Energy Conservation

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Author:Ranvir Singh Tomar

ऊर्जा संरक्षण/ऊर्जा बचत (Energy Conservation)

ऊर्जा

किसी भी गतिशील या विशेष स्थिति में स्थिर वस्तु के कार्य करने की सम्पूर्ण क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं । ऊर्जा के अनेक रूप हैं जैसे - यांत्रिक ऊर्जा (मैकेनिकल एनर्जी), गतिज ऊर्जा (काइनाईटिक एनर्जी), स्थितिज ऊर्जा (पोटेंशियल एनर्जी), उष्मीय ऊर्जा (थरमल एनर्जी), प्रकाश ऊर्जा (लाइट एनर्जी), चुंबकीय ऊर्जा (मैग्नेटिक एनर्जी), विद्युत ऊर्जा (इलेक्ट्रिकल एनर्जी), ध्वनि ऊर्जा (साउंड एनर्जी), रासायनिक ऊर्जा (केमिकल एनर्जी), परमाणु ऊर्जा (एटोमिक एनर्जी), नाभिकीय ऊर्जा (न्यूक्लियर एनर्जी), सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी), पवन ऊर्जा (विंड एनर्जी), जैविक ऊर्जा (बायोमास एनर्जी), ज्वारीय ऊर्जा ( टाइडल एनर्जी ), भूगर्भीय ऊर्जा (जियो थर्मल एनर्जी), सुप्त ऊर्जा , जाग्रत ऊर्जा, मानवीय ऊर्जा आदि । इन्हें मुख्यत: दो भागों में विभाजित किया जाता है : -

1 - परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत (कनवेन्शल सोर्स आफ एनर्जी) या क्षय ऊर्जा स्त्रोत (नोन रिनुएवल सोर्स आफ एनर्जी)

2 - गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत (नोन कनवेन्शल सोर्स आफ एनर्जी) या अक्षय/नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोत (रिनुएवल सोर्स आफ एनर्जी)

परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत या क्षय ऊर्जा स्त्रोत

भूमि के अन्दर पाये जाने वाले वे पदार्थ हैं जिनमें कार्बन और हाइड्रोकार्बन हैं । इन पदार्थों को जीवाश्म (फोसिल) कहते हैं । कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस आदि जीवाश्म (फोसिल) हैं । परमाणु/नाभिकीय ऊर्जा को भी परम्परागत ऊर्जा मानते हैं, यह परमाणु/यूरेनियम से प्राप्त होती है । विश्व की ऊर्जा आपूर्ति जीवाश्म (फोसिल) ईंधन से होती है ।

परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत तेजी से घट रहे हैं और निरन्तर बढ़ते उपयोग से समाप्त होने की सम्भावना है, साथ ही कोयले के अधिक उपयोग से होने वाले प्रदूषण भी एक गम्भीर समस्या है । नाभिकीय ऊर्जा के लिए उच्च तकनीकी की आवश्यकता होती है तथा उसके रेडियो धर्मी सक्रिय व्यर्थ पदार्थ के उपभोग की समस्या आती है । अतः भविष्य में ऊर्जा की मांग की पूर्ति के लिए ऊर्जा के गैर परम्परागत स्त्रोतों (अक्षय/नवकरणीय स्त्रोतों) का उपयोग करना पड़ेगा । क्योंकि -

1 - देश में ऊर्जा की खपत निरन्तर बढ़ रही है जो मुख्यत: जीवाश्म (फोसिल) के स्रोत - कोयला, तेल, और गैस की उपलब्धता पर निर्भर है । इसके लगातार उपयोग से निश्चित रूप से इनकी उपलब्धता में कमी आएगी ।

2 - तेल और गैस का बढ़ती कीमतों से विदेशी मुद्रा विनियमन प्रभावित होगी ।

3 - राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में कमी आएगी ।

4 - लगातार बढ़ते जीवाश्म ईंधन (फोसिल फ्यूल) के उपयोग से प्रर्यावरण की गम्भीर समस्याएं भी आएंगी ।

