Humorous Jokes in Haryanavi/शराबियों पर चुटकुले

From Jatland Wiki

मैं तै इब्बै-ए तळै आया सूं

एक बै लिलू घणी दारू पी कै नै छात पैं तैं तळै पड़ ग्या।

तळै घणे लोग कट्ठे हो ग्ये अर लिलू तैं बूझण लाग्गे - रै लिलू, के होया, के होया??

लिलू बोल्या- बेरा ना भाई, मैं तै इब्बै-ए तळै आया सूं !!

रामफळ का ऑटो

रामफळ ऑटो चलाया करता । एक बै तीन शराबी आ-कै ऑटो में बैठ-ग्ये अर बोल्ले - चलो !

रामफळ नै ऑटो स्टार्ट कर दिया अर थोड़ी हाण पाच्छै बंद कर दिया । एक शराबी उतर-ग्या अर बोल्या - थैंक यू !

दूसरा भी उतर-ग्या अर रामफळ तैं पईसे दे दिये ।

तीसरे नै एक मारा थप्पड़ रामफळ कै । ईब रामफळ नै सोच्या अक यो तै समझ-ग्या सै, मारे गए आज तै - ये तीन अर मैं एकला ! मन्नैं तै यो पंगा गलत ले लिया ।

अर फिर वो (तीसरा शराबी) बोल्या - आराम तैं चाल्या कर, आज तै मरवा ए देता तू !!!

तळे नै मर ले

एक बार दो नशेडी दिल्ली चले गए इंडिया गेट धोरे बैठ के उन ने सुल्फे के बीडी भर ली कसूते लाल होए पाछे चालन लगे ऊपर ने देख्या एक बोला दुसरे ने माडा सा तळे नै हो ले ना तो इंडिया गेट में सिर भिड़ ज्यागा ! दोनुवा ने नाड़ बानगी कर ली ऊपर ने देख्या इंडिया गेट और नीचे दिखया थोड़े और टेढे हो गए ! ऊपर देख्या फेर न्यू ए! न्यू करते करते कत्ति फौजिया की ढाळ कोहनिया पै आ लिए ! एक पुलिसिये ने देख्या "रे यू के सांग सै" ? दिया एक के सिर में लठ | जिसके लाग्या वो बोल्या "मर-ग्या रे !" दूसरा बोल्या - पहलम ए ना कहूं था "माडा सा तळे नै मर ले"

"गलत घर"

बदलू और जागे घणी दारू पीया करते । बदलू की घरवाली किताबो उन-तैं घणी दुखी रहया करती । कतई तंग आ-कै एक दिन उसनै मन बणा लिया अक ईबकै आवण दे अनपूते नै पी कै - लट्ठां तैं कूटूंगी ।

रात नै किताबो बांस की कामड़ी ले कै किवाड़ कै पाछै लुक कै खड़ी हो गई । बदलू पी कै दरवाजे में घुसण लाग्या, तै किताबो नै कामड़ी मार-मार कै उसकी सौड़ सी भर दी । बदलू पिटता-पिटता बोल्या - "ए बेब्बे, गलती हो-गी, मैं तै गलत घर में आ-ग्या"

बदलू उल्ट-पाहयाँ जागे धोरै गया अर बोल्या - "जागे भाई, मैं तै आपणा घर भूल-ग्या, एक गलत घर में जा बड़या - तू मन्नै घरां छोड कै आ ।" जागे बोल्या - "अरै, तन्नै घणी पी राखी सै, ल्या मैं छोड कै आऊं सूं तन्नैं तेरै घरां - चिन्ता ना कर ।"

जागे बदलू का हाथ पकड़ कै आगै-आगै चाल पड़या अर बदलू के घर का दरवाजा खुला देख कै उसनै खींचण लाग्या ।

किताबो फिर किवाड़ कै पाछै खड़ी थी, अंधेरे में उसनै कोनी देख्या अक कुण-सा आवै सै । किताबो नै कामड़ी सिंगवा कै जागे की कड़ में टेक दी और लागी उसकी सौड़ सी भरण ।

बदलू थोड़ी सी दूर जा कै बोल्या - "मार बेब्बे, मार साळे कै - पीये ओड़ समझ कै यो मन्नैं फिर एक गलत घर में बाड़ै था" !!

"आपणे नै पिछाण ले-ज्या"

भाई, एक बै चार मौलड़ घणी दारू पी कै गाम में रात के बारह बजे पाच्छै बड़े आ-कै । सारे कत्ती धुत्त हो रहे थे । एक घर धोरै आ-कै रूका मारण लाग-गे - रणबीर, ओ रणबीर - रणबीर रै !!

रौळा सुण कै छात (छत) पर तैं एक लुगाई बोल पड़ी - "के ज्ञान हो रहया सै, हाड़ै कोन्या रणबीर - वो तै दूसरे गाम में जा रहया सै"

न्यूं सुण कै उन मौलड़ां म्हां तैं एक बोल्या - "तू कूण सै भिर" ? वा बोल्ली - "मैं रणबीर की बहू सूं, और कूण सूं ?"

