IJS Butalia
Lieutenant Colonel I J S Butalia (12.02.1911 - 22.02.1948) was born on 12th Feb 1911. Son of Shri Iqbal Singh, Lt Col I J S Butalia was commissioned on 31 Jan 1937, into the Dogra Regiment, a Regiment known for its intrepid soldiers and numerous battle exploits. By 1948, Lt Col Butalia had put in about 11 years of service and had evolved into a committed soldier and a fine officer. Before taking over as the first Commanding Officer of 4 Dogra battalion, he served in various operational areas with different terrain and working conditions.
Battle of Kalal(J & K) : 22 Feb 1948
During Feb 1948, Lt Col Butalia’s unit 4 Dogra, also known as “Char Satara”, had been moved to J&K to fight off the Pakistani invaders who had attacked Kashmir and thereby posed a grave threat to the security and integrity of India. Here, as a part of 19 Independent Infantry Brigade, the battalion participated in a series of operations over the next ten months. The battalion played crucial role in the battles of Kalal, Chawa, Jhangar and Barwali Ridge. Lt Col Butalia proved his mettle as a gallant soldier and military leader in the battle of Kalal. In this battle ,On 22nd Feb 1948, Lt Col Butalia was assigned the task of covering the withdrawal of 19 (I) Infantry Brigade without any artillery support.
Lt Col Butalia deployed his troops to provide right flank protection to 1 Kumaon battalion which was advancing to Kalal village. He himself supervised the withdrawal of two pickets of the infantry battalion when the enemy was closing on them. During the battle, Lt Col Butalia was seriously wounded by the heavy firing with his left hand having completely blown off. Undeterred, he refused to be evacuated and continued giving directions to his troops. Later he succumbed to his injuries and was martyred. Lt Col I J S Butalia was a gallant soldier and an office par excellence, who laid down his life in the service of the nation. He was given the nation’s second highest gallantry award ” Maha Vir Chakra” posthumously for his cold courage, unfaltering leadership and supreme sacrifice.
लेफ्टिनेंट कर्नल आईजेएस बुटालिया
लेफ्टिनेंट कर्नल आईजेएस बुटालिया
12-02-1911 - 22-02-1948
महावीर चक्र (मरणोपरांत)
यूनिट - 4 डोगरा रेजिमेंट (चार सतारा)
कलाल का रण
भारत-पाक युद्ध 1947-48
लेफ्टिनेंट कर्नल आईजेएस बुटालिया का जन्म ब्रिटिश भारत में, 12 फरवरी 1911 को श्री इकबाल सिंह के घर में हुआ था। 31 जनवरी 1937 को उन्हें ब्रिटिश-भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त हुआ था। 11 वर्षों तक उन्होंने विभिन्न परिचालन क्षेत्रों की परिस्थितियों में कार्य किया था और वर्ष 1948 में उन्होंने 4 डोगरा बटालियन के प्रथम कमांडिंग ऑफिसर का कार्यभार संभाला था।
कश्मीर पर कबाईली आक्रमण होने से भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए गंभीर संकट उत्पन्न हो गया था। अतः 19 स्वतंत्र इंफेंट्री ब्रिगेड के एक भाग के रूप में, 4 डोगरा बटालियन को पाकिस्तान समर्थित कबाईलियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया था। 4 डोगरा ने आगामी दस माहों में अनेक अभियानों में भाग लिया था। इस बटालियन ने कलाल, चावा, झांगड़ और बरवाली रिज के युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कलाल के युद्ध में लेफ्टिनेंट कर्नल बुटालिया ने एक वीर सैनिक और सैन्य नायक के रूप में अपनी योग्यता सिद्ध की थी।
22 फरवरी 1948 को, लेफ्टिनेंट कर्नल बुटालिया को किसी तोपखाने का समर्थन नहीं लेते हुए 19 स्वतंत्र इंफेंट्री ब्रिगेड की वापसी को कवर करने का कार्य सौंपा गया। लेफ्टिनेंट कर्नल बुटालिया ने कलाल गांव की ओर बढ़ रही 1 कुमाऊं बटालियन को दाहिनी ओर सुरक्षा प्रदान करने के लिए अपने सैनिकों को तैनात किया। जब शत्रु आक्रमण करने के लिए आया तो इंफेंट्री बटालियन के दो पिकेट्स की वापसी की निगरानी उन्होंने स्वयं की थी। इस भयानक युद्ध में भारी गोलीबारी से लेफ्टिनेंट कर्नल बुटालिया गंभीर रूप से घायल हो गए और भीषण विस्फोट से उनका बायां हाथ पूर्ण रूप से उड़ गया। इसके उपरांत भी, वह निडरता और दृढ़ता से युद्ध में डटे रहे और अपने सैनिकों को निर्देश देते हुए अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।
लेफ्टिनेंट कर्नल आईजेएस बुटालिया एक वीर सैनिक और उत्कृष्ट अधिकारी थे। उनके प्रचंड साहस, अडिग नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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स्रोत
संदर्भ
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