Gangnani

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Partial map of Uttarakhand

Gangnani (गंगनानी) is a village in ... Tehsil of Uttarkashi district in Uttarakhand, India.

Variants

Location

Gangnani is a small town situated 44 kms from Uttarkashi on the route to Gangotri. It is located at a distance of 30 km from Harsil, 45 km from Uttarkashi and 52 km from Gangotri.

History

Gangnani View
Gangnani Kund

Gangnani is noted for its thermal springs and magnificent views of the Himalayas. The thermal water spring at Gangnani is called Rishikunda. Most of the devotees take holy dip in this natural hot water spring before heading towards Gangotri. There are separate kunds for both men and women. A temple dedicated to sage Parasara, father of Veda Vyas situated close to the Kund. Being a perfect spot for meditation, Gangnani acts as an ideal retreat for the nature lovers and affords stunning mountain views.[1]

गंगनानी

गंगनानी, गंगोत्री में स्थित एक क़स्बा है। जो भी आगंतुक आध्यात्मिकता के इच्छुक हैं उनके लिए ये एक आदर्श स्थल है। अगर आप ध्यान या योग की मुद्रा में जाना चाहते हैं तो ये स्थान आपके लिए एक परफेक्ट स्थल है यहाँ जाकर जरूर आपका व्याकुल मन शांत होगा। ये जगह अपने शांत वातावरण और सुन्दर लोकेशन के कारण हमेशा से ही पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती आई है। यहाँ पड़ने वाला ऋषि कुंड यहां का एक अन्य आकर्षण है। यहाँ आने वालों को ये सलाह दी जाती है की गंगोत्री मंदिर के दर्शन से पहले वे इस कुंड में स्नान अवश्य करें। इसके अलावा भटवारी गंगानी यहाँ का एक अन्य आकर्षण और है। यहाँ स्थित परसरा एक अन्य प्रसिद्ध स्थान है जहाँ महान ऋषि वेद व्यास के पिता को समर्पित एक मंदिर है।[2]

उत्तराखंड का प्रयाग है गंगनानी

Publish Date:Sun, 11 Feb 2018 03:01 AM (IST)Author: Jagran https://www.jagran.com/uttarakhand/uttarkashi-ganganani-prayag-17498407.html


जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : वैसे तो प्रयागराज इलाहाबाद में गंगा और यमुना का संगम होता है। और इलाहाबाद से ही एक साथ मिलकर गंगासागर तक यह दोनों नदी सफर तय करती हैं, लेकिन प्रयागराज से पहले इन दोनों नदियों की जलधाराएं उत्तरकाशी जनपद के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गंगनानी में एक दूसरे से मिलती हैं। प्राचीनकाल से जिले की यमुनाघाटी क्षेत्र के यमुना तट पर गंगनानी नामक स्थान पर स्थित प्राचीन कुंड से गंगा की जलधारा निकलकर यमुना के साथ मिलती है। इसके साथ ही यहां पर केदार गंगा भी गंगा व यमुना के साथ मिलकर संगम बनाती है, इससे यह स्थान त्रिवेणी संगम के रूप में भी प्रसिद्ध है।

जिला मुख्यालय से 95 किलोमीटर दूर बड़कोट के निकट यह यमुनोत्री राजमार्ग पर स्थित है प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गंगनानी। जहां यमुना के तट पर विद्यमान प्राचीन कुंड से भागीरथी की जलधारा निकली है तथा यमुना व केदार गंगा में मिलकर संगम बनाती है। इस प्राचीन कुंड को लेकर मान्यता है कि गंगनानी के निकट स्थित थान गांव में भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि की तपस्थली थी, जहां ऋषि तपस्यारत थे। यहां पूजा-अर्चना के लिए ऋषि जमदग्नि हर रोज उत्तरकाशी से गंगाजल लेकर आया करते थे और जब वे वृद्ध हुए तो उनकी पत्नी रेणुका पूजा के लिए गंगाजल लाया करती थी। कई कोस दूर गंगाजल के लिए गंगाघाटी में जाना पड़ता था। जमदग्नि ऋषि मंदिर के पुजारी शांति प्रसाद डिमरी बताते हैं कि बड़कोट में रेणुका की बहन बेणुका का पति राजा सहस्त्रबाहु जमदग्नि ऋषि से ईष्या करता था तथा गंगाजल लेने गंगाघाटी में जाते हुए रेणुका को सहस्त्रबाहु परेशान करता था। जिस पर जमदग्नि ऋषि ने अपने तप के बल से गंगा भागीरथी की एक जलधारा को यमुना के तट पर स्थित गंगनानी में ही प्रवाहित करवा दिया। तब से यहां इस प्राचीन कुंड से गंगा की जलधारा अविरल प्रवाहित हो रही है।

भागीरथी जैसी ही है गंगा की धारा: प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गंगनानी में स्थित प्राचीन कुंड से निकलने वाले जल की प्रकृति पूरी तरह गंगा भागीरथी जैसी ही है। गंगा घाटी में जैसे ही गंगा जल का जल स्तर कम होता है, तो दूसरी ओर यमुनाघाटी में स्थित इस कुंड में भी जल का स्तर कम हो जाता है।

वसंत पंचमी पर लगता है मेला: बड़कोट: प्रसिद्ध स्थल गंगनानी में वर्षों से कुंड की जातर (कुंड का मेला) लगता आ रहा है, लेकिन बीते एक दशक से इस मेले में तमाम व्यवस्थाओं को जुटाने के लिए इस मेले का आयोजन जिला पंचायत करवा रहा है। हर साल वसंत पंचमी पर लगने वाले इस मेले को गंगनानी वसंतोत्सव मेले के रूप में मनाते हैं।

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर गंगोत्री हाईवे पर गंगनानी एक यात्रा पड़ाव है। मान्यता है कि ऋषि पराशर ने इस स्थान पर तप कर अमरत्व हासिल किया था। इसके चलते यहां ऋषि पराशर की पूजा भी की जाती है। यात्रा सीजन के चलते यह पड़ाव हुर्री, भंगेली, तिहार, कुज्जन, सालंग व भुक्की आदि गांवों के लिए रोजगार भी पैदा करता था. [3]

External links

References