डा० रणवीर सिंह दहिया की रागनियां
जात मैं सुधार कौण करै ?
जाट का जाट बैरी होग्या घणा बुरा जमाना आया रै ।
भाई का भाई बैरी क्यों होग्या नहीं समझ मैं पाया रै ॥
गरीब जाट के बेटा-बेटी रैहगे बिना पढ़ाई क्यों
गरीब जाट की बहू मरती आज बिना दवाई क्यों
गरीब जाट की हालत सुधरै ना बात चलाई क्यों
अमीर जाट आँख फेरगे म्हारे मैं बदबू आई क्यों
थारे स्कूल न्यारे होगे म्हारे का बुरा हाल बणाया रै ॥
बीस कील्ले आळे का मन्नै छोरा बेरोजगार दिखा दे
दो कील्ले आळा मरै भूखा तू बस्या घरबार दिखा दे
बिना ब्याहा रहै म्हारा उड़ै इसा परिवार दिखा दे
गरीब किसान का बेटा यो चलाता सरकार दिखा दे
अमीर की सै जात पीस्सा म्हारै जात का ठप्पा लाया रै ॥
जात के नाम पै जात्यां आळे खूब निशाने साध रहे
पूरी जात का भला चाहवैं वे माणस एकाध रहे
जात के नाम पै पेट अपना फुला बाध रहे
जात सुधार कोन्या चाहते समझ हमनै सड़ांध रहे
जात का नाम लेकै लोगां नै फायदा घणा ए ठाया रै ॥
किस्मत माड़ी गरीब जाट की न्यों कहकै नै भकावैं
पाछले जन्म का भुगतैं सैं उसका फल आज पावैं
इस जन्म का मिलै अगले मैं आच्छी ढ़ाळ समझावैं
इस जन्म का ना कोए खाता रणबीर पै ये लिखावैं
सारी जात्यां के गरीबो क्यों ना कदे हिसाब लगाया रै ॥
अन्न्दाता
किसे और की कहाणी कोन्या इसमैं राजा रानी कोन्या
सै अपनी बात बिराणी कोन्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।।
यारी घोड़े घास की भाई, नहीं चलै दुनिया कहती आई
मैं बाऊं और बोऊं खेत मैं, बाळक रुळते मेरे रेत मैं
भरतो मरती मेरी सेत मैं, अन्नदाता का मत नाम लियो।।
जमकै लूटै सै मण्डी हमनै, बीज खाद मिलै मंहगा सबनै
मेहनत लुटै मजदूर किसान की, आंख फूटी क्यों भगवान की
भरै तिजूरी क्यों शैतान की, देख सभी का काम लियो।।
चाळीस साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं
बाळक म्हारे सैं बिना पढाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई
कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी हो तै लगाम दियो।।
शेर बकरी का मेळ नहीं, घणी चालै धक्का पेल नहीं
टापा मारें पार पडैग़ी धीरे, मेहनतकश रुपी जितने हीरे
बजावैं जब मिलकै ढोल मंजीरे, रणबीर का सलाम लियो।।
युवा लड़के और लड़की
साम्राज्यवाद के निशाने पै युवा लड़के और लड़की
बेरोजगारी हिंसा और नशा घंटी खतरे की खडकी (टेक)
सही बातों तैं धयान हटा कै नशे का मंतर पकडाया
लड़की फिरती मारी मारी समाज यो पूरा भरमाया
ब्यूटी कंपीटीसन कराकै देई लवा ऐश की तडकी ||
निराशा और दिशा हीनता दे वें चारों तरफ दिखाई
बात बात पै हर घर के महँ मचरी सै खूब लडाई
सल्फाश की गोली खा कै करैं जीवन की बंद खिड़की ||
युवा लड़की की ज्यान पै शाका पेट मैं शाका छाया
रोज हिंसा का शिकार बनैं ना साँस सुख का आया
वेश्यावृति घनी फैलाई जणूं जड़ ये फ़ैली बड़ की ||
एक तरफ सै चका चौंध यो दूजी तरफ अँधेरा
दिन पै दिन बढे यो संकट ना दिखे जमा सबेरा
रणबीर सिंह विरोध करेँ हम बाजी ला कै धड की ||
भ्रूण हत्या
म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया
आर्थिक उन्नति करी कम लिंग अनुपात नै खाया (टेक)
छाँट कै मारें पेट मैं लडकी समाज के नर नारी
समाज अपनी कातिल की माँ कै लावै जिम्मेदारी
जनता हुइ सै हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया ||
औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चा लै
आदमी आदमी का दुश्मन ना यो रोजै ए घर घा लै
समाज की बुन्तर सा लै यो हरयाणा बदनाम कराया ||
वंश का पुराणी परम्परा पुत्र नै चिराग बतावें देखो
छोरा जरूरी होना चाहिए छोरियां नै मरवावें देखो
जुलम रोजाना बढ़ते जावें देखो सुन कै कांपै सै काया||
अफरा तफरी माच रही महिला कितै महफूज नहीं
जो पेट मार तैं बचगी उनकी समाज मैं बूझ नहीं
आती हमनै सूझ नहीं, रणबीर सिंह घणा घबराया ||
नौकरी
रेगुलर नौकरी पाना कोन्या कति आसान बताऊँ मैं ||
सी ऍम ऍम पी सब धोरै पाँच साल तैं धक्के खाऊँ मैं || (टेक)
पहलम कहवैं थे टेस्ट पास करे पाछै तूं बताईये
पास करे पाछै बोले पहले चालीस गये बुलाईये
एक विजिट चार सिफरिसी दो हजार तले आऊँ मैं ||
सरकारी नौकरी रोज तड़कै ढूंढूं सूँ अख़बार मैं
दुखी इतना हो लिया सूँ यकिन रहया ना सरकार मैं
एजेंट हाँडें बोली लानते कहैं चाल नौकरी दिवाऊं मैं ||
एम् सी ए कर राखी कहैं डेटा आपरेटर लवा देवां
कदे कहैं नायब तसीलदार ल्या तनै बना देवां
तिरूँ डूबूं मेरा जी होरया सै पी दारू रात बिताऊँ मैं ||
घर आली पी एच डी करै उसकी फिकर न्यारी मन्नै
दोनूं बेरोजगार रहे तो के बनेगी या चिंता खारी मन्नै
रणबीर बरोणे आळे तनै सुनले दुखड़ा सुनाऊँ मैं ||
Dndeswal 06:51, 8 May 2012 (EDT)
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