5 - पर्यावरण के गिरते हुए स्तर एवं प्रदूषण पर अंकुश/रोक लगाने के लिए ।

6 - ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए ।

7 - ऊर्जा की मांग और पूर्ति के मध्यम अन्यत्र कम करने के लिए ।

8 - वर्तमान स्तर से ऊर्जा की खपत में 20 - 25 प्रतिशत की कमी विभिन्न क्षेत्रों में सम्भव है, ऊर्जा के अंतिम उपयोग के लाभों के बिना ।

9 - गैर परम्परागत (नोन कनवेन्शनल) ऊर्जा स्त्रोत अक्षय/नवकरणीय (रिन्युएविल) स्त्रोत एवं प्रर्यावरण अनुकूल हैं । अतः ऊर्जा संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ।

गैर परम्परागत (नोंन कन्वेंशनल/रिन्युएबिल/नवकरणीय) ऊर्जा स्त्रोत

ऊर्जा के गैर परम्परागत स्त्रोत जीवाश्म (फोसिल) नहीं हैं, यह स्त्रोत प्राय: भूमि के ऊपर अन्दर दोनों हैं । ऊर्जा के अक्षय स्रोत प्रकृति में निरन्तर उपलब्ध रहते हैं, कभी समाप्त/खर्च नहीं होते हैं । जैसे सूर्य का प्रकाश, लकड़ी जंगल से काटकर जलाने के लिए उपयोग की जाती है तो पुनः पेड़ लगाकर पैदा की जाती है । इस तरह लकड़ी खत्म नहीं होती है बशर्ते वृक्षारोपण न हो । इसमें मुख्यत: सूर्य ऊर्जा, जल प्रपात, पवन ऊर्जा, कृषि एवं जानवरों के अपशिष्ट (वेस्ट) एवं जैविक (बायोमास) खाद, गोबर गैस, ज्वारीय ऊर्जा, भूमिगत (जियो थर्मल) ऊर्जा, स्त्रोत आदि परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत कहलाते हैं ।

ऊर्जा संरक्षण की संभावनाएं

विभिन्न क्षेत्रों तथा ऊर्जा गहन उद्योगों में बचत की संभावनाएं निम्नानुसार आंकलित की गई हैं -

1 - औद्योगिक क्षेत्र में 25 प्रतिशत तक संरक्षण सम्भावनाएं ।

2 - कृषि क्षेत्र में 25 से 30 प्रतिशत तक संरक्षण सम्भावनाएं ।

3 - घरेलू क्षेत्र में 20 प्रतिशत तक संरक्षण सम्भावनाएं ।

4 - नगर पालिका/नगर निगम क्षेत्र में 15 से 22 प्रतिशत तक संरक्षण सम्भावनाएं ।

5 - शासकीय भवनों में 23 से 46 प्रतिशत तक संरक्षण सम्भावनाएं ।

6 - निजी क्षेत्र में 20 से 25 प्रतिशत तक संरक्षण सम्भावनाएं ।

ऊर्जा बचत की उपरोक्त सम्भावनाओं को उच्च स्तर के रख - रखाव, उपायों, प्रतिस्थापना एवं कुछ प्रक्रिया परिवर्तन के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । यदि प्रक्रिया एवं तकनीक में वृहत स्तर पर परिवर्तन किया जाये तो अधिकाधिक बचत सम्भावना को प्राप्त किया जा सकता है ।

ऊर्जा के बेहतर उपयोग

सरकार की भूमिका - ऊर्जा संरक्षण में लाखों करोड़ों उपभोक्ता प्रभावित होते हैं । ये उपभोक्ता विभिन्न प्रकार से ऊर्जा का उपयोग करते हैं । सरकार द्वारा ऊर्जा उपयोग करने वाले विभिन्न समूहों के व्यवहार में विद्युत बचत वांछित परिवर्तन लाने के लिए निम्न माध्यमों/उपायों द्वारा उत्प्रेरक की भूमिका निभाई जाना ।