इतना सुणना था, अर उन-म्हां तैं एक बोल्या - "ठीक सै, एक बै तळै आ-ज्या, अर आपणे नै पिछाण ले-ज्या - हम भी जा कै सोवां फिर" !!


दीवार की आवाज

सुन्डू बेचारा सुल्फा पीये रहया करता अर बावळी-बावळी बात करीं जाता । एक दिन तड़कैहें-तड़कैहें भीत कै कान ला कै ध्यान तैं सुणन लाग रहया ।

उसका ढ़ब्बी पेटला भी आया अर देख्या - यो के हो रहया सै ? उसनै भी कान ला लिये भीत कै । फेर कान हटा कै बोल्या - रै सुन्डू, भाई, किमैं सुण्या-ए कोन्या !

सुन्डू नै एक दिया उसके कान पै, अर बोल्या - खसमड़े, मैं तड़कैहें तैं इसकै कान लाईं बैठ्या ! जब मन्नैं ऐं ईब ताहीं ना सुण्या...तै तेरे ताहीं के खड़ताळ बाजैंगी ?"


खोलो, दरवाजा खोलो

एक शराबी आधी रात के बखत नशे में धुत्त सड़क पै चाल्या जावै था । सड़क के किनारे एक खंबे पै, जिस पै एक बल्ब जळै था, उस कै धोरै आ-कै रुक ग्या अर खंभे नै हाथ तैं खटखटावण लाग्या अर आवाज देण लाग्या - "खोलो, दरवाजा खोलो" ।

एक चौकीदार नै यो नजारा देख्या अर उसतैं मखौल करण की सोची । वो शराबी तैं बोल्या - "ओ भाई, हाड़ै घर में कोए कोनी, जा आगे-नै" ।

शराबी बोल्या "कोए क्यूकर कोनी, ऊपर देख - उपर चौबारे की लाइट बी जळण लाग रही सै ।"


दो ढ़ाळ का नशा

एक-बै सुण्डू बोतल पी-कै कत्ती धुत्त हो रहया, अर हलता-हलता गाळ में कै आण लाग रहया था । आगै जा कै उसनै देख्या अक दो-चार बूढ़े होक्का पीण लाग रहे थे अर बाणियां आपणी दुकान पै बैठ्या हिसाब सा जोड़ै था ।

सुन्डू बूढ़्यां धोरै जा-कै बोल्या - "ताऊ, राम-राम । कहते हो तै होक्का ताजा कर ल्याऊं, कहते हो तै हाथ-पांव दाबूं । बूढ़े बोल्ले - "ना बेटा, हम राजी सां, ऊपर आळा तेरा भला करै ।"

सुन्डू फेर पहुंच-ग्या बणियां की दुकान कै आगै । बणियां नै देखतीं हें रूका मार-कै बोल्या - "रै बणियें के बीज, सारा गाम लूट लिया साले, अर ईब पईसे गिणै सै ?" अर सुन्डू नै बणिये कै चार लात मारी अर आगै-नै चाल पड़ा ।

बणियां पड़ा-पड़ा न्यूं बोल्या - अड़ चौधड़ी, एक बोतल में दो-दो नशे पहली बार देखे !!


रामभतेरी

एक बै रात नै एक बजे रामफल शराब के नशे में धुत्त, आपणे घर जावै था, राह में पुलिस नै पकड़ लिया । पुलिस होलदार बूझण लाग्या - आं रै, इतणी रात नै कित जा था ?

रामफल बोल्या - जी, शराब के दुष्परिणाम पै लैक्चर सुणन जाऊं सूं ।

होल्दार - इतणी रात नै कूण लैक्चर देगा ?

रामफल - मेरी घर आळी रामभतेरी !!


“तू साईकल चलाता रह !”

काळू अर भूंडू नै घणी दारू पी राखी थी । रात नै साईकल पै बैठ कै कच्चे रास्ते तैं घरां जावैं थे । काळू साईकल चलावै था अर भूंडू पाछै बैठ्या था ।

भूंडू रास्ते मैं लुढ़क ग्या । काळू नै कोए ध्यान नहीं, मस्ती में झूमता घरां पहुंच्या अर बोल्या - ले भाई उतर, घर आ-ग्या ।

जब पाच्छे तैं कोए जवाब नहीं आया, तै काळू का नशा कुछ ढीला हुया, साईकल ठा कै उल्टा भाज लिया । राह में देख्या - भूंडू मस्ती में चूर राही में लोट रहया था । काळू उसनै देख कै बोल्या - आंह रै, ठीक सै ?


काळू नै जवाब दिया - "मैं ठीक बैठ्या सूँ, तू साईकल चलाता रह !"



Dndeswal 18:54, 1 January 2009 (EST)



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