रूप तेरा चन्दा-सा खिल रिया
रूप तेरा चन्दा-सा खिल रिया,
बे ने घढ़ी बैठ के ठाली
कर तावल वार भाजरी,
जिसी दारू माँ आग लाग री
कलियाँदार घाघरी,
पतली कम्मर लचकत चाली ।
भावार्थ
--'तेरा रूप चांद की तरह खिला-खिला-सा है । लगता है, भगवान ने तुझे फ़ुरसत में बैठ कर गढ़ा है । यह
सुनकर युवती वहाँ से भाग कर दूर चली गई । ऎसा लगा जैसे शराब में आग लग गई हो । कलीदार लहंगा पहने
वह अपनी पतली कमर को लचकाती हुई वहाँ से चली गई ।'
Back to Haryanavi Folk Lore