ऊर्जा उपभोग से संबंधित विषयों/मुद्दों पर सीधे नियंत्रण एवं उचित विधि निर्माण ।

किसी भी कार्य करने अथवा रोकने/नियंत्रित करने हेतु वित्तीय दबाव डालना ।

अपवाद स्वरूप नियम कानूनों से अथवा प्रणालियों से चयनित आधार छूट देना ।

शैक्षणिक कार्यक्रमों तथा बहुआयामी माध्यम/अभियानों द्वारा जागरूकता उत्पन्न करना ।

बाजार में सबसे प्रमुख ग्राहक होने की सरकार की स्थिति का प्रयोग करना ।

सुस्पष्ट प्राथमिकताओं के साथ अनुसंधान तथा प्रदर्शन कार्यक्रमों का आयोजन करना ।

उपरोक्त उपायों द्वारा सरकार ऊर्जा संवर्धन से युक्त अर्थव्यवस्था के लिए वातावरण तैयार कर सकती है । लेकिन ये उपाय तभी प्रभावी एवं सफल होंगे जब ऊर्जा उपभोक्ता द्वारा भी ऊर्जा संरक्षण के लिए सकारात्मक ठोस कदम उठाएं जावें । इसके लिए ऊर्जा का विभिन्न रूप में प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं में ऊर्जा संरक्षण के लाभों के संबंध में जागरूकता उत्पन्न करने की अनिवार्य आवश्यकता है । इसके लिए प्रदर्शनात्मक परियोजनाओं, जनसंचार माध्यमों, जागरूकता, कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षण गतिविधियां आरंभ कर पहल की जा चुकी है ।

इसके आगे, कानून/विधेयक बनाकर नियंत्रण नीतियों को तभी प्रभावी किया जा सकेगा जब उसके लिए मूलभूत संरचना स्थापित कर दी जाएगी । मूलभूत संरचना में विविध प्रक्रियाओं/प्रयोगों के लिए ऊर्जा मापदंडों का निर्धारण, महत्वपूर्ण विद्युत उपकरणों में परिवर्तन लाना आदि शामिल है । शिक्षण प्रोत्साहनों तथा नीतियों के सरलीकरण द्वारा ऊर्जा संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करना वर्तमान उद्देश्य है ।

स्कूलों और सामान्य सार्वजनिक क्षेत्रों में ऊर्जा संरक्षण

• बीईई स्कूल पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों के बीच ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास कर रहा है।

• वृहद स्तर पर, ऊर्जा संरक्षण के लिए आपूर्ति - प्रभुत्व वाले दृष्टिकोण से एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसमें क्षमता में निवेश का विवेकपूर्ण मिश्रण, मौजूदा बिजली स्टेशनों की परिचालन दक्षता में सुधार, टी एंड डी हानियों में कमी, आखिरी उपभोग करता की दक्षता और रिनुएबिल टेक्नोलोजी शामिल है।

• कुछ संगठन औद्योगिक टाउनशिप में बड़े पैमाने पर शिक्षा अभियान चला रहे हैं। ये आयोजन धार्मिक रूप से ऊर्जा संरक्षण दिवस, हर साल 14 दिसंबर को आयोजित किया जाता है।

स्टेट नोडल एजेंसीज

• ऊर्जा खपत पैटर्न - श्रेणी वार डोमस्टिक (घरेलू), कॉमर्शियल (वाणिज्यिक), इंडस्ट्रीज़ (उद्योग), एग्रीकल्चर (कृषि), अन्य और उच्च दाब (एचटी) के पैटर्न

• ऊर्जा की खपत के स्तर को कम से कम 20% तक कम किया जा सकता है, बिना अच्छे घर को बनाए रखने और उपयुक्त संरक्षण के उपायों को अपनाने के बिना आराम और उत्पादन के स्तर को कम करके, क्योंकि विशेष रूप से उद्योग, कृषि और घरेलू क्षेत्र में काफी अक्षमता और अपव्यय है।

