भारतीय नव सम्वत चैत्र शुल्क प्रतिपदा
सदियों की गुलामी से हम अपनी सभ्यता और संस्कृति की विशेषताओं से अनभिज्ञ हम केवल इतना ही जानते है जितना विदेशी आक्रांताओ में हम को ज्ञान दिया | पहले अनेकता में एकता और जीवन में सभी रंगो का संतुलन समायोजन हमारी संस्कृति की मूल विशेषता थी तो हम बहु आयामी है हमारा धर्म यही कारन है की अनेक व्रत और पर्व प्रचलित है हमारे समाज में और इनके साथ ही समंजिक जयंती और उत्सव की एक श्रृंखला