होती थी - 'तस्योत्संगे प्रणयनिड्व स्नस्तगंगादुकूलं, न त्वं दृष्टवा न पुनरलकां ज्ञास्यसे कामचारिन। या व: काले वहति सलिलोद्गारमुच्चैर्विमानैर्मुक्ताजाल ग्रथितमलकं कामिनीवाभ्रवृन्दम्। (मेघदूत, पूर्वमेघ, 65) यहाँ 'तस्योत्संगे' का अर्थ है - उस पर्वत अर्थात् कैलास (पूर्वमेघ, 60-64) की गोदी में स्थित है। कैलास के निकट ही कालिदास ने मानसरोवर का वर्णन भी किया है - हेमाम्भोजप्रसविसलिलं मानसस्याददान:। (पूर्वमेघ, 64) संभव है कालिदास के समय में या उससे पूर्व कैलास के क्रोड़ में (वर्तमान तिब्बत में) किसी पार्वतीय जाति अथवा यक्षों की नगरी वास्तव में ही बसी हो।
कालिदास का अलका - वर्णन (उत्तरमेघ के प्रारंभ में) बहुत कुछ काल्पनिक होते हुए भी किन्हीं अंशो में तथ्य पर आधारित है - यह अनुमान असंगत नहीं कहा जा सकता। उपर्युक्त पद्य में कालिदास ने गंगा नदी का उल्लेख अलका के निकट ही किया है। वर्तमान भौगोलिक स्थिति के अनुसार गंगा ही का एक स्त्रोत - अलकनंदा कैलास के [p.42]: पास प्रवाहित होता है और अलका की स्थिति अलकनंदा के तट पर ही रही होगी जैसा संभवत: नाम - साम्य से इंगित होता है।
अलकनंदा गंगा ही की सहायक बदी है, दूसरे यह भी संभव है कि कालिदास ने क्रौंचरंध्र के उस पार भी हिमालय श्रेणियों को सामान्य रूप से कैलास कहा हो (पूर्वमेघ 64) न कि केवल मानसरोवर के निकटस्थ पर्वत को जैसा कि आजकल कहा जाता है। यह उपकल्पना मेघदूत (उत्तरमेघ, 10) से भी पुष्ट होती है जिसमें वर्णित है कि अलका में स्थित यक्ष के घर की वापी में रहने वाले हंस बरसात में भी मानसरोवर नहीं जाते है। हंसों के लिए अलका से मानसरोवर पर्याप्त दूर होगा नहीं तो इन पक्षियों के प्रव्रजन की बात कवि न कहता। इसलिए अलका की पहाड़ी के नीचे गंगा की स्थिति इस प्रकार स्पष्ट हो जाती है कि कालिदास के अनुसार कैलास हिमालय को पार करने के पश्चात् अर्थात् गंगोत्री के उत्तर में मिलने वाली पर्वत श्रेणी का सामान्य नाम है, न कि आजकल की भांति केवल मानसरोवर के निकट स्थित पहाड़ों का, जैसा कि भूगोलविद जानते हैं।
गंगा का मूलस्त्रोत गंगोत्री के काफ़ी उत्तर में, दुर्गम हिमालय की पहाड़ियों से प्रवाहित होता है। यह संभव है कि ये ही पर्वत श्रेणियां कालिदास के समय में कैलास स्थित शिव की जटाजुट में ही प्रथम गंगा अवतरित हुई थी। अलकावती नामक यक्षों की नगरी का उल्लेख बुद्धचरित [21,63] में भी है जिसका भावार्थ यह है कि 'तव अलकावती नामक नगरी में 'तथागत' ने मद्र नाम के एक सदाशय यक्ष को अपने धर्म में प्रव्रजित किया'।
External links
References
- ↑ Corpus Inscriptionium Indicarium Vol IV Part 2 Inscriptions of the Kalachuri-Chedi Era, Vasudev Vishnu Mirashi, 1955, p.436-442
- ↑ Corpus Inscriptionum Indicarum Vol.5 (inscriptions of The Vakatakas), Edited by Vasudev Vishnu Mirashi, 1963, Archaeological Survey of India, p.33-37
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p. 41