• लागत प्रभावी समाधान के माध्यम से ऊर्जा के संरक्षण के लिए बहुत गुंजाइश है . राज्य नामित एजेंसी (SDA- स्टेट डेजीनेटिड एजेंसी) स्कीम की सशक्तिकरण क्षमता -

• ये राज्य स्तर पर ऊर्जा संरक्षण उपायों को लागू करने के लिए संबंधित राज्यों द्वारा स्थापित वैधानिक निकाय हैं।

• एसडीए (स्टेट डेजीनेटिड एजेंसी) की 3 भूमिकाएं हैं

• अ - विकास एजेंसी

• ब - फैसिलिटेटर

• स - नियामक या लागू करने वाली संस्था

• 32 राज्यों ने एसडीएएस तैयार किए हैं

• समान ऊर्जा संरक्षण योजना (ECAP) को SDAs द्वारा अपनाया जाना विकसित किया गया है।

सरकार की पहल -

कानून/विधेयक - इस विषय से संबंधित "ऊर्जा संरक्षण अधिनियम (एनर्जी कंजरवेशन एक्ट) 2001" बनाया जा चुका है ।

विद्युत मंत्रालय के तहत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई - ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिसिएंसी) बनाया गया है ।

भारत सरकार मंत्रालय - एमएनआरई (मिंस्ट्री ऑफ़ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी)/नवीन और नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय बनाया जा चुका है ।

नवीन और नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार का एक मंत्रालय है जो मुख्य रूप से अनुसंधान और विकास, बौद्धिक संपदा संरक्षण, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग, पदोन्नति और नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे पवन ऊर्जा, लघु पनबिजली, बायोगैस और सौर ऊर्जा के लिए जिम्मेदार है ।

मिशन - मंत्रालय का मिशन (अभियान) सुनिश्चित करना है

ऊर्जा सुरक्षा वैकल्पिक ईंधन (हाइड्रोजन, जैव ईंधन और सिंथेटिक ईंधन) के विकास और तैनाती के माध्यम से तेल आयात पर कम निर्भरता और घरेलू तेल आपूर्ति और मांग के बीच अन्तर को कम करने की दिशा में योगदान करने के लिए उनके आवेदन ।

स्वच्छ ऊर्जा की हिस्सेदारी में वृद्धि नवकरणीय (जैव, पवन, पनबिजली, सौर, भूतापीय) ऊर्जा उपलब्धता और पहुंच - ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में खाना पकाने, हीटिंग, मकसद ऊर्जा और बढ़ी पीढ़ी की अनुपरक ऊर्जा की जरूरत ।

ऊर्जा वहन क्षमता लागत - प्रतिस्पर्धी, सुविधाजनक, सुरक्षित, और विश्वसनीय नए और नवकरणीय ऊर्जा आपूर्ति विकल्प तथा ऊर्जा समानता - 2050 तक वैश्विक औसत स्तर के साथ एक स्थाई और विविध ईंधन के माध्यम से प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत ।

विजन (दृष्टि)

नव और नवकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं, सामग्रियों, घटकों, उप - प्रणालियों, उत्पादों को विकसित करना और देश को इस क्षेत्र में एक शुद्ध विदेशी मुद्रा अर्जक बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय विनिर्देशों, मानकों और प्रदर्शन मापदंडों के साथ सेवाओं पर आधारित है और ऊर्जा सुरक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्य के आगे स्वदेशी रूप से विकसित और/या निर्मित उत्पादों और सेवाओं को तैनात करते हैं ।

सौर ऊर्जा

छत पर सोलर संयंत्र लगवाने में बिजली कम्पनी मदद करेगी । सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बिजली कम्पनी ने घरों के लिए योजना बनाई है । इस योजना में 3 किलोवाट से लेकर 500 किलोवाट तक का बिजली उत्पादन का प्लान है । सोलर प्लांट लगाने के लिए कम्पनी एजेंसी के माध्यम से 28 से 40 प्रतिशत की सब्सिडी भी देगी । प्रदेश के सभी शहरों में यह योजना लागू कर दी गई है । अभी तक सरकार की ओर से ऊर्जा विभाग के प्लांट सब्सिडी पर लगवाया करता था । यह योजना उन मकान मालिकों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है जिनके घर की छत खाली है और वे उससे आय लेना चाहते हैं ।

