Brahmarshi Desha

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Brahmarshi Desha (ब्रह्मर्षि देश) was region in India eastward from Sirhind, including the tract between the Yamuna and Ganges rivers as far south as Mathura.

Origin

Variants

History

Brahmarsi-desha, land of the rsi, or sages. Historically, the Sanskrit term was used to describe the second region of Indo-European occupation in India—the area eastward from Sirhind, including the tract between the Yamuna (Jumna) and Ganges (Ganga) rivers as far south as Mathura. It included Indraprastha (Delhi), the capital of the Pandavas, and Kurukshetra, the legendary battlefield of the Kurus and the Pandavas, whose struggle is the main theme of the Mahabharata. This region is to be distinguished from the Brahmavarta, or Holy Land, which covered the seven rivers from the Indus to the Sarasvati and the town of Sirhind. Brahmarshi-desha was occupied before 1000 BCE. It is associated with the Vedic commentaries of the Brahmanas and the divinely revealed treatises of the Upanishads.[1]

ब्रह्मर्षि देश

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...ब्रह्मर्षि देश (AS, p.650): मनुस्मृति 2,19 के अनुसार कुरु, पंचाल, शूरसेन तथा मत्स्य देशों का सम्मिलित नाम--'कुरुक्षेत्रं च मत्स्याश्च पंचाला: शूरसेनका:, एष ब्रह्मर्षि देशो वै ब्रह्मावर्तादनन्तर:'.

ब्रह्मर्षि देश परिचय

ब्रह्मर्षि देश ऋषियों या संतों की भूमि को कहा गया है। ऐतिहासिक तौर पर यह संस्कृत शब्द है, जिसका प्रयोग सरहिन्द के पूर्व में दक्षिण में स्थित मथुरा तक पूरे गंगा और यमुना नदियों के मध्यवर्ती मैदानी क्षेत्र के लिए किया जाता था। इस क्षेत्र में पांडवों की राजधानी 'इंद्रप्रस्थ' (वर्तमान दिल्ली) और कौरवों व पांडवों के बीच हुए महाभारत का रणक्षेत्र 'कुरुक्षेत्र' शामिल है। इसमें सिंधु से सरस्वती तक सात नदियाँ और सरहिन्द नगर शामिल थे। ब्रह्मर्षि देश 1000 ई. पू. से पहले बसा हुआ था और वेदों पर ब्राह्मणों की टीकाओं और उपनिषदों पर टिप्पणियों से संबंधित है।[3]


External links

References