Fort Saint George
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Fort Saint George (फोर्ट सेंट जॉर्ज) is the first English (later British) fortress in India, founded in 1644[1] at the coastal city of Madras, the modern city of Chennai.
Variants
- Fort Saint George (फोर्ट सेंट जॉर्ज), मद्रास, (AS, p.599)
- White Town
History
The construction of the fort provided the impetus for further settlements and trading activity, in what was originally an uninhabited land.[2] Thus, it is a feasible contention to say that the city evolved around the fortress.[3] The fort currently houses the Tamil Nadu legislative assembly and other official buildings.
The East India Company (EIC), which had entered India around 1600 for trading activities, had begun licensed trading at Surat, which was its initial bastion. However, to secure its trade lines and commercial interests in the spice trade, it felt the necessity of a port closer to the Malaccan Straits, and succeeded in purchasing a piece of coastal land, originally called Chennirayarpattinam or Channapatnam, where the Company began the construction of a harbour and a fort. The fort was completed on 23 April 1644 at a cost of £3,000, [4]coinciding with St George's Day, celebrated in honour of the patron saint of England. The fort, hence christened Fort St George, faced the sea and some fishing villages, and it soon became the hub of merchant activity. It gave birth to a new settlement area called George Town (historically referred to as Black Town), which grew to envelop the villages and led to the formation of the city of Madras. It also helped to establish English influence over the Carnatic and to keep the kings of Arcot and Srirangapatna, as well as the French forces based at Pondichéry, at bay. In 1665, after the EIC received word of the formation of the new French East India Company, the fort was strengthened and enlarged while its garrison was increased.[5]
The Fort is a stronghold with 6 metres (20 ft) high walls that withstood a number of assaults in the 18th century. It briefly passed into the possession of the French from 1746 to 1749, but was restored to Great Britain under the Treaty of Aix-la-Chapelle, which ended the War of the Austrian Succession.
The Fort now serves as one of the administrative headquarters for the legislative assembly of Tamil Nadu state and it still houses a garrison of troops in transit to various locations at South India and the Andamans. The Fort Museum contains many relics of the Raj era, including portraits of many of the Governors of Madras. The fort is maintained by the Archaeological Survey of India, with the administrative support of Indian Army.[6]
फोर्ट सेंट जॉर्ज, मद्रास
विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है .....फोर्ट सेंट जॉर्ज, मद्रास (AS, p.599): मद्रास की पुरानी बस्ती का नाम चेन्नापटम् था. इसी ग्राम में 1640 ई. में अंग्रेजी व्यापारी फ्रांसिस डे ने फोर्ट सेंट जॉर्ज की स्थापना की थी. इसी किले के चतुर्दिक भावी महानगरी मद्रास का कालांतर में विकास हुआ. (देखें चेन्नापटम्)
चेन्नापटम्
विजयेन्द्र कुमार माथुर[8] ने लेख किया है ...चेन्नापटम् (AS, p.343) प्राचीन समय में मद्रास (वर्तमान चेन्नई) नगर के स्थान पर बसा हुआ एक ग्राम था। भारतीय इतिहास में यह स्थान इसीलिए महत्त्व का है, क्योंकि अंग्रेज़ ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने यहाँ अपना पहला क़िला स्थापित किया था। 1639 ई. में अंग्रेज़ व्यापारी फ़्राँसिस डे ने चेन्नापटम के हिन्दू राजा से इस स्थान का दानपत्र प्राप्त किया था। दानपत्र प्राप्त करने के बाद 1640 ई. में 'फ़ोर्ट सेण्ट जॉर्ज' नामक क़िले की स्थापना की गई, जो अंग्रेज़ों का भारत में पहला क़िला था। 1653 ई में फ़ोर्ट सेंट जॉर्ज में एक प्रेसीडेंसी स्थापित की गई। आगामी वर्षों में इसी केंद्र के चारों ओर मद्रास नगर का विकास हुआ।
सेन्ट जॉर्ज क़िला
सेन्ट जॉर्ज क़िला एक ऐतिहासिक इमारत है और यह मुग़लों से अलग शैली की है। सेन्ट जॉर्ज क़िले में ग्रे पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यह क़िला ब्रिटिश फ़ौजों की बैरक थी। क़िले का सेन्ट मैरी चर्च मद्रास का सबसे प्राचीन चर्च है। सेंट जॉर्ज फ़ोर्ट ध्यातव्य है कि ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया का दक्षिण भारत का मूल व्यापार केन्द्र 1611 ई. में मसुलीपट्टनम (मछलीपट्टनम) में स्थापित किया गया था। कालांतर में यह केन्द्र मद्रास ले जाया गया और वहाँ यह किला निर्मित किया गया, जिसे सम्प्रति में तमिलनाडु राज्य द्वारा संरक्षित किया हुआ है।
सेंट जॉर्ज फ़ोर्ट 1639 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कर्मचारी फ्रांसिस डे ने विजयनगर के राजा से कुछ भूमि लेकर मद्रास (चैन्नई) की स्थापना की थी। यहीं पर ब्रिटेन के संरक्षक संत की स्मृति में यह क़िला बनाया गया था। 1641 ई. में यह स्थल दक्षिण भारत में कम्पनी का मुख्यालय बन गया। भारत में यह कम्पनी का पहला किलेबंद उपनिवेश था।
1746 ई. में इसे समय के लिए फ़्रांसीसियों ने हथिया लिया था और 1748 ई. में वापस क़ब्ज़ा होने पर इसका वृहत् स्तर पर पुनर्निर्माण किया गया। इसीलिए 1758 -59 ई. में फ़्रांसीसी सेना के हमले से अंग्रेज़ इसकी सफलतापूर्वक सुरक्षा कर पाए। हैदरअली ने दो बार (1769 एवं 1780 ई.) इस किले पर हमला किया। कालांतर में यह स्थल दक्षिण भारत में ब्रिटिश प्रशासन का केन्द्र बनाया गया।
External links
References
- ↑ Roberts, J: "History of the World" (Penguin, 1994)
- ↑ Muthiah, S (12 August 2002). "A centenary's links with Chennai". The Hindu. Archived from the original on 28 October 2003.
- ↑ http://www.iloveindia.com/indian-monuments/fort-st-george.html
- ↑ Keay, John (1991). The Honourable Company A History Of The English East India Company (1993 ed.). Great Britain: HarperCollinsPublishers. p. 69. ISBN 978-0-00-743155-7.
- ↑ Talboys Wheeler, James (1861). Madras in the Olden Time. 1. Madras: J. Higginbotham. p. 72.
- ↑ Jesudasan, Dennis S. (10 August 2018). "Business group may adopt Fort St. George". The Hindu.
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.599
- ↑ Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.343