प्रस्तावना
अतीत की वृतांत को आख्यान या इतिहास कहते है इतिहास एक प्रकार का दर्पण है जिसके दुवारा व्यक्ति अपने अतीत को याद कर सकता है और अतीत की गलतियों को भविष्य में सुधार सकता है विदेशी और कुछ आश्रित गुलाम इतिहासकारो ने जाटों के इतिहास को गलत रूप में प्रचारित किया है लेकिन जाटों का गौरवशाली इतिहास अब भी लोक कथाओ में जीवित है अपने गौरवशाली इतिहास की यादो को अपने ह्र्दय में संजोय हुए है उनका यह गौरवशाली इतिहास उनके अपने पूर्वजो नेअपनी वीरता ,त्याग, बलिदानी खून से सींचा है तभी तो कहा जाता है
" फूलो की कहानी बहारो ने लिखी
कायरो की कहानी उनके गुलामो ने लिखो
जाट नहीं थे किसी कलम के गुलाम
जाटों की कहानी उनकी तलवारो ने लिखी "
लेकिन आज जाटों के इतिहास को कलमबद्ध करने का समय आचुका है इसलिए तो कहा जाता है यदि तुमको किसी जाति या सभ्यता को नष्ठ करना है तो उनसे उनका इतिहास छीन लो वो जाति खुद ही नष्ठ हो जाएगी
जाटों का इतिहास नष्ठ करने का कार्य कही सदियो से निरंतर जारी हैआश्रित इतिहासकारो ने अपने आश्रय दाताओ को खुश करने के लिए अर्थ का अनर्थ ही कर डाला कुछ आश्रित इतिहासकारो ने भरसक कोशिश इतिहास को विकृत करने की की पर वो इसमें सफल नहीं हो पाये क्यों की जनमानस के लोक गीतों ओर कहानियो ने जाटों की इतिहासिक धरोहर को जीवित रखा
आज के युग में इंसान के पास समय की कमी है तो वो अपने बच्चों को अपने सुनहरे अतीत के बारे में बता सके लेकिन पूर्वजो के नाम पर जो पंद्रह दिनों का श्राद्ध आता है । उसमे हर व्यक्ति को अपने स्वजनों और बच्चों को उनके वंश गोत्र जाति और पूर्वजो के इतिहास का ज्ञान आवश्यक रुप से देना चाहिए । यही अपने पूर्वजो को सच्ची श्रद्धांजली होगी। नहीं तो आधुनिकता के चक्कर में बच्चे अपने दादा और परदादा तक के नामो को भूल गए है । इसलिए हमको अपनी आने वाली पीढ़ी में सामाजिक संस्कारो की आहुति देनी होगी।
To be continue.......