Humorous Jokes in Haryanavi/फौजी जवानों पर चुटकुले

From Jatland Wiki

Discipline!

एक बै एक फौजी घर छुटटी आया अर उसनै घर आकर एक भैंस खरीद ली।

फौजी जब भी भैंस को खोलता, हर बार उसके हाथ से छूटकर भाग जाती। एक दिन फौजी नै भैंस को बहुत मारा।

फौजी की बहू बोली - इतना मत मारो, नहीं तो यह दूध नही देगी ।

फौजी बोला - साला, मुझे दूध नहीं चाहिये... Discipline चाहिये, Discipline.!!


आलू एंड गोभी

सुरजा फ़ौज मैं था, साल भर पाच्छै छुट्टी आया । सांझ-नैं उसकी बहू रामप्यारी बूझण लाग्गी अक आज कुण-सा साग बणाऊँ ?

सुरजा बोल्या - आलू एंड (and) गोभी रांध ले ! अर इतणा कह कै बाहर गाम मैं घूमण लिकड़-ग्या ।

रामप्यारी सोच मैं पड़-ग्यी - के घरां आलू बी सैं , गोभी बी सै । पर यो एंड (and) के होया ?

रामप्यारी अपणी पड़ोसण धोरै बूझण गई । पड़ोसण नैं बी कोणी बेरा था अक यो एंड के हो सै । उसनै सोची अक ना बताई तो रामप्यारी आगै बेजती हो ज्यागी ! पड़ोसण बोल्यी - एंड तो गोबर हो सै ।

बस, फेर के था ! रामप्यारी नै घरां आ-कै गोबर का छ्यौंक ला-कै साग बणा दिया ।

रोटी खाते टेम सुरजा बोल्या - आज तो सब्जी चरचरी बण रही सै !

रामप्यारी बोल्यी - एंड किमैं घणा पड़-ग्या होगा !!!


नया रंगरूट

एक बै एक छोरा फौज में भर्ती हो-ग्या । उसके कौप्टन नै सोच्या अक भर्ती तै यो हो-ए गया, न्यूं भी देख ल्यो अक इसमें कितणा दम सै । कैप्टन नै वो छोरा मैदान में बुलाया अर हाथ फैला कै खड़ा कर दिया ।

कैप्टन एक दूसरे जवान तैं बोल्या - इसके कुर्ते की बांह म्हां कै गोळी काढ़णी सै । उस जवान नै छोरे के कुर्ते की बांह पकड़ी अर फायर कर दिया । गोळी छोरे की बाह म्हां कै लिकड़-ग्यी । कैप्टन बोल्या - भाई, इसका कुर्ता बदलवा दो !

छोरा बोल्या - जी, कुर्ते की तै चाल ज्यागी पर पैंट बदलवा दो मेरी ।

कैप्टन बोल्या - क्यूं भाई, तेरी पैंट में के हो-ग्या ?

छोरा बोल्या - जी, पैंट में चौथ मार राख्या सै !!!


ट्रेनिंग

फौजी ट्रेनिंग कर के पहली बार छुट्टी आया । उसके घर आळे सारे कट्ठे हो-गे अर बूझण लागे - भाई, क्यूकर ट्रेनिंग होवै सै फौज में ?

फौजी ने सारे घरवाले लाइन में खड़े कर दिये (उनमें फौजी की बहू भी थी जो कि गर्भवती थी) ।

फौजी बोला - जवानो, सावधान ।

सारे सावधान खड़े हो गये ।

फिर फौजी बोला - छाती बाहर, पेट अन्दर !

उसकी बहू नै मुश्किल हुई । उसका बाबू समझ-ग्या बहू की दिक्कत अर बोल्या - "छोरे, यो के कहै सै तू" ?

फौजी बोला - खामोश, जब आफिसर आर्डर दे रहा हो तो किसी जवान को कुत्ते की तरह बीच में नहीं भौंकना चाहिये !!


दो अट्ठे अठारह !

एक बै एक फौजी छुट्टी आया । उसनै सोच्या अक देखूं तै सही बाळक कुछ पढ़ैं सैं कि ना ।

वो आपणे छोरे तैं बोल्या - रै चिंटू, दो अट्ठे (2 x 8) कितणे होवैं सैं ? चिन्टू बोल्या - अठारह (18) ।

फौजी बोल्या - "बेटा, लगभग ठीक सै" !!


“खाट खड़ी कर दूंगा”

एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरां की जरूरत थी । अखबार में छपवा दिया । इंटरव्यू देण खातिर एक सादा-भोला फौजी भी आ-ग्या ।


मैनेजर न्यूं बोल्या - तू क्या सेवा कर सकता है ?


फौजी बोल्या - तेरी खाट खड़ी कर दूंगा अर तेरा बिस्तरा गोळ कर दूंगा !!


"घाट मेरा रामफळ भी ना सै"

कारगिल की लड़ाई के आस-पास की बात । गाम की चौपाड़ में बूढ़े बैठे थे, होक्का सिलगा कै - अर बात चाल पड़ी कारगिल कै ऊपर । उन बूढ़्यां में एक के छोरे का नाम रामफळ था, जो फौज में था ।

रामफळ का बाबू - भाई, पाकिस्तान गैल्यां तै लड़ाई होवै ए होवै ।

दूसरा बूढ़ा - भाई, के कह सकां सां, हो भी सकै सै, ना भी ।

रामफळ का बाबू और हंघा ला कै बोल्या - भाई, लड़ाई तै हो कै रहवैगी, ईब कै कोनी टळै ।

बूढ़े बोल्ले - भाई, इसा सै, ना भी होवै - के बेरा ?

