Bilhari

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

District map of Katni

Bilhari (बिलहरी) is a village in Katni tahsil of district Katni, Madhya Pradesh.

Variants

Location

Bilhari village is located in Rithi Tehsil of Katni district in Madhya Pradesh, India. The location code or village code of Bilhari village is 488284. It is situated 30km away from sub-district headquarter Rithi and 16 km away from district headquarter Katni.[1]

History

बिलहरी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ..... बिलहरी (AS, p.630) मध्य प्रदेश राज्य में कटनी से 9 मील की दूरी पर स्थित है।

एक किंवदंती के अनुसार बिलहरी को प्राचीन 'पुष्पावती' बताया जाता है और इसका संबंध माधवानल और कामकंढला की प्रेम गाथा से जोड़ा गया है। यह कथा पश्चिम भारत में 17वीं शती तक काफ़ी प्रख्यात थी, किंतु इस कथा में पुष्पावती गंगा तट पर बताई गई है, जो बिलहरी से अवश्य [p.631]: ही भिन्न थी। हमारे अभिज्ञान के अनुसार वाचक कुशललाभ रचित माधवानल कथा में वर्णित पुष्पावती बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) में गंगा के तट पर बसी हुई प्राचीन नगरी 'पूठ' है। किंतु बिलहरी का भी नाम पुष्पावती हो सकता है, क्योंकि तरणतारण स्वामी के अनुयायी भी बिलहरी को अपने गुरु का जन्म स्थान पुष्पावती मानते हैं।

बिलहरी में प्रवेश करते ही एक विशाल जलाशय तथा एक प्राचीन गढ़ी दिखायी देती है। यह जलाशय लक्ष्मणसागर-नोहलादेवी के पुत्र कलचुरी शासक लक्ष्मणराज (945-970 ई.) ने बनवाया था, जैसा कि बिलहरी से प्राप्त, नागपुर संग्रहालय में संग्रहित, एक अभिलेख से ज्ञात होता है। गढ़ी सुदृढ़ बनी हुई है और लोकोक्ति के अनुसार चंदेल नरेशों के समय की है। बिलहरी तथा इसके निकटवर्ती प्रदेश पर कलचुरियों की शक्ति क्षीण होने पर चंदेलों का राज्य स्थापित हुआ था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इस गढ़ी पर सैंकड़ों गोले पड़ने पर भी इसका बाल भी बांका नहीं हुआ।

लक्ष्मणराज का बनवाया हुआ एक मठ भी यहाँ का उल्लेखनीय स्मारक है, किंतु कुछ विद्वानों के मत में यह मुग़ल काल का है। बिलहरी में कलचुरिकालीन सैंकड़ों सुंदर मूर्तियाँ प्राप्त हुईं हैं। ये हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों से संबंधित हैं। एक विशिष्ट अभिलेख बिलहरी से प्राप्त हुआ है, वह है 'मधुच्छत्र', जो एक लंबे वर्ग पट्ट के रूप में है। यह परिणाम 94"x94" है. इसके बीच में कमल की सुंदर आकृति है, जिसके चार विस्तृत भाग हैं। इस पर सूक्ष्म तक्षण किया हुआ है। विचार किया जाता है कि यह छत्र शायद पहले किसी मंदिर की छत में अधार रूप से लगा होगा। इसे महाकोसल की महान् प्राचीन शिल्पकृति माना जाता है। यह अभिलेख अब नागपुर के संग्रहालय में सुरक्षित है।


बिलहरी से कलचुरी वंश का 10वीं शताब्दी का अभिलेख कलचुरी शासक युवराज द्वितीय (980-990 ई.) से सम्बन्धित है। इस अभिलेख से कलचुरी वंश की उत्पत्ति एवं प्रारम्भिक शासकों पर प्रकाश पड़ता है। इस अभिलेख से युवराज प्रथम (915-945 ई.) के सैंनिक अभियानों का भी अभिज्ञान होता है।

[3]

Monuments

  • Ladaki Ka Tila

Notable persons

External links

References


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