Ghositarama
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Ghositarama (घोषिताराम) was a Buddhist monastery constructed by a trader in Kaushambi.
Origin
Variants
- Ghoshitarama (घोषिताराम) (AS, p.313)
History
In Mahavansha
Mahavansa/Chapter 29 mentions.....With sixty thousand bhikkhus came hither the great thera Piyadassi from the Jetarama-vihara. From the Mahavana (monastery) in Vesali came the thera Urubuddharakkhita with eighteen thousand bhikkhus. From the Ghositarama in Kosambi came the thera Urudbammarakkhita with thirty `thousand bhikkhus. From the Dakkhinagiri in Ujjeni came the thera Urusamgharakkhita with forty thousand ascetics.
घोषिताराम
विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...घोषिताराम (AS, p.313) कौशांबी, उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध उद्यान था, जिसे यहाँ के एक विख्यात 'श्रेष्ठी' ((प्रतिष्ठित व्यवसायी या महाजन या व्यापारी)) 'घोषित' (सम्भवतः 'बुद्धचरित' का घोषिल) ने बनवाया था। घोषिताराम उद्यान महात्मा बुद्ध के निवास के लिए बनवाया गया था। श्रेष्ठी घोषित का भवन कौशांबी नगर के दक्षिण-पूर्वी कोने में स्थित था। घोषिताराम के निकट ही मौर्य सम्राट अशोक का बनवाया हुआ 150 हाथ ऊँचा स्तूप था। इसी विहार वन के दक्षिण-पूर्व में एक भवन था, जिसके एक भाग में आचार्य वसुबन्धु रहते थे। इन्होंने 'विज्ञप्ति मात्रता सिद्धि' नामक ग्रंथ की रचना की थी। उद्यान के पूर्व में वह मकान था, जहाँ आर्य असंग ने अपने ग्रंथ 'योगाचारभूमि' की रचना की थी।