Dhrishtadyumna
Dhrishtadyumna (धृष्टद्युम्न) meaning "daring [and having] splendor" or similar), also known as Draupada, was the son of Drupada and brother of Draupadi and Shikhandi in the epic Mahābhārata. He was the Maharathi (commander) of the Pandava army during the great battle, and he killed Dronacharya on the 14th day of Kurukshetra war.
After the Kurukshetra war, Dhrishtdyumna was killed by Drona's son Ashwatthama as a revenge to his father's death. Ashwatthama hit Dhrishtadyumna with a sword while he was in deep sleep.
Adi Parva, Mahabharata/Mahabharata Book I Chapter 63 mentions about the birth of Dhrishtadyumna.
- "Then was born Dhrishtadyumna, of the splendour of Agni himself, from the sacrificial fire. And the mighty hero was born with bow in hand for the destruction of Drona."
- तथैव धृष्टद्युम्नॊ ऽपि साक्षाद अग्निसमद्युतिः
- वैताने कर्मणि तते पावकात समजायत
- वीरॊ दरॊण विनाशाय धनुषा सह वीर्यवान Mahabharata (1.63.91)
Short description in Hindi
महाराज द्रुपद ने द्रोणाचार्य से अपने अपमान का बदला लेने के लिये संतान-प्राप्ति के उद्देश्य से यज्ञ किया। यज्ञ की पूर्णाहुति के समय यज्ञकुण्ड से मुकुट, कुण्डल, कवच, त्रोण तथा धनुष धारण किये हुए एक कुमार प्रकट हुआ। इस कुमार का नाम धृष्टद्युम्न रखा गया। महाभारत के युद्ध में पाण्डव-पक्ष का यही कुमार सेनापति रहा। ये द्रुपद के पुत्र तथा द्रौपदी के भाई थे, जो यज्ञकुण्ड से उत्पन्न हुए थे। इनके पुत्र का नाम धृष्टकेतु था। पाण्डवों की ओर से महाभारत में युद्ध लड़े थे। इन्होंने द्रोण का वध किया था
महाभारत से धृष्टद्युम्न पांचाल-राज द्रुपद का पुत्र था। महाभारत-युद्ध में उसने द्रुमसेन का वध किया था। द्रोण के हाथों द्रुपद अपने तीन पौत्रों तथा विराट सहित मारे गये। धृष्टद्युम्न क्रोध से थरथरा उठा और द्रोण को मारने के लिए उसने शपथ ली, किंतु द्रोण वीर योद्धाओं से इतने सुरक्षित थे कि वह उनका कुछ भी बिगाड़ न पाया। तभी भीम ने आकर उसे युद्ध के लिए उत्साहित किया तथा दोनों वीर द्रोण की सेना में घुस गये। श्रीकृष्ण की प्रेरणा से पांडवों ने द्रोण तक यह झूठा समाचार पहुंचाया कि अश्वत्थामा मारा गया है। फलस्वरूप द्रोण ने अस्त्र शस्त्र त्याग दिये। अवसर का लाभ उठाकर धृष्टद्युम्न ने द्रोण के बाल पकड़कर सिर काट डाला। वास्तव में द्रुपद ने एक वृहत यज्ञ में देवोपासना के उपरांत प्रज्वलित अग्नि से द्रोणाचार्य के वध के निमित्त ही धृष्टद्युम्न नामक राजकुमार को प्राप्त किया था तथा द्रोण ने धृष्टद्युम्न के वध के लिए अश्वत्थामा को जन्म दिया था। द्रोण-वध को लेकर अर्जुन तथा सात्यकि का धृष्टद्युम्न से बहुत विवाद हो गया। भीम, सहदेव, युधिष्ठिर तथा कृष्ण ने बीच-बचाव कराया।
Back to The Ancient Jats