Aldyoka
Aldyoka (अलद्योका) or Alduka (अलदूका) is a village in tahsil Nuh of district Nuh (formerly Mewat) in Haryana.
Location
Jat gotras
Population
History
कप्तान सिंह देशवाल लिखते हैं -
चौ. स्वराज सिंह देशवाल के पिता गाँव दुल्हेड़ा से मेवात के गाँव छांयासा में आये थे। इस गाँव में देशवाल परिवार 50 वर्ष तक रहा था। गाँव छांयासा में देशवाल गौत्र की चौपाल आज भी मौजूद है। यह गाँव देशवाल का खेड़ा माना जाता है।
चौ. स्वराज सिंह अपने पशुओं को चराने के लिए और पानी की खोज में गाँव से काफी दूर एक जंगल में पहुंच गया। पशु पानी की तलाश में इधर-उधर जंगल में घूमने लगे। पशुओं में एक पालतू झोटा था जिसका नाम संतोकी था। यह झोटा घूमता-घूमता गहरे जंगल में एक तालाब में जाकर लेट गया। झोटे की तलाश करने पर यह एक तालाब में आराम से लेटा हुआ पाया था। चौ. स्वराज सिंह देशवाल गहरे जंगल में घुटनों के बल पर तालाब तक पहुंच गया। झोटे को निकालने के लिए काफी कौशिशों के बाद चौ. स्वराज सिंह ने पत्थर मारने शुरू कर दिये। एक पत्थर गहरे पानी में जाकर गिरा जिसकी आवाज पानी की गहराई को दर्शाती थी।
इस तालाब के बारे में जनश्रुति के अनुसार कहते सुना है कि संतोकी झोटे के नाम से इस तालाब का नाम संतोकी तालाब रखा गया। घुटनों के बल पर चलकर तालाब में पत्थर फेंकने से पानी की गहराई की आवाज से यह अनुमान लगाया गया कि यहाँ एक कुआँ भी हो सकता है। खोज करने पर यहाँ कुआँ मिला। घुटनों के बल पर तलाश करने के कारण इस कुएँ का नाम घटमानियाँ कुआँ रखा गया।
कुएँ के बारे में दूसरा मत यह भी है कि किसी समय यहाँ पर बंजारे रुके थे। इसी जंगल में इस तालाब के पास बंजारे के कबीले में एक लड़का पैदा हुआ था। बंजारों के मुखिया ने कहा कि अब यहाँ से कुआँ पूजन करके आगे चलेंगे। बंजारों ने यहाँ पर इस कुएँ की खुदाई करके इसका निर्माण करवाया। अपनी रीति के अनुसार कुआं पूजन करके बनजारे अपने व्यापार के लिए आगे चले गये। जिस लड़के का यहाँ पर जन्म हुआ था उसका नाम घटमानियाँ था। अतः इस कुएँ का नाम घटमानियाँ रखा गया। यह कुआँ और तालाब आज भी गाँव में मौजूद है।
गाँव के श्री देवराज शास्त्री ने बताया कि यह गाँव एक सम्पन्न और शान्तिप्रिय गाँव है। इस गाँव का नाम आलदुका इसलिए रखा गया कि यहाँ पर पानी आने का दूसरा कोई भी साधन व रास्ता नहीं था। यह क्षेत्र वर्षा पर निर्भर था। पानी का अन्य कोई स्रोत भी नहीं था। आलदुका संस्कृत भाषा का शब्द है। आला=पानी (नमी), द्यौ=आकाश, इन दोनों को मिलाने के हिसाब से इस गाँव का नाम आलदुका (आलदोका) रखा गया।
विशेषताएं -
- यह गाँव पलवल से नूँह रोड पर 22 किलोमीटर और नूँह से 8 किलोमीटर पलवल रोड पर आबाद है।
- इस गाँव का क्षेत्रफल 18000 पक्का बीघा जमीन है।
- इस गाँव का जन्म सन् 1330 में हुआ था। चौ. स्वराज सिंह देशवाल ने छांयासा गाँव से 50 वर्ष बाद आकर, अच्छा मुहूर्त देखकर बसन्त पंचमी के दिन यज्ञ हवन करके यह गाँव बसाया था।
- इस गाँव में पाँच पट्टी (पाने) हैं जिनके नाम मुखराम पट्टी, भूरा, जिलफटी पट्टी, बिचौंदा और मुजाजपुर पट्टी हैं।
- यह गाँव आर्यसमाजी गाँव है।
- चौ. न्यालसिंह, चौ. चरणसिंह देशवाल आजादी की लड़ाई में स्वतन्त्रता सेनानी थे।
- इस गाँव में कई पहलवान हुए हैं। लेकिन चौ० नथी सिंह देशवाल और बिल्लू पहलवान प्रसिद्ध हुए हैं।[2]
Notable persons
- चौ. जगदीश देशवाल उर्फ बिल्लू पहलवान (जन्म - 1950, देहान्त -1974)
- Er.Rahul Deshwal (B.Tech.CSE) son of Shri Jagpal Singh (Hon. Captain)
- चौ. ज्ञानचन्द शास्त्री (जन्म - 8 मार्च 1956) - समाजसेवी एवं अध्यापक। मार्च 2014 में सरकारी सेवा से निवृत हुए और सामाजिक कार्यों में बढ़चढ कर भाग लेना आरम्भ किया।[3]
External links
References
- ↑ Deshwal Gotra Ka Itihas (Volume II) (Page 94)
- ↑ कप्तान सिंह देशवाल : देशवाल गोत्र का इतिहास (भाग 2) (पृष्ठ 94-95)
- ↑ कप्तान सिंह देशवाल : देशवाल गोत्र का इतिहास (भाग 2) (पृष्ट 356-359)
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