Braj Kesari Raja Hathi Singh/Raja Hathi Singh Par Rachit Ragani Aur Kavitayen
राजा हठी सिंह पर रचित रागिनी और कविताएं |
राजा हठी सिंह के जीवन चरित्र को समर्पित कवि इकबाल सिंह की रागनी
सौंखगढ़ के अधिपति थे,स्वाभिमानी सुखपाल सुनो
इंद्रा कौर की कोख से हुआ,हठी सिंह अनूठा लाल सुनो
गोवर्धन-सोनोठ-सौंख-फ़राह में,खुशी अपार छाई सुनो
बड़ी बड़ी जाट चौधरी सौंख में ,नामकरण पर आई सुनो
गिले शिकवे छोड़ आपस की दूरी खत्म कराई सुनो
सुखपाल सिंह अधिपति ने,देश की हालत यूँ बताई सुनो
की मिल जुलकर करनी होगी,अब कौम की सम्हाल सुनो
ब्रज केसरी राजा हठी सिंह,पृष्ठान्त-69
भीम की भांति अपने दौर का था,हठी सिंह बलवान सुनो
हाथियो जितने बल का उन्हें,मंशा देवी ने दिया था वरदान सुनो
फिर फोन्दा सिंह,सीताराम ने किया था,संघर्ष का ऐलान सुनो
हठी सिंह युवा दिलों में,भरे थे संघर्ष के उबाल सुनो(2)
मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन आज अपना नाम लिए ना होते
राजा हठी सिंह ने आर पार के,संग्राम किए ना होते
पाखरिया के लाल किले पर,मंजिले मुकाम हुए ना होते
राजा हठी सिंह ने गोकुला के मुगलो से इंतकाम लिए ना होते
इसलिए जागरूक खुटेला तोमर बंधुओ की अपील तत्काल सुनो(3)
महाराजा अनंगपाल का,इतिहास में क्यों स्थान नही ?
ब्रज केसरी राजा हठी सिंह,पृष्ठान्त-70
महा मानव सम्राट सलकपाल के त्यागो का, क्यों कही सम्मान नही
अपने गौरवशाली पुरखो का क्यों,खुटेला तोमरो को ध्यान नही
ब्रज केसरी राजा हठी सिंह,पृष्ठान्त-71