Hindumalkot
Hindumalkot (हिंदूमलकोट) is the last town of Punjab beyond Ganganagar.
Location
History
ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है...वर्तमान गंगानगर पहले रामनगर कहा जाता था। जिसकी स्थापना सन् 1910 में हुई। इससे बहुत पहले यह रामू जाट की ढ़ानी थी। सन् 1927 में गंगनहर के उदघाटन के बाद महाराजा गंगासिंह ने रामनगर को गंगानगर नाम दिया। रामनगर अब पुरानी आबादी के नाम से पहचाना जाता है।
एक रामनगर ही क्या अनेकों पुराने शहर और कस्बों को बीका की संतान के राजाओं ने अपने नाम पर बादल दिया।
गंगानगर की भूमि का भी एक इतिहास है। महाराजा बीकानेर ने डंगली सधुओं से एक लाख रुपये उधार लिए और साधू भगवानगिरि को ताम्रपत्र पर लिखकर दिया कि यहाँ की एक लाख बीघा जमीन तुम और तुम्हारे शिष्यों के पास पीढ़ी दर पीढ़ी रहेगी। लेकिन जब गंगनहर का इस भूमि से गुजरने का सर्वे हुआ तो उस समय के साधू नर्मदागिरी, जो जन्म से जाट था, धोखे-धड़ी से 30000 रुपये सालाना पर 99 वर्ष का पट्टा इस जमीन का महाराजा गंगा सिंह ने करा लिया।
[p.295]: यही जमीन करोड़ों रुपये पर पंजाब से आकर यहाँ बसने वाले सिखों को अथवा पुराने वाशिंदों को कीमतन दी।
गंगानगर से आगे हिंदूमलकोट है। भारतीय पंजाब का यह सीमांत गाँव है। यहाँ रेलवे स्टेशन भी है। यह नाम बीकानेर राज्य के दीवान हिंदूमल वैश्य के नाम पर रखा गया है। जब अंग्रेज़ सरकार की मध्यस्तता में बीकानेर और भावलपुर राज्य की सीमा की हदबंदी हुई तो हिंदूमल ने अपनी बुद्धिमत्ता से लगभग 60000 वर्गमील का इलाका बीकानेर का साबित करा दिया। फूलड़ा और बल्लड़ नाम के गाँव भी इसी हदबंदी में आ गए। हिंदूमल ने लालगढ़ के भोपा जाणी को अपनी योजना का सहायक बनाया। भोपा ने कई कोस तक जगह-जगह जमीन में कोले गाड़ दिये और सबूत के समय बताया कि यहाँ तक हमारी गायें चरने आती थी। यहाँ-यहाँ हमने लकड़ी जलाई। उसके जो कोले बचे वे जमीन में मौजूद हैं। इतना इलाका बीकानेर को मिल गया। लेकिन इस राजभक्त हिंदूमल को एक दिन हीरा की कनी खाकर अपनी जान देनी पड़ी क्योंकि महाराजा बीकानेर उससे किसी बात पर अधिक नाराज हो गए थे। भोपा जाणी को इतना इनाम मिला कि एक पीढ़ी के लिए उसकी खुदकास्त जमीन पर लगान माफ कर दिया।
[p.296]: महाराजा को इस कंजूसी के लिए चौधरी साहब ने बीकानेर का यह पद गाया –
- चोरी करे निहाई की करे सुई का दान
- ऊंचे चढ़कर देखता केतिक दूर विमान
- मतकर कंथा गौरबो बस बीको रे बास
- एह तीनों सागे मिलें मोर-फोट शाबाश
Notable persons
External links
References
- ↑ Thakur Deshraj: Bikaneriy Jagriti Ke Agradoot – Chaudhari Harish Chandra Nain, 1964, p.294-296
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