Jat History Thakur Deshraj/Shiksha-samiti
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शिक्षा-समिति के अध्यक्ष की ओर से |
शिक्षा-समिति के अध्यक्ष की ओर से
ठाकुर देशराज को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ. वह बड़ी लगन के व्यक्ति थे. परिश्रम-प्रियता, स्वाध्याय, अनुसंधान और ऐतिहासिक तथ्यों की भ्रांतियों के निवारण का विशेष गुण उनकी विशेषता थी. वह कई बार मुझसे मिले थे. मैंने, उनकी अद्भुत कार्यक्षमता और लगन को देखा था.
सन 1934 में उनके 'जाट-इतिहास' का प्रकाशन हुआ था. उसका सर्वत्र स्वागत भी हुआ. एक लम्बे समय से यह पुस्तक अप्राप्त थीं. अनेक पाठक और भाइयों की मांग पर यह निर्णय लिया गया कि इस ग्रन्थ का द्वितीय संशोधित संस्करण प्रकाशित किया जाये. अतः अपनी शैक्षिक और सांस्कृतिक परम्पराओं के प्रवर्तन के उद्देश्य से महाराजा सूरजमल स्मारक शिक्षा-संस्था, जनकपुरी नई दिल्ली ने इस ग्रन्थ का द्वितीय संस्करण प्रकाशित किया है.
मेरा विश्वास है कि संस्था के शुभचिंतकों ने जिस प्रकार संस्था द्वारा प्रकाशित अन्य पुस्तकों का स्वागत किया है, उसी प्रकार इस ग्रन्थ का भी स्वागत करेंगे.
जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठान्त-v