Chaudhary Ganga Ram Rana
(Redirected from Chaudhary Ganga Ram Jatrana (Arya))
- Chaudhary Gangaram Jatrana - (Garhi Kundal) District Rohtak - That was a very difficult time for the Arya Samajis, at that time, if someone became an Arya Samaji, then the preachers of Arya Samaj used to give him the sacred thread i.e., through the Yagyopaveet Sanskar and enter him into the Arya Samaj. The one who took the sacred thread also started considering himself an Arya Samaji and was always ready to sacrifice his body, mind, wealth and everything for the Arya Samaj with devotion. The opponents of Arya Samaj used to oppose the Arya Samajis of that time and harass them. Therefore, after taking the sacred thread, Chaudhary Bhim Singh and his companions had to face terrible struggle and hardships for a long time. Some of his famous Arya Samaj companions were Choudhary Ganga Ram ji (Garhi Kundal) of Rohtak and father-in-law of Chaudhary Charan Singh, Choudhary Hari Singh (Ferozepur Bangar), Choudhary Ramnarayan (Bhagan of Rohtak and father of Chaudhary Lahri Singh), and Choudhary Maturam ji (Sanghi of Rohtak and grandfather of Chaudhary Bhupinder Singh Hooda). (Source: Virendra Singh Kadipur (Jatrana), Mob: 93508 73694)
- Acharya Bhagwan Dev Ji (later Swami Omanand Ji) has written an article on Chaudhary Bhim Singh Kadipur in the magazine "Sudhakar" in which (Chaudhary) Ganga Ram Ji is also mentioned as above, from whom there was a demand to remove the sacred thread in the Panchayat. This (Jatrana gotra) Chaudhary Ganga Ram Ji son of Chaudhary Harnam Singh was a resident of village Gadhi Kundal, district Sonipat Haryana and was the father of Chaudhary Charan Singh's wife Mrs. Gayatri Devi Ji. He passed the eighth class examination from Middle School Kharkhoda and stood first in his class. He got his two daughters Shanti Devi and Gayatri Devi educated in Kanya Vidyalaya Jalandhar. But unfortunately, he, his wife and son died in 1918 due to Spanish Flu (which was called Moji fever in those days and is known as Covid today) which came a century ago. Only two daughters survived. After the death of son Ganga Ram, Harnam Singh ji had given a marriage advertisement in the "Jat Gazette" newspaper of that time to find suitable grooms for his granddaughters, which must have seemed strange in those days. His elder daughter Shanti Devi was married to Balbir Singh (Punjab Police), son of Risaldar Mayaram, resident of Nangloi Delhi. (Source: Virendra Singh Kadipur (Jatrana), Mob: 93508 73694)
- चौ० गंगाराम जटराणा - (गढ़ी कुण्डल) जि० रोहतक - वह आर्यसमाजियों के लिये बड़ा विकट समय था, उस समय जो आर्यसमाजी बनता था तो आर्यसमाज के उपदेशक जनेऊ देकर अर्थात् यज्ञोपवीत संस्कार के द्वारा उसको आर्य समाज में प्रविष्ट करते थे। जनेऊ लेने वाला भी अपने आप को आर्यसमाजी समझने लगता था और श्रद्धापूर्वक आर्य समाज के लिये तन-मन-धन सर्वस्व लुटाने के लिये प्रतिक्षण तैयार रहता था। आर्यसमाज के विरोधी उस समय के आर्यसमाजियों का बड़ा विरोध करते थे तथा उन्हें तंग करते थे। इसलिए यज्ञोपवीत लेने के पीछे चौ० भीमसिंह और उनके साथियों को बहुत समय तक भयंकर संघर्ष और कष्टों का सामना करना पड़ा। उनके कुछ प्रसिद्ध आर्यसमाजी साथी चौ० गंगाराम जी (गढ़ी कुण्डल) जि० रोहतक व चौधरी चरण सिंह जी के ससुर, चौ० हरिसिंह जी (फिरोजपुर बाङ्गर), चौ० रामनारायण जी (भगाण जि० रोहतक व चौधरी लहरी सिंह के पिता जी), और चौ० मातुराम जी (सांघी जि० रोहतक व चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दादा जी) इत्यादि थे। (Source: Virendra Singh Kadipur (Jatrana), Mob: 93508 73694)
- आचार्य भगवान देव जी (कालांतर में स्वामी ओमानंद जी) ने "सुधारक" पत्रिका में चौधरी भीम सिंह कादीपुर पर जो लेख लिखा है उसमें (चौधरी) गंगाराम जी का भी उपरोक्तानुसार उल्लेख है जिनसे भी पंचायत में जनेऊ उतरवाने की मांग थी। ये (जटराणा गोत्रीय) चौधरी गंगाराम जी पुत्र चौधरी हरनाम सिंह गांव गढी कुंडल, जिला सोनीपत हरियाणा के निवासी थे और चौधरी चरण सिंह की पत्नी श्रीमती गायत्री देवी जी के पिता जी थे। उन्होंने मिडिल स्कूल खरखोदा से आठवीं की परीक्षा पास की और अपनी कक्षा में पर्थम आये। इन्होंने अपनी दोनों बेटियों शांति देवी व गायत्री देवी को कन्या विद्यालय जालंधर में पढाया। लेकिन दुर्भाग्यवश इनकी, पत्नी की व बेटे की मृत्यु एक सदी पूर्व आये Spenish Flu ( जो उन दिनों मोजी बुखार कहलाता था और आज कोविड के नाम से जाना जाता है) से सन 1918 में हो गई। बस दो बेटियां बच गई। बेटे गंगाराम के देहांत के बाद हरनाम सिंह जी ने अपनी पोतियों के लिए योग्य वर ढूंढने के लिए उस समय काल में "जाट गजट" अखबार में विवाह विज्ञापन दिया था जो उन दिनों विचित्र सा लगा होगा। इनकी बड़ी बेटी शांति देवी नांगलोई देहली निवासी रिसलदार मायाराम के बेटे बलबीर सिंह (पंजाब पुलिस) से ब्याही गई। (Source: Virendra Singh Kadipur (Jatrana), Mob: 93508 73694)
References
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