Jat Itihas Ki Bhumika/Bhumika

From Jatland Wiki
Back to Index of the Book

जाट इतिहास की भूमिका

भूमिका

[p.1]: आज जाट इतिहास पर कई मोटी मोटी पुस्तकें बाजार में हैं। इन वृहद ग्रंथों में लेखकों ने सद्भावना पूर्वक तथ्मात्मक जाट इतिहास तो लिखने की कोशिश की है, लेकिन कोई भी विद्वान अपने इन ग्रंथों में कोई ऐसी ऐतिहासिक दृष्टि नही सभझा पाया है जिससे हमारी कौम को कोई दिशा मिले। और कौम वर्तमान की चुनौतियों का सामना ही कर सके ।

आखिर हम इतिहास पढ़ते क्यों हैं? इतिहास का महत्व क्या है?

हम इतिहास इसलिए पढ़ते हैं ताकि हमें पता लग सके कि हमारे पूर्वजों ने हमें आज की स्थिति में लाने के लिए क्या-क्या कुर्बानियाँ दी हैं, कितना खून बहाया है, कितनी मेहनत की है, कि हमारे पूर्वजों के दुश्मन कौन थे, दोस्त कौन थे, कि किन जातियों ने हमारे पूर्वजों का साथ दिया था और किन जतियों ने हमारे पूर्वजों का सक्रिय विरोध किया था। किन किन जतियों ने विरोध किया और किन जतियों ने साथ दिया था, यह तथ्य इसलिए भी जानना आवश्यक है क्योंकि यह अकाट्य सिद्धान्त है कि वर्तमान समय में भी वही जातियां साथ देंगी जिन जतियों ने इतिहास में हमारा साथ दिया था। आज भी वही जातियाँ हमारा विरोध कर रही हैं, जिन्होने हमारे पूर्वजों का विरोध किया था।

सर छोटूराम जी जमीदारों को समझाते हुए कहा करते थे कि:-

ऐ मेरे भोले जमीदार मेरी दो बात मान ले, एक ले बोलना सीख, दूजा दुश्मन पहचान ले

दुश्मन पहचानने का इतिहास जानने से बढ़िया कोई दूसरा तरीका नहीं है। लेकिन आज तक किसी भी जाट इतिहास


[p.2]: लेखक ने कोई ऐसी इतिहास की पुस्तक नही लिखी है जिसमें सर छोटूराम जी की दुश्मन पहचानने वाली बात पर अमल किया गया हो। उल्टा अभी तक जाट इतिहास की जितनी भी पूस्तकें लिखी गई हैं वे सभी दुश्मन की पहचान को ओझल कराने वाली हैं। इन जाट इतिहास की पु्तकों को पढ़ कर हमारी कौम दुश्मन को भुला तो सकती है लेकिन पहचान नही सकती। यह भी संभव है कि इन झूठे गपोडों को पढ़कर हमारी कौम दुश्मन को दोस्त और दोस्त को दुश्मन भी समझने लग जाए।

किसी इतिहासकार ने जाट इतिहास को श्रुष्टि की रचना से शुरू किया है मानो यह जाट इतिहासकार प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक स्टीफन हाकिन्स का भी बाप हो, तो किसी ने राम, सीता, हनुमान को भी जाट सिद्ध करने की कोशिश की है, मानों आज भी जाटों को बिरानी लडाई भें अपनी पूँछ जलवाने की सीख दे रहा हो। एक इतिहासकर ने लिखा कि सोनिया गांधी भी जाटनी हो सकती है मानों इस बात से कांग्रेस पार्टी पर जाटों का ही कब्जा हो जाएगा। कल को कोई जाट लेखक ट्रम्प को भी जाट लिख दे तो आश्चर्य नही। सर छोटूराम ने इस तरह की झूठी इतिहास दृष्टि पर कडी टिप्पणी करते हुए कहा था कि :-

“बंका की फिक्र कर नादां
मुसीबत आने वाली है
तेरी बरबादियों के मशवरे हैं आसमानों में
जरा देख उसको जो कुछ हो रहा है,
होने वाला है

[p.3]: धरा क्या है अहदे कुहन की दास्तानों में ।“

“अहदे कुहन की दास्तान“ का मतलब झूठे आडंबर पूर्ण इतिहास की दास्तान से है। अत: हमें ऐसा इतिहास लेखन करना चाहिए जो दोस्त और दुश्मन की पहचान करवाने वाला हो, प्रगतिशील हो और समसामयिक परिस्थितियों के अनुकूल हो।


मैनें अपनी इस छोटी सी पुस्तिका में जाट कौम के सच्चे इतिहास की भूमिका लिखी है। इस भूमिका को कितना भी विस्तार दिया जा सकता है जो कि दिया भी जाना चाहिए और अगर कोई जाट लेखक इस पुस्तक में दी गई इतिहास दृष्टि से तारतम्य स्थापित करके जाट कौम का इतिहास लिखेगा, तो इससे सही इतिहास लेखन को ताकत मिलेगी और अगर कोई लेखक इस पुस्तक में वर्णित इतिहास दृष्टि से विपरीत इतिहास लेखन करेगा तो उसे कौम का दुश्मन सभझना।

मैं अभी फरवरी 2016 भें हरयाणा में हुए जाट आरक्षण आन्दोलन में हुए दंगों के सिलसिले में दर्ज राजनैतिक केसों में नामजद होने की वजह से रोहतक स्थित सुनारिया जेल में हवालाती बन्द हूँ। भारतीय जनता पार्टी की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने मुझ पर विभिन्न संगीन आपराधिक धाराओं के तहत 5 अलग अलग मुकदमें दर्ज किए हुये हैं और सुनारिया जेल में चक्की न० 6, हाई सेक्योरिटी सेल मेरा निवास स्थान बना हुआ है। मुझ पर गढ़ी सांपला, सर छोटूराम की जन्मस्थली पर अरोडा खत्रियों (पाकिस्तान से आए रिफ़्यूजियों) के खिलाफ भडकाऊ भाषण देने, हरयाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की कोठी फूँकनें, रोहतक स्थित सर्किट हाऊस जलाने, नेशनल हाईवे न०10 जाम करने और एक स्थानीय सांपला-बेरी रोड वाया डीघल जाम करने के मुकदमें दर्ज किए हैं। सभी मुकदमें झूठ का पुलिंदा है और शासन ने ये मुकदमें मेरे खिलाफ


[p.4]: केवल इस उद्देश्य से दर्ज करवाए हैं जिससे भुझे अधिक से अधिक समय तक जेल में रखकर मेरा वह कीमती वक्त जाया करवाया जाए, जिसका इस्तेमाल मैं अगर बाहर होता तो अपनी कौम और समाज के लिए कर सकता था। चूंकि मैं जेल में हूं, यहाँ पर प्राप्त समय का इस्तेमाल करके यह पुस्तक लिख रहा हूं। बाहर होता तो इस पुस्तक में संदर्भों का हवाला देकर कुछ और पृष्ठ बढ़ा सकता था, लेकिन अभी अपनी याददस्त से जितना लिख सकूंगा उतना लिखुंगा उम्मीद है कि मिशन के साथी इस पुस्तक से लाभान्वित होगें और इस ऩुस्तक का प्रचार करेंगे।

जय यौद्धेय।

यूनियनिस्ट मिशन।


Back to Index of the Book