Bhanwargarh Fort
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |


Bhanwargarh Fort is site of a fort near Bhoura village in Shahpur tahsil of Betul district in Madhya Pradesh.
Variants
Origin
Jat Gotras Namesake
Location
History
भंवरगढ़ किला
भंवरगढ़ - शाहपुरा परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 200, 199 एवं 187 की सीमा पर स्थित है. आदिवासियों के ईस्ट भंवरदेव की पूजा स्थली एवं कुछ प्राकृतिक झरने भी हैं. यह बैतूल से लगभग 50 किलोमीटर दूर है.[1]
भंवरगढ़ किला गोंडवाना का एक ऐसा ऐतिहासिक किला है जिसे आज तक दुनिया के सामने नहीं लाया जा सका है. यह किला सतपुड़ा की खूबसूरत पहाड़ियों पर समुद्र तल से 880 मीटर की उंचाई पर स्थित है. द कोइतूर टाइम्स की टीम ने इस किले का भ्रमण किया और बहुत सारे ऐतिहासिक और धार्मिक तथ्य जुटाएं हैं. इस किले के बारे में अभी बहुत सारी जानकारियाँ आनी बाकी हैं. यह किला 600 वर्षों से ज्यादा प्राचीन है जो गोंडवाना के प्राचीन किलों में से एक हैं.
भंवरगढ़ का किला मध्य प्रदेश की राजधानी, भोपाल शहर से लगभग 155 किमी दूर बेतुल जिले की शाहपुर तहसील में स्थित है. शाहपुर क़स्बे से लगभग 14 किलोमीटर पश्चिम पावर झंडा गाँव के पश्चिम में स्थित है. पावर झंडा गाँव तक कार या बाइक से आसानी से पहुंचा जा सकता है. फिर वहां से किले पास की पहाड़ी तक केवल बाइक से या पैदल जाया जा सकता है. क़िले तक का बाकी सफ़र पैदल ही चलना होता है लगभग दो ढाई घंटे की ऊंची चढाई के बाद ही किले के प्रथम गेट के दर्शन मिलते हैं.
किला काफी टूटी फूटी स्थिति में है और इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा ढह गया है . किले की कुछ दीवारें, बुर्ज, बावड़ी, मोती टाँका, बादल महल और राजा महल आदि के हिस्से के अवशेष अभी भी देखे जा सकते हैं. यह बहुत ही खूबसूरत स्थान है यहाँ पर एक पूरा दिन अच्छे से बिताया जा सकता है. किले के ऊपरी हिस्से से सतपुड़ा की खूबसूरत वादियों के नज़ारों के मजे लिए जा सकते हैं. यहाँ पर कोइतूरों के प्रसिद्द पेन ठाना जैसे चंडी दाई का ठाना, भोरगढ़ बाबा का ठाना, चुल्हा देव, और फड़ापेन का ठाना सहित नर्रे गोत्र का पेन गढ़ा भी है.
यहाँ पर कई जिलों के कोइतूर परिवार अपने देवी देवताओं की पूजा अर्चना (गोंगों) करने आते रहते हैं.
स्रोत: डॉ सूरज धुर्वे का फेसबुक पेज
भंवरगढ़ किला :भास्कर समाचार
भंवरगढ़ किला : शाहपुर से करीब 14 किमी दूर पश्चिम में पावरझंडा के पास भंवरगढ़ किला है। यह किला आदिवासी राजाओं की निशानी में से एक है। पत्थराें और पीली मिट्टी की दीवाराें से बना यह किला समुद्र तल करीब 800 मीटर ऊंचाई पर है। यह मुगल काल से पुराना है। इस किले में एक मंदिर और तालाब, बावली है। यहां पर पानी की कमी नहीं हाेती है। दुश्मनों से रक्षा के लिए आदिवासी किले को पहाड़ पर बनाते थे। हमलावर आसानी से किले तक नहीं पहुंच पाते थे। यहां स्थित मंदिर में त्याैहाराें और पर्व पर लोग आते-जाते हैं। बारिश नहीं हाेने पर लाेग यहां पर मन्नत मांगते हैं। पहावाड़ी के मुकेश मालवीय ने इस किले को लेकर पुरातत्व विभाग को अवगत कराया है।[2]
People
External links
See also
References
- ↑ आर डी महला, कार्य आयोजना अधिकारी, उत्तर बेतूल वनमंडल
- ↑ https://www.bhaskar.com/mp/betul/news/mp-news-the-fort-of-betul-explains-the-history-of-gondraj-the-need-to-ease-the-historical-heritage-064532-4370531.html