1 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाने के लिए लगभग 10 वर्गमीटर के जगह लगती है । 1 किलोवाट सिस्टम बिना बैटरी बेक अप रुपए 75,000 से 85000 तक सब्सिडी (एम एन आर ई) छोड़कर । (1 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए लगभग 1, एकड़ भूमि की जरूरत होती है) एक पैनल की उम्र 25 साल होती है । बिजली कम्पनी का ऐसा मानना है कि सोलर पैनल लगवाने वाला व्यक्ति 5 साल में इसकी लागत निकाल लेता है । आने वाले 20 साल तक वह लाभ में रहता है ।

ऊर्जा बचाने के कुछ सरल उपाय

कमरे से बाहर जाते समय सभी लाइट वह पंखों के स्विच बंद कर दें ।

अत्याधिक आवश्यकता पड़ने पर ही एयर कंडीशनर, कूलर, हीटर, पंखा, टीवी आदि उपयोग में लायें ।

एसी का एक डिग्री टेम्प्रेचर बढ़ाने से ऊर्जा की 5 प्रतिशत बचत होती है ।

साधारण बल्व के स्थान पर ऊर्जा दक्ष एलईडी का उपयोग करें ।

इलेक्ट्रोनिक रेगुलेटर युक्त पंखों का उपयोग करें ।

रात्रि में केवल उन्हीं कमरों में बल्वों/ट्यूब लाइटों से प्रकाश करें जहां कोई कार्य हो रहा हो, बाकी कमरों की बत्तियां बंद रखें ।

कमरों की दीवारों की भीतरी सतह पर हल्के रंगों का प्रयोग करें ।

मकान के अंदर की दीवारों को केवल सफेद रंग से करने से एक वर्ष में लगभग 12 से 15 प्रतिशत ऊर्जा की बचत होती है ।

पतले तार कम समय में ही गर्म हो जाते हैं, इससे विद्युत क्षय तो होती है साथ ही दुर्घटना की भी सम्भावना रहती है ।

ऊर्जा दक्षता सुनिश्चित करने के लिए अच्छे निर्माताओं द्वारा उत्पादित प्रमाणित आई एस आई मार्क युक्त विद्युत उपकरणों का उपयोग करें ।

ऊर्जा दक्षता से सम्बन्धित स्टार रेटिंग वाले उपकरण - ट्रांसफार्मर, ट्यूब लाइट, फ्रिज, एसी (एयर कंडीशनर) और टीवी (टेलीवीज़न) ही उपयोग करें ।

अधिक दक्षता वाले विद्युत उपकरणों तथा कम पावर के अधिक प्रकाश देने वाले बल्व जैसे एलईडी, ट्यूब लाइट, सोडियम लैंम्प आदि का उपयोग करें ।

बल्व के बजाय ट्यूब लाइट का उपयोग करें । 40 वाट की ट्यूब लाइट 100 वाट के बल्व के बराबर उजाला देती है ।

अपना कार्य योजना बद्ध तरीके से करें ताकि समय का अपव्यय कम से कम हो । घरेलू कार्यों जैसे गैस - ओवन अथवा इस्त्री (प्रेस) आदि में समय बद्धता महत्त्वपूर्ण है ।

सुनिश्चित करें कि आपके घर की वायरिंग , प्लग, स्विच, उपकरण आदि ऊर्जा दक्षता स्तर तथा उपयुक्त आकार के हैं ।

अपने साथियों/सहकर्मियों/अधीनस्थ कर्मचारियों को प्रोत्साहित करें कि वे दिन के समय कृत्रिम प्रकाश (बिजली) का कम से कम उपयोग करें ।