रामफळ का बाबू - भाई, मन्नै बेरा सै, लड़ाई तै होवैगी जरूर ... एक तै यो मुशरर्फ घणा ऊत सै, अर घाट मेरा रामफळ भी ना सै - ईब लड़ाई तै हो कै रहवैगी !!


दाँतवा

एक दाँतवे (लंबे दांतो वाले) के मन में आई अक फौज में भरती हुया जावै । भरती होण पहुंच्या - पहल्यां उसकी नाप-तौल हुई, उसमें पास होग्या । फेर उसका "मैडिकल" होया, उसमें फेल हो-ग्या ।

फिर दाँतवा एक बड्डे अफसर धोरै जाकै बोल्या - साहब, मैं मैडिकल में फेल क्यूं कर दिया । साहब बोल्या - तेरे दांत घणे लाम्बे सैं ।

दाँतवे कै या बात पल्लै ना पड़ी, बोल्या - साहब, मेरे दांतां में के कमी सै ?

फौजी साहब नै सोच्या अक इस दाँतवे तैं क्यूकर पैंडा छुटाया जा । वो कुछ सोच कै बोल्या - भाई, फौज में बन्दूक अर बम की लड़ाई होवै सै, बुड़क्याँ की लड़ाई कोनी होती !!


फौजी की "फैमिली"

एक फौजी भाई की राजस्थान के बोर्डर पै ड्यूटी लाग-गी । जाड्याँ (सर्दियों) के दिन आ गए, फौजी नै सोची अक परिवार तैं मिल्ले घणे दिन हो-गे, क्यूं ना आपणी "फैमिली" न हाड़ै आपणै धोरै बुला ल्यूं ।


उसनै घरां आपणे बाबू धोरै चिट्ठी लिक्खी - "बाबू, सर्दी शुरू हो-गी सैं, मेरी फैमिली नै भेज दे ।"


ईब भाई, बूढ़ा सोच में पड़-ग्या अक ये "फैमिली" के हो सै ? फिर उसनै अंदाजा लगाया अक उसनै जाड्याँ में फैमिली मंगाई सै, तै "फैमिली" का मतलब "रजाई" होवै सै ।


घर में कोई रजाई ना थी । बूढ़े नै चिट्ठी गिरवा दी - "बेटा, देख, तेरी फैमिली तै पाछले जाड्याँ में बाळकां नै पाड़ दी थी, अर तन्नै बेरा सै अक मैं तै सूं ऐं बिना फैमिली का । पर बेटा, तू कहै तै पड़ौस के भीम की फैमिली नै भेज दूँ, वा सै भी नई ए ।"


फौजी का हनीमून

फ़ौजी का नया-नया ब्याह होया था । बहू निरी अनपढ थी । गाम मैं अर रिश्तेदारी मैं दस-बारह दिन लिकड ग्ये । बहू नै सारे घर का काम भी सम्भाळ लिया ।

एक दिन फ़ौजी सवेरे-सवेरे आपणी लुगाई तैं बोल्या - चाल, तन्नै हनीमून पै ले चाल्लूं ।

लुगाई बोल्ली - रहण दे, भैंस की सानी भेणी सै, तेरे बाबू की रोटी करणी सै, घणे ऐं काम सैं । तू न्यूं कर अक दादी ने ले ज्या । पड़ी-पड़ी दुखी हो ज्या सै एकली । उसनै कद्दे हनीमून देख्या भी ना होगा !!

सॉरी भाई साहब !

एक बै एक गाम में एक फौजी नै आपणे घर में नया-नया टेलीफोन लगवा लिया । जब भी घंटी बाजै, उसकी घरवाली सब तैं पहल्यां फोन उठावै अर घर में किसै नै बात ना करण दे ।


एक बै घर पै फोन आया, फौजी का छोरा फोन ठावण लाग्या । फौजिण बोल्ली - तू रुक, मैं फोन ठाऊंगी । फिर फोन ठा कै बोल्ली - हाँ .... हैल्लो .... भाई साहब !


फोन था फौजी का, वो बोल्या - अरै, मैं बोल्लूँ सूँ !


फौजिण फिर बोल्ली - "सॉरी भाई साहब !"


रेल का डिब्बा

सबनै बेरा सै अक फ़ौजी डिब्बा ट्रेन में सब-तैं पाच्छै लाग्या करै । एक बै एक फौजी उस डिब्बे में सफर करै था । हरेक स्टेशन पै उसका डिब्बा प्लेटफार्म तैं बाहर घणी दूर रह-ज्या था । वो राह में खाण-पीवण का सामान नहीं खरीद पाया, भूखा ए रहणा पड़्या ।

आखरी स्टेशन पै उतर कै उसनै एक लैटर-बाक्स जैसा डिब्बा देखा जिस पै लिख्या था - शिकायत और सुझाव

फौजी नै एक कागच पै शिकायत लिख कै डाली - ट्रेन में पिछला डिब्बा नहीं होणा चाहिये अर अगर होवै तै एक और होना चाहिये ।

समंदर अर जोहड

एक बै गांव की एक छोरी का ब्याह नेवी के अफसर गैल्यां हो-ग्या। वो उसने समंदर दिखावण ले-ग्या।

वा समंदर नै देख कै बोली - हे राम! इतना बड़ा जोहड़ अर डांगर एक भी कोनी !!


--Dndeswal (talk) 03:38, 28 November 2016 (EST)


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