Bajnamath

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Author:Laxman Burdak, IFS (Retd.)

Bajnamath (बाजनामठ) is a Bhairava temple in Jabalpur tahsil in Jabalpur district in Madhya Pradesh.

Variants

Bajanamatha (बाजनामठ), जिला जबलपुर, म.प्र., (AS, p.619)

Jat Gotra

Location

बाजनामठ जबलपुर ज़िला, मध्य प्रदेश में स्थित है, जिसे सिद्ध तांत्रिक मंदिर माना जाता है। जबलपुर से 6 मील की दूरी पर संग्राम सागर झील के किनारे स्थित भैरव मंदिर को 'बाजनामठ' भी कहा जाता है।

History

बाजनामठ

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है .....बाजनामठ (AS, p.619) जबलपुर ज़िला, मध्य प्रदेश में स्थित है, जिसे सिद्ध तांत्रिक मंदिर माना जाता है। जबलपुर से 6 मील की दूरी पर संग्राम सागर झील (Sangram Sagar Lake) के किनारे स्थित भैरव मंदिर को 'बाजनामठ' भी कहा जाता है। इसका निर्माण गौड़ नरेश संग्राम सिंह ने करवाया था। ये भैरव के उपासक थे। बाजनामठ में स्थित भैरव का मंदिर गौड़ वास्तुकला [p.620]: का प्रारूपिक उदाहरण है। इसका गोल गुंबद भी विशिष्ट गौड़ शैली में बना है। नवरात्र के अवसर पर यहाँ दूर-दूर के तांत्रिक लोग इकट्ठे होते हैं। संग्राम सागर के बीच में 'आमखास' नामक महल एक द्वीप पर बना है। स्थीनीय लोगों का विश्वास है कि यह महल तालाब के अंदर तीन तलों तक गया हुआ है।

बाजनामठ परिचय

निर्माण: बाजनामठ देश का दुर्लभ और सिद्ध तांत्रिक मंदिर है। सिद्ध तांत्रिकों के मतानुसार यह ऐसा तांत्रिक मंदिर है, जिसकी प्रत्येक ईंट शुभ नक्षत्र में मंत्रों द्वारा सिद्ध करके जमाई गई है। इस प्रकार के मंदिर पूरे भारत में कुल तीन ही हैं, जिनमें एक बाजनामठ तथा दो काशी और महोबा में हैं। बाजनामठ का निर्माण 1520 ईस्वी में राजा संग्राम सिंह द्वारा 'बटुक भैरव मंदिर' के नाम से कराया गया था। इस मठ के गुंबद से त्रिशूल से निकलने वाली प्राकृतिक ध्वनि-तरंगों से शक्ति जागृत होती है। कुछ अन्य विद्वानों के मतानुसार यह मठ ईसा पूर्व का स्थापित माना जाता है।

मान्यताएँ: आदि शंकराचार्य के भ्रमण के समय उस युग के प्रचण्ड तांत्रिक अघोरी भैरवनंद का नाम अलौकिक सिद्धि प्राप्त तांत्रिक योगी के रूप में मिलता है। तंत्रशास्त्र के अनुसार भैरव को जागृत करने के लिए उनका आह्वान तथा उनकी स्थापना नौ मुण्डों के आसन पर ही की जाती है, जिसमें सिंह, श्वान, शूकर, भैंस और चार मानव- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इस प्रकार नौ प्राणियों की बली चढ़ाई जाती है। किंतु भैरवनंद के लिए दो बलि शेष रह गई थी। यह भी माना जाता है कि बाजनामठ का जीर्णोद्धार सोलहवीं सदी में गोंड़ राजा संग्राम सिंह के शासन काल में हुआ, किंतु इसकी स्थापना ईसा पूर्व की है। बाजनामठ के विषय में एक जनश्रुति यह भी है कि एक तांत्रिक ने राजा संग्राम सिंह की बलि चढ़ाने के लिए उन्हें बाजनामठ ले जाकर पूजा विधान किया। राजा से भैरव मूर्ति की परिक्रमा कर साष्टांग प्रणाम करने को कहा, राजा को संदेह हुआ और उन्होंने तांत्रिक से कहा कि वह पहले प्रणाम का तरीका बताए। तांत्रिक ने जैसे ही साष्टांग का आसन किया, राजा ने तुरंत उसका सिर काटकर बलि चढ़ा दी।

संदर्भ: भारतकोश-बाजनामठ

External links

References


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