ऐसी प्रणाली अपनाएं जिससे कमरे में किसी के नाम रहने पर एसी तथा तेज रोशनी बंद हो जाए ।

ऐसी योजना बनाएं कि भोजनावकाश में नियमित कारोबार से अतिरिक्त समय में केवल अत्यावश्यक स्थानों की ही

बत्तियां/पंखों का प्रयोग किया जावे एवं अन्य अनावश्यक बत्तियां/पंखे बंद रहें ।

केंटीन अथवा चाय बनाने के स्थान पर बिजली के बजाय गैस का इस्तेमाल करें ।

मोटर के साथ शंट कैपेसिटर लगाने से पावर फैक्टर में सुधार होता है । जिसके अनुरूप औद्योगिक इकाई का डिमांड बिल (केवीए) कम हो जाता है और साधारण बिल भी कम आयेगा ।

मोटर में समयानुसार आवश्यक रखरखाव/सुधार कार्य करें जैसे कि लुब्रीकेंट करना, घिसी तथा पुरानी बीयरिंग को तुरन्त बदलना, पट्टे व घिर्री को समय - समय पर कसते रहना आदि ।

मोटर तथा विद्युत भार को यथासम्भव पास - पास रखें ।

उद्योगों में समय - समय पर नई तकनीकी की जानकारी एवं क्रियाओं का उपयोग करें । इससे सभी क्षेत्रों में लगे संयंत्रों की उत्पाद क्षमता में काफी वृद्धि की जा सकती है ।

ऊर्जा बचत के क्षेत्रों का पता लगाएं और ऊर्जा बचत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कारगर उपाय/नियम बनाएं ।

मशीनों के व्यर्थ चलने के समय को घटाएं, चाहे वह लापरवाही के कारण हो अथवा सेल्फ स्टार्टर में खराबी के कारण ।

आई एस आई चिह्न वाले प्रमाणित डिलेवरी वाल्व का उपयोग करने से विद्युत खपत में लगभग 5 प्रतिशत की बचत होती है ।

मोटर एवं पम्प के शाफ्ट को एक सीध में फिट करें इससे बीयरिंग पर कम भार पड़ता है ।

अपनी मोटर की अर्थिंग सही ढंग से करें ।

पाइप लाइन में अनावश्यक मोड़ों (बैंड्स) वह जोड़ों (फ्लैंज जोइंट्स) का उपयोग न करें ।

डिलीवरी पाइप की लम्बाई आवश्यकतानुसार कम से कम रखें ।

संक्षेप में -

ऊर्जा संरक्षण का विचार प्राय: यह नहीं है कि आवश्यकता में कमी की जावे और न उपयोगिता को कम किया जावे । सामान्यत: ऊर्जा संरक्षण का विचार किसी भी तरीके से ऊर्जा के दुरूपयोग को रोकना, ऊर्जा बर्वाद न करना है ।

ऊर्जा संरक्षण मुहावरे

ऊर्जा हम बनायेंगे, ऊर्जा हम बचायेंगे । ऊर्जा का सही उपयोग, जन - जन को समझायेंगे ।।

अक्षय ऊर्जा के साधन अपनाएं, देश को ऊर्जावान बनाएं ।

अक्षय ऊर्जा से होगा देश का विकास, गांव - गांव बिजली घर - घर प्रकाश ।

अक्षय ऊर्जा विकल्प ही नहीं, पूर्ण समाधान है ।

बिजली का ग़म नहीं, अक्षय ऊर्जा कम नहीं ।

जानो अब तुम चतुर किसान, अक्षय ऊर्जा है वरदान ।

सौर ऊर्जा, जल विद्युत से अपना काम चलाएं । परम्परागत संसाधनों को भविष्य के लिए बचाएं ।।

जन - जन के मुंह पर (में) एक ही बात । करें देश का विकास, गैर परम्परागत ऊर्जा के साथ ।।

बनेगा ये भारत स्वर्ग अपना, जब होगा ऊर्जा संरक्षण का सपना ।

ऊर्जा के हैं विभिन्न स्रोत उपयोग करना इनका रोज ।

ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययी बनें, ऊर्जा का दुरूपयोग रोकें ।

