मीराबाई के गीत

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आज्यो म्हारे देस

बंसीवारा आज्यो म्हारे देस। सांवरी सुरत वारी बेस।।

ॐ-ॐ कर गया जी, कर गया कौल अनेक।

गिणता-गिणता घस गई म्हारी आंगलिया री रेख।।

मैं बैरागिण आदिकी जी थांरे म्हारे कदको सनेस।

बिन पाणी बिन साबुण जी, होय गई धोय सफेद।।

जोगण होय जंगल सब हेरूं छोड़ा ना कुछ सैस।

तेरी सुरत के कारणे जी म्हे धर लिया भगवां भेस।।

मोर-मुकुट पीताम्बर सोहै घूंघरवाला केस।

मीरा के प्रभु गिरधर मिलियां दूनो बढ़ै सनेस।।

मीराबाई की रचनाएं

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