अधिकाधिक अक्षय ऊर्जा स्त्रोतों का उपयोग कर, धन व ईंधन की बचत करें ।

ऊर्जा की समस्या पर सोचें, समझें और अमल करें ।

देश प्रेम की भावना जगाई ये, राष्ट्रहित में ऊर्जा बचाईये ।

ऊर्जा नहीं ये सोना है, व्यर्थ नहीं इसे खोना है ।

जब भी भैया बाहर जाओ, घर की बत्ती अवश्य (जरूर) बुझाओ ।

बिजली चोरी नहीं है खेल, इसमें है तीन साल की जेल ।

बिजली चाहिए नियमित, खर्च करो सीमित ।

राष्ट्रहित में ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है ।

स्वहित एवं राष्ट्रहित में बिजली बचाएं ।

कृपया विद्युत का अनावश्यक एवं अनाधिकृत उपयोग न करें ।

कैसे करें ऊर्जाखपत (गणना) बचत का आंकलन

कृपया ध्यान (याद) रखें , इन आकड़ों को मार्गदर्शी सिद्धांतों के रूप में ही प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि वाटेज की रेटिंग अलग – अलग मोडलों में अलग – अलग होती है .


सरल क्रमांक उपकरणका नाम क्षमता (वाट में) एक यूनिट खपत (एक किलोवाट आवर) उपयोग करने का समय (घंटामें)
1 एलीडी 8 वाट/9 वाट 125 घंटा/111.11 घंटा
2 एलीडी 10 वाट 100 घंटा
3 एलीडी 12 वाट/15 वाट 83.33 घंटा/66.67 घंटा
4 एलीडी 20 वाट/25 वाट 50 घंटा/40 घंटा
5 वाटर प्यूरीफायर 25 वाट 40 घंटा
6 बल्व 100 वाट/200 वाट 10 घंटा/5 घंटा
7 बल्व 250 वाट/500 वाट 4 घंटा/2 घंटा
8 कम्यूटर 100 वाट/150 वाट 10 घंटा/6.67 घंटा
9 गीजर 2000 वाट/3000 वाट ½घंटा/0.33 घंटा
10 पखा/बल्व 60 वाट 16.67 घंटा
11 कूलर 200 वाट/250 वाट 5 घंटा/4 घंटा
12 प्रेस(आयरन) 750 वाट/1000 वाट 1.33 घंटा/1 घंटा
13 वाशिंग मशीन 500 वाट/1000 वाट 2 घंटा/1 घंटा
14 टीवी 120 वाट/150 वाट 8.33 घंटा/6.67 घंटा
15 टुल्लू पम्प 750 वाट 1.33 घंटा
16 टुल्लू पम्प 1000 वाट/2000 वाट 1 घंटा/½ घंटा
17 एसी 1 टन/ 1.5 टन 1500वाट/2250 वाट 0.67 घंटा/0.44 घंटा

विद्युत् व्यवस्था – कम पावर फैक्टर से नुक्सान


क्रमांक विवरण पावर फैक्टर 1 पावर फैक्टर 0.9 पावर फैक्टर 0.8 पावर फैक्टर 0.7 पावर फैक्टर 0.6 पावर कैक्टर 0.5
1 - 100 किलोवाट मोटर 100 केवीए 111 केवीए 125 केवीए 143 केवीए 167 केवीए 200 केवीए
2 - एलटी करेंट एम्पीयर 133 एम्पीयर 148 एम्पीयर 166 एम्पीयर 190 एम्पीयर 222 एम्पीयर 266 एम्पीयर

उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि सामान किलोवाट मोटर (हॉर्स पावर) – जैसे – जैसे पावर फैक्टर कम होता है केवीए कैपेसिटी बढ़ जाती है और उसके अनुरूप मोटर करेंट बढ़ता जाता जाता है जिससे बिल अधिक बनता है .